छत्तीसगढ़ी के वर्ण माला कुन्हू अलग नी हे ओ हर देवनागरी लिपि ले ही काम चल सकत हे काबर की बोली - भाखा तो उहीच है । ये मा लिखे पढ़े मा हु - बा - हु - ब ही हावे । हिन्दी, मराठी, संस्कृत, गुजराती, भोजपुरी, भागलपुरी, अवधी, छत्तीसगढ़ी भाषा - बोली मा एके वर्ण माला होथे । जम्मों मा मात्रा के एक जइसन ( मत ) परयोग होथे । जम्मों जगा ये स्वर ले ही तो सब्द ( शब्द ) निकरथे ।
जइसे ÷
1 . आ ले ा जइसे : - माला, माता, मामा, काका, गाला, तारा, जाला आदि ।
2. इ ले ि जइसे : - गिरइया, चिरइया, किकिअइया, बइहा, दइया आदि ।
3. ई ले ी जइसे : - दीदी, बीबी, पीकी, पीठी, चीपी, चीकी, लीची आदि ।
4. उ ले ु जइसे : - कुकुर, कुला, झुला, कुआ, कुलुप, फुली, भुरी आदि ।
5 . ऊ ले ू जइसे : - नून, धून, गून, जून, बूच, घूच, रूस, सूल, चून आदि ।
6 . ए ले े जइसे : - ये डाहर, येकर, ये कोती, येती, तेती, नेती, जेती आदि ।
7 . ऐ ले ै ( अइ ) जइसे : - रइद, मइट, सइद, खइटहा, खइरा, भइरा आदि ।
8 . ओ ो ल जइसे : - मोला, ओला, झोला, खोला, चोला, कोला, तोला आदि ।
9 . औ ले ौ ( अउ ) जइसे : - जड, अठ, खत, गउ, नउ, भठ, लउ आदि ।
10 . अं ले ं जइसे : - अंग, कंठ, गंज, झंग, टंग, दंग, भंग, ढंग, लंग, संग, संठ, दंगा, नंगत, खंजेरी, गंजेड़ी, भंगड़ा, भंगेड़ी, लंगड़ा, लंगड़ी, आदि ।