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मिनेश कुमार साहू "मेघ"

पिता :- श्री रामदास साहू
सम्पर्क:- 9907252382
ईमेल :- mineshsahu69@gmail.com
जन्म तिथि :- 05-06-1985
शिक्षा:- एम.ए.(हिंदी साहित्य), (नैदानिक मनोविज्ञान),(समाजशास्त्र) विशेष शिक्षा में डिप्लोमा (NIMH)RCI New Delhi registered
पता :- भुरभुसी गंडई जिला राजनांदगांव (छ.ग.)49188
पद:- विशेष शिक्षक एवं नैदानिक मनोवैज्ञानिक
विधा :- ऐसों के सावन,घर म पहुना बना के बला लेबे बेटी, संकलित काव्य संग्रह
रचना1 शीर्षकन :- गीत- गउ धन ल लक्ष्मी जान...
रचना1 :- *सादर समीक्षार्थ* गीत- गउ धन ल लक्ष्मी जान... टेक:- गउ धन ल लक्ष्मी जान ..... ..........ग भैय्या २ :- गउ म देवता तैंतीस कोटि, झन किंदर तंय ऐती-ओती २ संउहत हे परमान ग भैय्या......... गउ धन ल लक्ष्मी जान....... घर ले खेदेव लक्ष्मी दाई ल, कोठा ल उजारत हव । खेत-खार के पैरा-भूंसा म, काबर आगी बारत हव । कोन बैरी के बुध ले घर म, कुकुर ल संवारत हव । भूख म रोवय अउ नरियावय, आंखी नइ तो उघारत हव। :- जेखर बिना घर हे सुन्ना, कोठी-ढोली उन्ना-उन्ना ... बिन गोबर के धान ग भैय्या.... गउ धन ल लक्ष्मी जान...... कतको मोटर गाड़ी ले घलो, रद्दा म रउंदावत हे । खोजत हवय चारा बपुरी, झिल्ली ओन्हा ल खावत हे। कोन जनम के पाप मिले हे, लउठी टंगिया पावत हे। करनि देखय वो मनखे के, रो-रो के गोहरावत हे। :- मुड़ ल धरके बैठे पहाटिया, गुनय संझा अउ बिहिन्या, अगोरत हे दईहान ग भैय्या... गउ धन ल लक्ष्मी जान....... कलपत रोवत आज किंदरथे, रद्दा दुवारी डगर मा। बांचे परिया ल कबियालेस, धरती बूढ़गे जहर मा। दूध-दही ह ठाड़ सुखागे, दुहना रोवय घर मा। बड़ बिपत म तैंहा परबे, रोबे आठो पहर मा। :- गउ पीरा नइ दिखय काबर, कोढ़िया परगे तोरे जांगर, अब तो बन तैं सुजान ग भैय्या.. गउ धन ल लक्ष्मी जान......... चेतौ अउ चेतावव जुरमिल, गउ ल कोठा म बांधव जी। दूध-दही ले जीव जुड़ाही, छेना म जेवन रांधव जी। खेत-खार बर गोबर खातू, बैला म नांगर फांदव जी। चलो जुरियावव जुन्ना गांव म, भैय्या उधौ माधव जी। :- माई परब हरेली देवारी, गउ बर लोंदी थारी-थारी, सोहई संग आशीष पान ग भैय्या.. गउ धन ल लक्ष्मी जान........... ✍ मिनेश कुमार साहू विशेष शिक्षक एवं नैदानिक मनोवैज्ञानिक भुरभुसी गंडई/ माना कैंप रायपुर
रचना2 शीर्षकन :- नइ जाँवंव ससुराल कभू मँय मोर मयारु भाई रे
रचना2 :- *गीत ..नइ जावंव ससुराल* टेक-नइ जावंव,ससुराल कभू मंय, मोर मयारू भाई रे.......२ :- मोला फेंक ,ढकेल भले तैं, कोनो कुंआ, कोनो खाई रे.... मोर मयारू भाई रे......... सास बिठौलिन देथे गारी, लबरी ननंद घलो करथे चारी। नान्हे पन के बैगुन बाढ़य, संईया ह मारथे खोर दुवारी।। :- मंय बेटी ,गाय बरोबर, चारो खुंट कसांई रे........२ मोर मयारू भाई रे.......... काबर देहव बेटी जनम ल, दुःख मा कोसंव फूटहा करम ल। कखरो बर मंय भेद नइ करेंव, सिरतों बांटेव अपन धरम ल।। :- मंय जेवन बर,तरसत रहिथौं, जइसे ताकय बिलाई रे....२ मोर मयारू भाई रे......... मंय हंव पलईया, मंय सिरजईया। सगरो जगत के, बोझा बोहईया ।। :- अइसे लगथे,गोड़ बिछलगे, दाहिज डोर के काई ले.... मोर मयारू भाई रे....... ✍ मिनेश कुमार साहू विशेष शिक्षक एवं नैदानिक मनोवैज्ञानिक भुरभुसी गंडई/ माना कैंप रायपुर
पुरस्कार :- रचनाकार सम्मान (वक्ता मंच रायपुर), साहित्य सारथी सम्मान (हरियाणा), आंचलिक भाषा सेतु सम्मान (हरियाणा) हिंदी मित्र सम्मान, विशेष प्रतिभा सम्मान,(महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन)बिलासा साहित्य सर्वश्रेष्ठ सृजन सम्मान