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बाक्य परयोग

' हर ', ' ए हर ', ' बो हर ', ' मैं हर ', ' वो हर ', ' मैं हा ', ' मही ', ' एही ', ' इही ', ' जे हर ', ' जेन हर ', ' जिन हर ', ' तिन हर ', ' तें हर ', ' तैं हर ' के परयोग ।

1 . ' हर ' ( ने ) : - जिहाँ हिन्दी मा ' ने ' हा कर्ता के आगु मा परयोग होथे, उहाँ छत्तीसगढी मा ' हर ' के परयोग होथे । प्रथम, द्वितीय, अउर तृतीय पुरुष के उधाहरन मला खाल्हे देखो :

प्रथम पुरूष : - मैं हर, मैं हाँ, हम हर आदि ।

जइसे : -

मैं हाँ गढ़ मा रहूँ ।

द्वितीय पुरुष : - तैं हर, ते हर, तेन हर, तुं हर, तुही, एही आदि ।

जइसे : - तैं हर गढ़ मा रहिबे ।

तृतीय पुरुष : - उन हर, हर, जे हर, जेन हर, वो हर आदि ।

जइसे : - जेन हर गढ़ मा रहही उही हर पट छत्तीसगढ़िया बनही ।

2 . ' मैं हर ', ' मैं हा ' अउर ' हम हा ' ( मैंने / हमनें ) : - कर्ता प्रथम पुरुष ' मैंने ' के स्थान मा ' मैं हर ', ' मैं हा ', ' मय ' अउर ' हम ' के स्थान मा ' हम हा ' के परयोग होथे ।

जइसे : -

मैं हर गये ओं । ( मैं गया हूँ । )

मैं हर करहूँ । ( मैं करुंगा । )

मैं हा जाओं ? ( क्या मैं जाऊँ ? )

मैं हा रमायन पढ़थों । ( मैं रामायण पढ़ता हूँ । ) ।

3 . ' तैं हर, तैं हा ' ( तुमने, तुम, आप ) : - ए शब्द हा द्वितीय पुरुष एक वचन के जगा मा परयोग होथे । ' तैं हर ' हिन्दी के ' तुम ' सर्वनाम शब्द बनथे ।

जइसे : -

तैं हर काबर नी करे ? ( तुमनें क्यों नहीं किया ? )

तैं हर खाबे के नहीं ? ( तुम खाओंगे या नहीं ? )

तैं / तैंहर चल देये । ( तुम चले गए थे । )

4 . ' तुँ हर / तुं हर ' ( आप का, आपने ) : - ' तैं हर ' के बहुवचन ' तुँ ' हर ( आप ) होथे । जेकर से बाक्य हा आदरसूचक बन जाथे ।

तुँ हर जोरा होगे का ? ( क्या आप का सामान बंध गया ? )

तु हर गांव मा कतीक झन जाही ? ( आप के गाँव में कितने लोग जायेगें ? )

5 . ' तुम्हर ' के एक वचन ' तोर ' होथे ।

जइसे : -

तोर घर सूते ला जाबों । ( तुम्हारे घर सोने के लिए जायेगें । )

तोर घर जाबो । ( तुम्हारे घर जायेंगे । )

तोर घर मोला लेजबे । ( तुम्हारे घर मुझे ले जाओगे । )

तोर भाखा नीक लागथे थोकुन । ( तुम्हारी भाषा थोड़ी सी अच्छी लगती है । )

6 . ' हर अउर इन हर ' ( इन्होंने ने, इसने और यह ) : - शब्द ला देखौ ।

जइसे : -

एहर जाही । ( यह जाएगा । )

एहर काम आ जाही । ( यह काम आ जाएगा । )

एहर काबा आइस ? ( यह क्यों आया ? )

एहर तो कहीस । ( इन्होंने तो कहा । )

एन हर का कहीस । इन्होंने क्या कहा । )

एन हर तो बताइस । ( इन्होंने तो बताया । )

7 . ' एही अउर इही ' ( इसने ही, इसी ने ही और यही ) : - द्वितीय पुरुष बा परयोग होथे ।

जइसे : -

एही करा आना । ( यहीं पर आओ न । )

एही हर तो कहिस । ( इसी ने तो कहा । )

एही हर तो मारीस । ( इसी ने तो मारा । )

इही हर तो गारी - गुप्ता दिस । ( इसी ने तो गाली - गलौच दिया । )

इही तो गीस हे । ( यही तो गया है । )

8 . ' एकर, एखर, एकरे, एखरे ' ( इसी का, इसका और इसके ) : एकरो परयोग ला देखव खाल्हे ।

जइसे : -

एकरे खातिर तोला बालायेंव । ( इसी के कारण तुमको / आप को बुलाया है । )

एखर गोठ मा तें झन आ । ( इसकी बातों में तुम न आओ । )

एकर मेर तो हावे । ( इसके पास तो है । )

एखर करा कहां पाबे ? ( इसके पास कहाँ पाओंगे ? )

9 . ओकर, ओखर, वोखर, वोकर, ओकरे, ओखरे ( उसी का, उसका और उसके ) : - येमा बाक्य परयोग देखव ।

जइसे : -

ओकर टूरा - टूरी बने हावे । ( उसके लड़का - लड़की अच्छे हैं । )

ओखरे गोठ का गोठियावव ? ( उसकी बातें क्या बताऊँ ? )

ओकरे संग जाबे तैं । ( तुम उसके साथ जाओगे । )

ओखर मन बने - बने हे ? ( उसका मन अच्छा तो है ? )

वोखर आगु हमर का चलही ? ( उसके सामने हमारी क्या चलेगी ? )

वोकर नोनी - बाबू नांदे नहीं । ( उनके बाल - बच्चे जीवित नहीं रहते हैं । )

वोकर बात छिलगत चलथे । ( उसके बाते तो लम्बे - लम्बे चलता है । )

10 . ' जिन हर, जेन हर, जे हर अउर जौन हर ' ( जो, जिसने, जिन्होंने ) : एकरो बाक्य मा परयोग ला घलो देखव ।

जइसे : -

जेन हर करही तेन हर भरही । ( जो करेगा सो भरेगा । )

जे हर जाही तेहर पाही । ( जो जावेगा सो पावेगा । )

जौन हर जाही ते पाही । ( जो जायेंगे वे पायेंगे । )

जौन हर बोलही ओहर डोलही । ( जो बोलेगा वह हीलेगा । )

11 . ' उनकर ' ( उनका ) : - ' ओकर ' के बहुवचन ' उनकर ' होथे । ए शब्द के उपयोग होते रथे ।

जइसे : -

उनकर ले बचे तब । ( उनसे शेष बचे तब । )

उनकर ले कोन गोठियाही । ( उनसे कौन बातें करेगें । )

उनकर ले बरियार या सबल कोन है । ( उनसे शक्ति शाली कौन है । )

12 . ' ओहर, वोहर अउर उनहर ', ( वह, उसने और उन्होंने ) : - एकरो परयोग ला देखव

जइसे -  

ओहर आही । ( वह आयेगा । )

ओहर जावत हावै । ( वह जा रहा है । )

वोहर आवत हावै । ( वह आ रहा है । )

उनहर जाहीं । ( वे जायेंगे । )

उनहर खाही । ( वह खायेगा । )