1 . मरना : - कोन्हू क्रिया हा अगर अबड़ेच जोर ले होवत हे, त ओला बियक्त करे बर छत्तीसगढ़ी मा क्रिया के बाद ' मा ' तहाँ ले ' मरना ' शब्द ला जोड़े गोठ हा अउर गुड़तूर - जानदार हो जाथे । इहाँ एखर मतलब मरण या मृत्यु से नी हे ।
जइसे : -
जाड़ मा मरना ।
( अत्यधिक ठंड लगना । )
पियास मा मरना ।
( अत्यधिक प्यास लगना । )
पिसाब मा मरना ।
( अत्यधिक पेशाब लगना । )
भूख मा मरना ।
( अत्यधिक भूख लगना । )
पीरा मा मरना ।
( असहनीय पीड़ा होना । )
गरीबी मा मरना ।
( अत्यधिक गरीबी में जीना । )
नींद मा मरना
( अत्यधिक नींद सताना । ) आदि ।
नोट : - जब ' मरना ' शब्द के अरथ भी मरण या मृत्य होथे, त एखर बाक्य मा परयोग हा अलगेच होथे ।
जइसे : -
दारु पी के मरना ।
( शराब पीकर मरना । )
चिचिया - चिचिया के मरना ।
( चिल्ला - चिल्लाकर मरना । )
खा पी के मरना ।
( खा पी करके मरना )
कलप कलप के मरना ।
( ब्याकूल हो करके मरना ) आदि ।
( 2 ) अगैरह / बगैरह : - छत्तीसगढ़ के ए शब्द ला कहूँ - कहूँ चालिस ले ऊपर के उमर के पुरूष मन जघा देख के अउसर के अनुसार अबड़ेच गोठियाथें । छत्तीसगढ़ मा बगैरह बनाय के कुछेक अइसन नियम हावै । ।
1 . उ, ऊ, ओ अउर औ ले सुरू होवइया शब्द ला बगैरह बनाये खातिर उही शब्द के उ, ऊ, ओ अउर औ ला निकार के ओखर जघा मा ' स ' जोड़ के
बाकी शब्द ला गोठियाय जाथे ।
जइसे : -
उमा - सुमा । ऊल्ला - सुल्ला । ओली - सोली ।
औली - सौली । उहाँ - सूहाँ । आदि ।
2 . व्यंजन ले सूरु होवइया शब्द पहिली के आखर ला निकार के ओखर बदला मा ' व ' आखर जोड़े जाथे बाकी जेसने के तेरने रहिथे ।
जइसे : -
खार - वार । अगेरह - वगैरह । भाई - वाई । रीता - वीता । दही - वही । कलम - वलम । दही - वही । यहीं - वहीं । सही - वही । सरम - वरम । नरम - वरम । गरम - वरम । करम - वरम । भरम - वरम । धरम - वरम । साव - वाव । खाव - वाव । नहाव - वहाव । गाव - वाव । चोर - वोर । चाय - वाय । रद - वद । बात - वात । कोला - वोला । डोली - वोली आदि ।