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आरव शुक्ला

पिता :- कुलदीप शुक्ला
सम्पर्क:- 9039799902
ईमेल :- shuklaarav10@gmail.com
जन्म तिथि :- 15/12/2001
शिक्षा:- 10वी पास कर चुका हूँ, 11 कक्षा में हूँ अभी
पता :- सुन्दर नगर , रायपुर
पद:- 11वी कक्षा में हूँ अभी
विधा :- मेरी रचना प्रकाशित होते रहती है
रचना1 शीर्षकन :- ये हवाएँ कुछ कहती है..
रचना1 :- ये हवाएँ कुछ कहती है.... पहले जल सी शीतल थी ... अब आग के जैसे लहकती है.. सुनो इनकी आवाजो को ... ये हवांएँ भी कुछ कहती है... पहले इनसे राहत था .. अब यही तकलीफ देती है... इसमें इनका कोई दोश नही.. हम इंसानो की ही गलती है... सुनो इनके दर्द को ... ये हवाएँ कुछ कहती है... ये भी पहले स्वच्छ हुआ करती थी... अब बीमारी का कारण बन रही है.... इसमें भी दोश मनुष्य का है... नही इनकी कोई गलती है.... सुनो इनके दर्द को... ये हवांएँ कुछ कहती है... किसी नारी के तरह ये भी... मानव की क्रूरता का शिकार हुई.. जल की तरह ये भी प्रदुषण से अशुद्ध आज हुई... चीख- चीख कर ये अपना दर्द जाहिर करती है... कोई तो सुनो इनके दर्द को ... ये हवांएँ कुछ कहती है... जी रहे है हम जिससे... वो हवा अब बदल रही है... सुनो इनके दर्द को ... ये हवांएँ कुछ कहती है.... मत पहुँचाओ पीड़ा इनको.. इनको मत प्रदूषित आप करो.. जीना है तो स्वच्छ रहो.... और पूरे देश को स्वच्छ आप करो.... #आरव शुक्ला मो.नं. -9039799902
रचना2 शीर्षकन :- मै इस देश से आरक्षण हटवाना चाहता हूँ
रचना2 :- मै देश से आरक्षण हटवाना चाहता हूँ.... देश के सभी लोगो को बराबर का हक दिलाना चाहता हूँ.. भेद- भाव बन्द करा कर सब को उनके कर्मो का फल दिलाना चाहता हूँ... मै आरक्षण का विरोध करता हूँ... मै देश से आरक्षण हटवाना चाहता हूँ.... तड़फ जाते है वो लोग जो पिछड़े वर्ग के नही होते.... ज्यादा अंक पाते है फिर भी उनके मेहनत के फल प्राप्त नही होते ... ये कैसा चलन चला है - मै इसको रुकवाना चाहता हूँ... मै अपने देश से आरक्षण हटवाना चाहता हूँ... जो जरूत मन्द है उनको सरकारी पद नही मिलता... जो स्वास्थ्य , सफल आनंद में है उनको पद मिल जाता है,... इस देश में पिछड़ा कोई नही है मै ये बात सबको बताना चाहता हूँ.... मै अपने देश से आरक्षण हटवाना चाहता हूँ... अगर देश मे पिछड़े लोग है तो मै उनको शिक्षा देकर आगे बढ़ाना चाहता हूँ... मै ये आरक्षित पदों का गलत तरीका रुकवाना चाहता हूँ... सबको बराबर कर का मौका मिले कुछ ऐसी परीक्षा की मांग है मेरी... मै अपने देश से आरक्षण हटवाना चाहता हूँ.... कुछ जरूरत मन्द गरीबो को भी उनका हक दिलाना चाहता हूँ... मै ये जाति- पाति का भेद हटाना चाहता हूँ.... ये गलत राह पर चल रहे लोगों को मै सही राह पर लाना चाहता हूँ.. मै अपने देश से आरक्षण हटवाना चाहता हूँ.... देश मे रहेंगे मेरे देश के लोग जब उनको पूरा मौका मिलेगा. विदेशों में जाकर नही बसेंगे जब उनको वो साधन अपने देश में ही मिलेगा . मै आपने देश को विकास का सही मार्ग दिखाना चाहता हूँ. मै अपने देश से आरक्षण हटवाना चाहता हूँ... ✍आरव शुक्ला
पुरस्कार :- काव्य भूषण सम्मान मिला है मुझे अर्णव कलश एसोसिएशन, कलम की सुगंध द्वारा