जीनिस ( संज्ञा )
छत्तीसगढ़ी मा घलोक वस्तु, स्थान, प्रानी या भाव के नाम ल जीव जीनिस केहे जाथे । हिन्दी भाषा मा येला संज्ञा कथें । ये हा जनमानस के मुंह ले सहजभाव ले निकर परथे ।
जइसे : - नदिया, नरवा, तरिया, लरिया, कलम, खपरा, गधरा, हाड़ी, लौली, पानी, काँजी, सुपा, मनसे, हँसिया, कुँआ, बावली, घर, अॅंगना, सुपा, बाहरी, टुकनी आदि ।
परकार : - हिन्दी भाषा मा संज्ञा के चार भेद माने जाथे अउर छत्तीसगढ़ी मा दु परकार के जीव - जीनिस होथे ।
1 . जीव - जीनिस ।
2 . वस्तु - जीनिस ।
3 . जघा - जीनिस ।
4 . भाव - जीनिस ।
1 . जीव - जीनिस : - दुनिया के जम्मों प्राणी जीव ऐ । जेमा गोठियाय, बतराय, चले - फिरे, गुस्सा, लोभ - लहर, मैथुन, नींद, भुख - पियास, दुःख - सुख, ताकत बर जीव ( चेतन ) कहीथे अउर जे गोठ - बात जीव नी कर सके ओला जड़ ( अचेतन ) कहीथे । जड़ मा चले - फिरे, नींद, भूख - पियास, मैथुन, प्रेम, आशा - निराशा, पीरा - हीरा, सदभावना, दया - मया जइसन सुभाव नी होवे । चेतन जइसे जन्तु - जीव अउर अचेतन जइसे रूख - रई, डोंगरी - पहाड़, कुंआ - बावली, खेत - खार, घर - दुवार आदि
( अ ) रूख - रई : - येमा नान्हे ले नान्हे अउर बड़े ले बड़े पउधा ( पौध ) आथे । येमा भाखा नई होवे पर सांस ( श्वास ), पोषन, चलन, बिरधी के सकती रईथे । रूख-रई मन इही गिनती मा आथे।
1 . नार - बियार : - ये बेला, लता जाति के होथे । अपन सहारा मांगथे अउर उही मा लपटा के उतुंग चड़ जाथे, नहीं ते भूयाँ मा एती - तेती फईल ( छिछल ) जाथे ।
जइसे : -तोरई, झुरगा, मखना, बरबट्टी, फूट, बोदेला, खीरा, डोड़का, कलिन्दर, डोटो, करेला, खेकसी, कुंदरू, चमेटा, तूमा, भोसका उरीद आदि।
2 . चेर ( रेसा ) वाला रूख : - ये हर अइसन रूख हे जेकर ले चेर ( रेसा ) कस ओकर खांधा - जकना ले निकरथे अउर ओखर बुरुस बनाय के काम मा ले आर्थे ।
जइसे : - बाँस, रामदतोंन, बंमरीदतोन, छींद, परसा जड़ी आदि ।
3 . ओनहारी : - येखर पउधा ( पौध ) नान्हे होथे, जेला दलहन के नाम ले जाने जाथे । येमा घलोक थोकुन नार कस होथे ।
जइसे : - उरीद, चना, तिवरा, लाख, लाखड़ी, बटुरा, मटर, राहेर आदि ।
4 पौधा : - ये बुटरी किसम के पउधा होथे, जेला हमन बिरूआ घलोक कही देथन । हमर जिनगी येखर बिगन सून्ना अउर अधूरा है । ये बजरा दवाई - बुटी के काम मा आथे ।
जइसे : - तुलसी, भोइलीम, कपसा, धतुरा, गोंदाफूल, मोंगरा, धान, गहूँ आदि ।
5 . कांदा - कुसा : - ये घला जानदार होथे । जेहर भूयाँ के तरी मा गाँठ बनाके बईठथे जेला कांदा - कुसा कथन । येला उपास - धास अउर हर परिवार उपयोग अउर चाव के साथ खायें ।
जइसे : - कोचईकांदा, आदा, हरदी, शंकरकांदा, सेमरकांदा, दशमूर, गोंदली, लसून, करूकाँदा, आलू आदि ।
6 . तिलहन ( तेल) - ये खान - पान बर चिकनई मा आथे । येखर बिगन सरी हमर रोजी जिंनगी अबिरथा हे । तेलवाला फर मनसे जात बा गंज उपयोगी है ।
