ये शब्द जाल हे, जेला ओखी, बाक्य, टेक आदि कहिथें । हिन्दी भाषा मा जिहाँ ' है ' के परयोग होथे, छत्तीसगढ़ बोली मा हे, ए, अहै, हावै, हवै, अय, ऐ, आय के परयोग होथे ।
जइसे : -
जा ते, घर मा हावै, रायपुर मा हवै आदि ।
1 . जेन जगा कोनो कारज के अनिश्चितता पाये जाथे ओ मेर क्रिया के आखिर (अन्त ) मा ' हे ' लगथे अउर छेंवर छाप (पूर्णविराम ' | ' ) लगथे । येखर अरथ भी हिन्दी के ' है ' के रूप मा होथे ।
जइसे : -
राजिम करहिन हा हाट जावत हे । गोर्रा ले गाय हर भगा गे हे ।
2 . छत्तीसगढ़ी मा ' ए ' के परयोग कोनों मनसे ( आदमी ) के नाम, जघा, वस्तु, इसारा ( इंगित ) करे बर या आँखी के समेरा ( सामने ) रथे, ओला बताय बर होथे ।
जइसे : -
एहर जनम के बिलई टूरी ए ।
एहर चाँदी के पैर पट्टी ए ।
3 . छत्तीसगढ़ी मा ' ऐ ' के परयोग हर ' ए ' कस ही होथे पर कभू कभू चकित गोठ मा भी हो जाथे ।
जइसे : -
ऐ ! तें आगे रे?
ऐ ! तँ खाबे रे?
ऐ! ते जाबे रे?
ऐ ! पाये रे?
4 . ' अहै ', ' हावै ', ' हवै ', ' अवय ' के परयोग : -
' अहै, हावै, अउर, हवै ' शब्द के अर्थ एक जइसे होथे पर ठउर, गांव ला जान के परयोग करे जाथे । येला ' है ' के अरथ मा परयोग करथन । जिहाँ कुन्हू बात मा जीनिस के उपस्थिति होथे, उहाँ ' हवै ' शब्द ला मीठ - मीठ कहे जाथे ।
जइसे : -
पहुना अहै ओला जेवन दे देहू ।
जा कहि देबे ओहर कुरिया मा हवै ।
हाँ ! हमर घर मा गोंदा बारी हावै ।
( अ ) बहुवचन बनाय खातिर मन परयोग करे जाथे ।
जइसे : -
तिरिया मन पानी भरत हवैं ।
आज कल टूरी मन घला कबड्डी खेले ला सिख गे हावैं । एकीसवी सदी हा नारी युग हावैं ।
5 . ' हे ' के बहुवचन मा जिहाँ अभी ( वर्तमान ) बुता करत रथें अउर ओकर बहुवचन रथे त ' हे ' के स्थान मा ' हे ' कहे जाथे ।
जइसे : -
टूरी - टूरा मन पढ़े ला जावत हैं ।
नोनी बती मन खाय बर बइठत हैं ।
6 . ' एह ', ' एहे ', ' गेह ' अउर ' गेहे ' के परयोग गलती या दुख, अफशोस बताय बर होथे ।
जइसे : - एहे ! काम बिगड़ गेह ।
एह ! टूट - फाट गेहे ।
( अ . ) कभू - कभू कोन्हों ला हल्का सचेत अठर दुख ला दूर करे खातिर गोठ । के सुरू में ' ए ' " उहाँ ' परयोग होथे । येखर सेती दूसर आदमी मन सूने वर लग जाथे ।
जइसे : - एगा ! सून तो ले बाबू ।
एगा भइया ! मोला जावन दे ।
उहाँ बने जाबे ।
( ब . ) येमा कभू - कभू ' या ' के परयोग भी होथे । हमर छत्तीसगढ़ मा नोनी या बाबू, संगी - संगवारी परेम ले ' या ' शब्द के परयोग करथें ।
जइसे : -
मोर संग तरिया नहाय ला तहूँ जाबे या?
तुमन कायबा हर बेरा खिसियात रइथव या?
7 . ' हे / हेया ' के परयोग ' नहीं ' ( नाकारात्मक ) अरथ मा आचर्य बोधक बनाय - गोठियाय खातिर होथे ।
जइसे : -
हे ! अइसना काम काबा करे?
हेया ते नी जाबे का ।
हेया ! तें काबर नी जाबे?
हेया ! नी गे तें बने करे ।
हे, हे ! का दाँत निपोरत हस?
हेया । तें एको बरजना ला नी मानस ।