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मिलन मलरिहा

पिता :- श्री हरिराम कांत
सम्पर्क:- 9098889904
ईमेल :- milankant3@gmail.com
जन्म तिथि :- 11-07-1988
शिक्षा:- MA ENGLISH
पता :- मल्हार बिलासपुर
पद:- कनिष्ट सहायक,cgscsc
विधा :- छत्तीसगढ़ ल बंदव
रचना1 शीर्षकन :- छत्तीसगढ़ी कुण्डियाँ
रचना1 :- मलरिहा के छत्तीसगढ़ी **कुण्डलिया** """""""""""""""""""""""""""""""""""""" - नोनी बाबू एक हे, झिन कर संगी भेद ! रुढ़ीवादी बिचार ला, लउहा तैहा खेद !! लउहा तैहा खेद, समाज म सुधार आही! पढ़ही बेटी एक, दूइ घर सिक्छा लाही !! मान मिलनके गोठ, भ्रुणहत्या कर काबू ! भेज दुनो ल एकसंग, इसकुल नोनी बाबू!! - पुस्तक डरेस लानदे, बिसादे अउ सिलेट ! बरतन चउका झिनकरा, पढ़ाई ल झिन मेट !! पढ़ाई ल झिन मेट, सिक्छा के अधिकार दे! बेटी बने पढ़ाव, अउ चरित सन्सकार दे !! आही सिक्छा काम, दुख-दरद देही दस्तक ! मनुस छोड़थे संग, फेर नइछोड़य पुस्तक !! - बेटी पढ़के बाँटही, गांव गांव म गियान ! परकेधन झिन मान रे, इही देस के जान !! इही देस के जान, पढ़लिख नवाजुग लाही ! रुकही अतियाचार, कुकरमी दूर हटाही !! मलरिहा कहत रोज, पुस्तक धरादे बेटी ! अबतो जाग समाज, सिक्छित बनादे बेटी !! - कहाँले बहूँ लानबो, परगे हवय अकाल । बेटा बेटा सब गुनय, इही जगत के हाल ।। इही जगत के हाल, कोख भितरी मरवाथे । गुनले अपन बिचार, बेटी रोटी खवाथे ।। कहत मलरिहा गोठ , खुदके माथा घुसाले । छोड़ देहि सनसार, दाई पाबे कहाँले ।। - नोनी बहनी नोहय ग, ए जिनगी के बोझ । टूरा होथे मनचला, कोनो रहिथे सोझ ।। कोनो रहिथे सोझ, दाई - ददा ल सताथे । काम बुता ढेचराय , मुड़ी धरके रोवाथे ।। मलरिहा कहत गोठ, कानले निकाल पोनी । कब समझबे मनूस, भविस्य हमर हे नोनी ।। ********************************* मिलन मलरिहा मल्हार बिलासपुर।
रचना2 शीर्षकन :- नाचत हावय धान रे
रचना2 :- खेतखारे मा चहकत मैना, पड़की करे मुसकान रे सुग्घर दमदम खेत मा संगी, नाचत हावय धान रे - घरोघर कहरत माटी के भीतिहा छुही म ओहा लिपाय रे चुल्हा के आगी कुहरा देवत, ए पारा ओ पारा जाय रे बबा के गोरसी मा चुरत हावय, अंगाकर परसा पान रे खेतखारे मा................... - धान ह निच्चट छटकगे भाई आगे देवारी तिहार रे घाम ह अजब निटोरत हावय सुहावत अमरैया खार रे कटखोलवा रुख ल ठोनकत हावय देवत बनकुकरा तान रे खेतखारे मा................. - पवन ह धरे बसरी धुन ला, मन ला देहे हिलोर रे कार्तिक बहुरिया आवत हावय, जाड़ के मोटरा जोर रे खेत के पारे सरसों चंदैनी, लेवतहे मोरे परान रे खेतखारे मा................... - नदियाँ नरवा कलकल छलछल निरमल बोहावत धार रे इही हे गंगा जमुना हमरबर शिवनाथ निलागर पार रे सरग सही मोर गांव ला साजे, इही मोर सनसार रे..... खेतखारे मा..............
पुरस्कार :-