जइसे : - तिली, सुरजमुखी, कुसूम, टोरी, करंज, सरई, अरसी, मुंगफागी, राई, सरसों, अण्डी, बगरंडा, सोयाबीन, लोम, पामआईल आदि ।
7 . विरूआ ( पेड़ ) : - येमा बड़े - बड़े पेड़ आथे जेला बिरूआ कथें । येखर ले . लकड़ी, तेल, पत्ता ( पाना ), गोंद ( लाशा ), रंग, छाली, जड़, छइयाँ, सुन्दरद ( सौंदर्य ) फूल, फर, हवा अउर पानी घलोक मिलथे ।
जइसे : - बमरी, बोईर, सिरसा, नीम, नीलगिरी, परसा, कऊहा, मउहा, आमा, कुर्रू, बर, अमली, पीपर, गस्ती, सरई, तेंदू, चार, खैर, कदम, डुमर आदि ।
8 . चिखनाचटनी : - ये फर हमर रोजिना के उपयोगी है । कतकोन बढिया । साग - पान, दूध - दही, मही, मेवा - मिष्ठान, कलेवा बने रही अउर चटनी नी हे ते सुवाद ( स्वाद ) फोकटदया हे, जेवन खाय सहीं नी लागे ।
जइसे - धनिया, पदीना, मेथी, मिर्चा, बंगाला, अउर आमा - अमली आदि ।
9 . फूल : - कईठन पौधा या रुख के फूल साग बना के खाये जाये जे अब्बड़ मिठाथे ।
जइसे : - फूलगोभी, मुंनगा फूल, केरा फूल, बोहार फूल, कुमड़ा फूल आदि ।
10 . मीटफर : - ये तो अमरित हे । अमरित फर के सुवादे अउरे हे मजेदार । एहा अबड़ेच गुडतुर लागथें । नंगते खाय - खाय ला भाथे अउर खवाथे घला ।
जइसे : - अरमपपई, केरा, छिताफर, आमा, अमरुद, कुर्रू, चार, रामफर, तेंदू आदि ।
11 . अम्मटफर : - येला कुन्हू खात रथें ते देखईया मन के घलोक मुंँह पंछा जाथे अउर खाय - खाय ला भाथे ।
जइसे : - आमा - अमली, कुसूमफर, अटर्रा, बोईर, चिल्टा, नासपत्ती, लीमऊ संतरा आदि
12 . करुफर : - कुदरत के बिचित्तर खेल है । कहाँ ले करु - कसा, मीठ, अम्मट ला सकेल के पईदा करथे येला कोन जानथे । ये धरती माता के गरभ मा जम्मो हे । ये मनसे के नीही भगवान के देन हे ।
जइसे : - कस्कांदा, करेला, लीम, कुंदरू, खीरा आदि ।
13 : कस्साफर : - ये आइसन फर हे जे गेदराय चाहे पाके रहाय, कस्सा तो रहीथेच । ये धरती हा कहाँ ले कस्सा ला सकेल के लानथे, हमन नी जानन । एक कहावत हावे कि
" जे त्रीफला के फॉका खही, ओखर घर बईद नी जही ' ।
जइसे : - चिरईजाम, बोहारफर, मौलसिरी, आँवरा, बेहडा, हर्रा आदि ।
14 . पत्तासाग : - ये घलो हमर जिनगी मा काया के पुष्टई के काम करथे । येमा बने किसिम के विटामिन रहिथे ।
जइसे : - चेंचभाजी, लालभाजी, पटवाभाजी, चरौटाभाजी, गुर्रुभाजी, पोईभाजी मछरीयाभाजी, कांदाभाजी, गांवभाजी, केनीभाजी, बर्रेभाजी, चौलाईभाजी आदि ।
15 . खींच के खाय के साग : - येला चबाय अउर लीले नी जावे । टोटा मा फंँस जाथे । येला आरुग खींच - खींच के या दाँत ले तौर - तीर के खाय ले सुवाद आथे ।
जइसे : - जरी या खेड़हा, मुनगा साग आदि ।
16 . काँदी ( घास ) : - ये हर हरियर होथे । ये हमर घर के पुरा आधार ये । गाय - गरू के खाय बर अउर येखर संगे - संग खेती मा धला अबड़ेच उपयोगी हे । हमर खेती करईया जानवर मन के ये हा चारा ये ।
जइसे : -दुबी, हफुआ, बगई, छीर, सुकला, फूलबाहरी, कोटा, काशी, कुशा, कोदो, गाद आदि।
