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वर्ग शब्द

बाक्य परयोग

' ही ', ' खा ', ' से ', ' हाँ ' अउर ' मा ' के परयोग

' ही '

1 . ' मही / तुही / वोही / उही / ओही / इही ' ( मैं ही / तुम ही / वही / यही / उसी ) : - सर्वनाम के प्रथम अउर तृतीय परुष मा ' ही ' शब्द ला प्रत्यय के रूप मा जोड़े ले ओ हा हिन्दी के भी ' ही ' अरथ बताथे । कहूँ - कहूँ संकेत बताय बर भी एखर उपयोग होथे ।

जइसे : -

मही हर केहे रेहेंव । ( मैंने ही कहा था । )

ओही हर मारिस हे । ( उसने ही मारा है । )

उही ला तो गोठियात हावँव । ( उसी को तो कह रहा हूँ । )

वोही मेर आबे । ( वहीं पर आना / उसी जगह आना । )

वोही हर बताइस हे । ( उसने ही बताया है । ) आदि ।

नोट : - वइसे हिन्दी के ' मैने ही / तुमने ही / उसने ही ' शब्द बर छत्तीसगढ़ी मा ' मँइ हर / तँइ हर / वइ हर ' शब्द के उपयोग भी होथे ।

जइसे : -

मँइ हर गे रहेंव । ( मैं ही गया था । )

तँइ हर चोराय हस । ( तुमने ही चुराया है । )

वइ हर जादा पढ़थे । ( वही ज्यादा पढ़ता है । ) आदि ।

2 . कभू - कभू क्रिया के प्रत्यय के रूप मा भी ' ही ' शब्द हर भविष्य काल के बोध कराय बर क्रिया के तृतीय पुरूष दूनो वचन के संग मा जुड़थे । ।

जइसे : -

ओहर गाना गाही । ( वह गाना गाएगा । )

मोहन काली आही । ( मोहन कल आएगा ।)

राधिका हा हाट जाही । ( राधिका बाजार जाएगी । ) आदि ।

नोट : - अइसनेच नेक ठन क्रिया हे : - जाही, पाही, कमाड़ी, खाही, पाही,

लानही, गाही, लजाही, बताही, मोहाही, सुहाही, बनाही, लीपाही, मताही, पीराही, पढ़ाही, लिखाही, खवाही, जीही, पीही, फूलही, मिलहो, मुचकाही, पोही, मोहाही, खोही आदि

' खा '

छत्तीसगढ़ी मा ' खा ' के उपयोग छत्तीसगढ़ी के ही ' बर ' अउर ' कारन ' शब्द कस हिन्दी के लिए ' अउर ' कारण ' शब्द बर किए जाथे ।

जइसे : -

काय खा ? ( किस लिए ? )

हमर खा । ( हमारे लिए । )

तुमर खा । ( तुम्हारे लिए । )

ओकर खा । ( उसके लिए । )

मोर खा । ( मेरे लिए । )

जेखर खा । ( जिसके लिए । )

तेखर खा ( तुम्हारे लिए ) आदि ।

' से '

छत्तीसगढ़ी मा ' से ' के परयोग भी प्रत्यय के रूप मा होथे । उधारन ला खाल्हे देखव ।

उधारन : -

' कईसे ' ( कैसे / किस प्रकार )

कईसे, कब खाबे ? ( क्यों, कब खाओंगे ? ) ' ' 

' जइसे ' ( जैसे / जिस प्रकार )

जइसे मै हा खने हों । ( जैसा कि मैने खुदाई की है । )

' वइसे ' ( वैसे / उस प्रकार )

वइसे बने हे । ( वैसे ठीक है । )

' अइसे ' ( ऐसे / इस प्रकार )

अइसे कइसे होही ? ( ऐसे कैसे होगा ? ) आदि ।

' हाँ ' / हँ '

1 . ' हाँ ' अउर ' हँ ' के परयोग स्वीकारात्मक रूप मा हिन्दी के ' हाँ ' अरथ बर किए जाथे पर जि, इ, ति, उ आदि के संग जुड़ जायले ओकर अरथ । बदल के स्थान वाचक सर्वनाम के रूप मा हो जाथे ।

जइसे : -

हाँ ! मैं जाहूँ । ( हाँ ! मैं जाऊँगा । )

हैं ! मैं खाहूँ । ( हाँ ! मैं खाउँगा । )

इहाँ ( यहाँ ) : - इहाँ गाना । ( यहाँ गाओ न । ) आदि ।

इहें ( यहीं ) : - इहें जाबे ? ( यहीं जाओगे ? )

कहाँ ( कहाँ ) : - ऊहाँ का पाबे ? ( वहाँ क्या पाओगे ? )

बहाँ = ( वहाँ ) : - बहाँ कहाँ हे ? ( वहाँ कहाँ है ? )

उहाँ ( वहाँ ) : - उहाँ आना । ( वहाँ पर आना । )

ऊहाँ ( वहाँ ) : - उहाँ कहाँ जाबे ? ( वहाँ क्या जाओगे ? )

जिहाँ तिहाँ ( जहाँ / वहाँ ) : - जिहाँ चाह तिहाँ राह । ( जहाँ चाह वहाँ राह । )

2 . क्रिया शब्द मा ' हाँ ' प्रत्यय ला जोड़े ले प्रथम पुरूष एक वचन भविष्य काल के संभाबना बताय बाला शब्द बन जाथे । जबकि ' हँ ' प्रत्यय जोडे ले ई मा भविष्य काल के निचित होय वाला क्रिया ला बताथे ।

जइसे : -

लहाँ ( लूँगा ) : - में कइसे खजानी लहाँ ( मैं कैसे खाने का लूँगा ? )

रहाँ ( रहूँगा ) : - मैं ए करा कइसे रहाँ ? ( मैं यहाँ पर कैसे रहूँगा ? )

खाहाँ ( खाऊँगा ) : - मैं काली आमा खाहाँ । ( कल मैं आम खाऊँगा । )

जाहाँ ( जाऊँगा ) : - मैं काली जाहाँ । ( कल मैं जाऊँगा । )

पाहाँ ( पाऊँगा ) : - मैं पाहाँ ( मैं वहाँ पर पाऊँगा । )

लाहाँ ( लाऊँगा ) : - मै लाऊँगा ( मैं वहाँ पर लाऊँगा )

        ' म / मा ' ( में / पर / पै )

     छत्तीसगढ़ी मा एखर परयोग स्थान वाचक सर्वनाम ला बताय बर होथे जेला खाल्हे कोती निहारो थोरकुन ।

जइसे : -

एमा ( इसमें ) : - एमा हवै । ( इसमें है । )

ओमा ( उसमें ) : - ओमा नी हे । ( उसमें नहीं है । )

कामा ( किसमें ) : - कामा जाबे ? ( किसमें जाओगे ? ( साधन में उपयोग है )

दोमा ( उसमें ) : - दोमा जाना । ( उसमें जाव ना । )

एम ( इसमें ) : - एम का हे ? ( इसमें क्या है ? )

वोमा ( उसमें ) : - वोमा कोन जाही ? ( उसमें कौन जाएगा ? )

वोमा ( उसमें ) : - वोमा तोला नी सुहाय । ( उसमें तुमको अच्छा नहीं लगेगा । )

केमा ( किसमें ) : - केमा तोला जाना है । ( किसमें तुमको जाना है )

जेमा / तेमा ( जिसमें / उसमें ) : - जेमा नहाबे तेमा बूड़बे ।