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वर्ग शब्द

बाक्य परयोग

' ति ', ' ती ', ' दे ', ' दँव ' अउर ' जइसे ' के परयोग

1 . ति ' घलोक के निशंख ( स्वतंत्र ) कोई अरथ नी है । परंतु कोई अक्षर - शब्द संग प्रत्यय के रूप मा जुड़ के दिशा संबंधी सार्थक शब्द बनाथे ।

जइसे : -

एति ( इधर ) : - एती आना । ( इधर आओ न । )

वोति ( उधर ) : - वोति अलहन हे । ( उधर खतरा है । )

कति / केती : - कती गीस हे ? ( किधर गया है ? ) आदि ।

2 . क्रिया के अन्त मा प्रत्यय के रूप मा ' ती ' जुड़े ले बेरा के बोध कराथे जेला निहार के देखव ।

जइसे : -

आती, आति बेरा । ( आते / लौटते समय । )

जाती खानी ( जाते समय । )

हजाती बेरा । ( गूमाते वक्त )

मरती बेरा / मरते समे । ( मरते समय )

खपती बेरा / खपते समे । ( खपत होते वक्त । )

पढ़ती बेरा / पढ़ते समे । ( पढ़ने के समय । ) आदि ।

3 . ' दे ' प्रत्यय ला ' ए / ओ / वो / या ' के संग जोड़ के एखर परयोग कुन्ह जीनिस ला निर्दिष्ट करे बर सामने वाला के धियान अपन डहर करे बर किए जाथे ।

जइसे : -

एदे पीढ़ा ! आवव, बइठव । ( ये पाटा है ! आइए बैठिए । )

वोदे माची ! लेओ बइठव । ( ये मचिया है ! लीजिए बैठिए । )

ओदे मंदिर है । ( देखिए वह मंदिर है । )

यादे रे ! बिछल के गिरगीस । ( ये लो फिसल कर गिर गया । ) आदि ।

नोट : - ' दे ' शब्द के हिन्दी मा अरथ ' दो ' भी होथे । एहा क्रिया के बाद मा उपयोग होथे ।

जइसे : -

मार दे, पीट दे, खा दे, जान दे, आन दे, भगा दे, हजा दे, नचा दे, गा दे, खवा दे, गिरा दे, नगा दे, लगा दे, हरा दे, गार दे, नंदा दे, सरा दे, हजा दे, गिरा दे आदि

4 . क्रिया के अन्त मा प्रत्यय के रूप मा ' दँव ' जोड़ के भी शब्द बनाये जा सकत हे ।

जइसे : -

माँग दव ? ( माँग दू क्या ? )

मार दव ? ( मार दूं क्या ? )

गा दव ? ( गाना गा दूँ क्या ? )

पी दव ? ( पी लूँ क्या ? )

बार दव ? ( जला दूं क्या ? )

ला दैव ? ( ला दूं क्या ? ) आदि

5 . ' दे ' ( इस ) के संग ' लंग, मेर करा ' जोड़ के भी वाक्य बनाये जाथे ।

जइसे : -

दे मेर घूँचा दे ।                 दे करा हटा दे ।

दे लंग जाना ।                  दे करा अमराना है ।

दे मेर लान दे ।                 दे लंग मढ़ा दे ।

दे मेर भेज दे ।                 दे मेर खोंच दे ।

दे लंग आना ।                  दे करा लगा दे ।

दे लंग बइठे रा ।               दे मेर खड़े रा ।

दे करा बइठा दे ।              दे लंग पसरा लमादे ।

दे मेर ले कहाँ गे ।                 दे लंग सूते रा बाबू । आदि ।

6 . ' ज ' के सम ' इ ' अउर ' से ' लगाय या फेर मिला के बोले जाय ले पूरा शब्द हा ' जइसे ' ( जैसे ) बन जाथे । छत्तीसगढ़ी मा एकर अब्बड़ परयोग होथे ।

उधारन : -

जइसे ओ बेरा आय के हे ।

( जैसे उस समय आने का है । )

जइसे जे के बेरा ये ।

( जैसे खाना खाने का समय है । )

जइसे के घाँव दे हस ?

( जैसे कितने बार दिए हो ? )

जइसे नोनीबती के बिहाव होही ।

( जैसे लड़की की विवाह होगी । )

जइसे ओला केहे रेहेंव ।

( जैसे उसे कहा था । )

जइसे जाबे का गा ।

( जैसे जाओगे क्या ? )

जइसे केहे रेहेंव

( जैसे कहा था । )

जइसे के हे रेहेव वइसने करे

( जैसा कहा था वैसा ही किया । ) आदि ।