17 . खुइला साग : - ये साग के उपयोग बिशेष बेरा मा होथे । पहिली ले येला सुखा, उसन के या आगी ले भूँज के राखे रथें । बासी - भात के संग मा ये खुइला के रथिया के साग के मजा तो अउरे हे । जब कुन्ह साग - पान नी मिल पाय त या पनीया अकाल मा येला रांधके खाय जाथे ।
जइसे : - भाजी खुइला, भाटा खुइला, सेमी खुइला, जिमिकांदा खुइला, फूलगोभी, सुकसी के खुइला आदि ।
18 . चारा : - येला हमन भूँसा कथन । जे सूक्खा रहिथे । येहा अबड़ेच दिन तक गाय गरु ला खवाय के काम मा लाये जाथे । येला चम्मास मा अउर समे समे मा खवाय जाथे ।
जइसे : - उरीदभूँसा, लाखड़ीभूँसा, पेराकुट्टी, गहूँ भूँसा, धान कोड़हा आदि ।
( ब ) 1 . जन्तु : - येमा छोटे परानी ले ले के बड़े - बड़े जीव - जन्तु तक आथे । येखरो कई परकार के ( भेद ) हे ।
जइसे : - कीरा - मकोरा ( कीड़ा ), पंखेरुआ, पशु, मानव, आदि ।
( क ) कीरा ( कीड़ा ) : - येमा कीरा - मकोड़ा आथे । जेहा काया ला हलाकान, परसान करते रथे । रोग - रई, रोगाणु, कीटाणु आदि के नाम ले जाने जाथे ।
जइसे : - बैक्टेरिया वायरस, अमीबा, पेरामीशियम, लार्वा, आल्लरकीरा ( सहस्त्रपाद ), कछुआ, आंधासांप, सेलार, भूँसाकिरा, गुंड मच्छर या मच्छर आदि ।
1 . भूयाँ के भीतरी के कीरा : - ये ओ किरा ये जे भिहाँ के भीतरी मा रहिथे । माटी ला खाथे - पीथे अउर माटी मा हागथे । उही हा खातु बनथे
जइसे : - दियार ( दीमक ), ( घुँईकीरा, गेंगरवा, बॉमकीरा, मुंँसलेडी आदि ।
2 . भूयाँ उपर के कीरा : - आल्लरकीरा, आंधासांप, भंसाकीरा, चांटी, चाटा, चपोड़ा, रठतईन कीरा, सूरसूरी आदि ।
3 . पानी के कीरा : - मेचका, मछरी, सांप, अमीबा, बाँभर, रुदई, घोघी, मेचका, मछरी कछवा आदि ।
4 . बादल या हवा के कीराः - फूरफूदी (बनिया), तितली, तिलगा, मच्छर, मदरस माँछी, भाँवर, लोकटी, पीरपीट्टी सांप आदि ।
5 . लकड़ी कीरा : - घुना, कटकीरवा, दियार ( दीमक )।
6 . जानवर मन के कीरा : - भोंगर्रा कीरा, अंधरीमाछी, दंतिया, करिया दतिया आदि ।
( ख ) पंखेरू जन्तुः - येमा रंग - रंग के नान्हे - बड़े चिरई - चिरगुन आथे । इखर हाथ नई रहाय, दू ठन डेना अउर दू ठन पाँव, एक ठन मुंह होथे । मुँह हर हाथ के काम करथे अउर डेना ले उड़ाय के काम करथे । येखर नेक परकार है ।
जइसे :
1 . पिंजड़ा पंखेरू : - परेवा, सुआ, मैना, पड़की, तितुर, गुरू आदि ।
2 . बनईला पंखेरू : - बया, भरही, लिटिया, बनकुकरा, कोयल, कोयली, टेहों, मंजूर, साई कुकरी, हरील, टेहर्रा चिरई आदि ।
3 . लुकुआ चिरई : - येहा धान के करपा मा अक्सर लुकाए रथे, जेला तितूरकथे ।
4 . परवा ( छानी ) चिरई : -कौआ, गौरइया (चटिया), कबूतर, परेवां आदि ।
5 . जनम के सिधवा चिरई : - धन चिरई, साल्हो, सल्हई आदि ।
6 . खाजी, खाने बाला पंखेरू : - कुकरी, कुकरा, बतक, परेवां, पड़की आदि ।
7 . जलीय पंखेरू : - बतक, पनडुबी, बगुला, कोकड़ा, अइरी, केवटपदरा आदि ।
8 . निसाचर पंखेरू : - गेदूर, घुघवा, धनगिदरी, कटखोलवा आदि ।
9 . शिकारी पंखेरू : - बाज, गिधान, कौआ, ब्राह्मणीचिल, साईकुकरी आदि ।
( ग ) पशुः - येखर लंग मा ( अन्तर्गत ) पालतु ( पोसलो ) पशु आथे । येखर घला दुई ठन भेद ( प्रकार ) हे ।
1 . घरेलु पशु ( पोसलो ) : - येमा गाय, बइला, छेरी, बोकरा, बरई, भइसा, भइसी आदि ।
2 . पोसलो हिंसक पशु : - बिलई, बरहा, कुकूर - माकर आदि ।
( घ ) बनईला हिंसक पशुः - ( वन के पशु ) बाघ, सेर, चितवा, हुर्रा ( लकड़बग्घा ), कोलिहा, बनभइसा, बनसूंवर, भालू आदि ।
( ङ ) उदासीन जानवर : - ( सीधवा ) मिरगा, मिरगीन, भटेलिया ( खरगोश ), कोटरी ( चितर ), नीलगाय आदि ।
( च ) काल जानवर : - सांप, बिछी, नेवरा, अदरोली, छिपकली, टेटका, घीरिया आदि ।
( छ ) काल कीरा : - छ : बूंदिया, दतिया, भावर, तेलहाचाटी, चपोड़ा, ढेकनाआदि ।
( ज ) मुरदा खवइया : - बिज्जू आदि ।
( झ ) बन मानुषः - येहा हू - बा - हू - ब मनखे कस दीखथे अउर निरीह परानीहे
( ज्ञ ) मानुष चोला : - मनसे ( मनखे ) हा संसार के जीव मा सबसे ऊंचहा अउर चौरासी लाख योनी मा महान प्रानी हे । येखर लंग बानी, संस्कृति, सभ्यता होथे । येखर महिमा के बखान मैं कइसे करके कोन मुँह ले करहूँ कथों, येला सब्बो जानथो । देवता घलोक ये तन ला पाय बर ललइत रथे । मनसे तन दुर्लभ देह हे । नर ले नरायन अउर देवधामी बनथें अउर धरती ला सरग - नरक इही हा बना देथे ।
2 . वस्तु - जीनिस ( वस्तु वाचक संज्ञा ) संसार मा जतिक वस्तु होथे ओखर नाम हमर छत्तीसगढ़ मा वस्तु - जीनिस केहे गेहे, जेला पदार्थ कथे । हमर बोली के मुताबिक संसार के कोनो वस्तल चीज कहे जाथे । येखर रूप, रंग, आकार, आयतन, दाम, गुन ( गुण ), अवगुन सब होथे । येखर तीन भेद होथे :
1 . ठोस ( निन्धा ) : - ठोसहा, लोहा, राँगा, ताम्बा, दर्पन, कांच, लकड़ी, भारी कपड़ा, बर्तन - भाड़ा, खटिया - वटिया, सकर आदि ।
2 . दव्य ( पानी कस ) : - ये पानी कस तरल होथे । पानी, तेल, दूध, दही, मही, माटीतेल पेटरोल, डीजल, रस, सरबत, लिकवीटसोप, केमिकल आदि ।
3 . गेस ( हवा कस ) : -ये हर हवा जइसन होथे। आक्सीजन, नाईट्रोजन, नियान, हीलियन आदि।
3 . स्थान - जीनिस ( स्थान वाचक संज्ञा ) : - ये जीनिस के शब्द ले कुन्हू स्थान के बारे मा पता चलथे ।
जइसे : - मंदिर, घर, कुरिया, कुंआ, बावली, तरीया, डबरी, पोखर, धरमशाला, खेत, मदरसा, डोगरी, पहाड़, जंगल, होटल, कोठार, कोठा, आँट, अंगना, परछी, कणेश्वर, शिवरीनरायन, राजिम, रायपुर, शीतला, गढ़, छत्तीसगढ़ आदि ।
4 . भाव - जीनिस ( भाव वाचक संज्ञा ) : - जे जीनिस के शब्द ले गुन, धरम, दोस, अवस्था, के भाव परगट होथे ओला भाव जीनिस कथे ।
जइसे : - कलपना, पूजा, भगती, जुवानी, बीरता, सत, लइकुसहा, उतारु, भलई, मनोती, चिल्हाट आदि ।
जइसे : - रयपुरहिन हा सत गोठियाथे । शिवाजी के बीरता ला कोन नौ जाने?