देख न :
1 . देख न ' ( थोड़ा देखो न ) : - छत्तीसगढी मा कोन्हू ला परेम ले निवेदन पूरवक कुछू करवाय बर ए शब्द के परयोग करे ले गोठ हा बने गुडतुर, मीठ मीठ लागथे ।
जइसे : -
देख न या ! तोर लइका हा ऽऽ गिरत हावे ।
देख न दाई ओ ऽऽ ! मैं आवत हावँव थोरकन । आदि ।
नोट कभू - कभू एखर उपयोग सांग डारे बर या गवाही के रूप मा भी किए जाथे तेला देखव खाल्हे कोती ।
जइसे : -
देख न ग बबा ! ए टूरा हा मोला मारहूँ कथे ।
देख न ओ बहिनी ! ए मन लपर - लपर गोठियात हे ।
देख न ओ दाई ! मोला - तोला ओ टूरा मन अड़बड़ गारी देत रथे ।
देख न या ! दे टूरा मन एक्को नी सुनें । आदि ।
2 . देखबे ( देखना ) : - छत्तीसगढी मा कोन्हू ला सावधान करके कुछू
करवाय बर ए शब्द के परयोग दुनो वचन मा करे जाथे ।
जइसे : -
( एकवचन मा ) देखबे बिगड़े झन, में हा आवत हों ।
देखबे ओ ऽऽ ! हमीच मन जीतबोन । ( बहुवचन मा ) । आदि ।
3 . देख - देख / देख ' ( देखो - देखो / देख ) : - सतर्क करे बर येला परयोग होथे ।
जइसे : -
देख - देख ! लईका गिरत, हे थाम ले ओ ।
देख लेहूँ धमकी देवइया ! तोर फोकटइया गोठ ला ।
हाँ तोरो तो हे, मेछरात काबर हस ? हम देख लेबोन ।
आबे तो कभू मोर पारा, तहूँ ला देख लुहूँ ।
देख - देख ! कोन आवत हे तेला ? आदि ।
भर :
एखर परयोग अलग - अलग शब्द के संग अलग - अलग अरथ मा किए जाथे ।
जइसे :
1 . लमड़ी ( लंबाई ) नापे बर [ भर ' अर्थात् ' भर के ' ] : - एखर उपयोग लंबाई अउर गहीराई नापे के पैमाना ( स्केल ) के रूप मा होथे ।घुँठवा भर, माड़ी भर, कनिहा भर, बित्ता भर, डेटू भर, मुँड भर, हाथ भर, अंगूर भर, दू अंगूर भर, पुरुष भर आदि एखर उधारन हे ।
जइसे : -
तोर खेत मा अंगूर भर पानी रीहिस ते जम्मों पीकी हा सरगे ।
का तें नदिया के ढेठू भर पानी ला नहाक देबे रे ? आदि ।
2 . क्षेत्रफल नापे बर [ ' भर ' अर्थात् ' भर के ' ] : - एखर उपयोग चाकर ( क्षेत्रफल ) नापे के पैमाना ( स्केल ) के रूप मा होथे । डंक्का भर, खेत भर, डोली ( छोटे खेत ) भर, परछी भर, बियांरा भर, कुरिया भर आदि एखर उधारन हे ।
जइसे : -
तोर पटका हा दू वर्ग मीटर भर चाकर हे ।
तोर टेबल हा 2x3 वर्ग मीटर भर हे ।
हमर सब्बो धान हा मिंजे घानी तीन बियांरा भर होथे । आदि । ।
3 . आयतन नापे बर [ भर ' अर्थात् ' भर के ' ] : - एखर उपयोग आयतन नापे के पैमाना ( स्केल ) के रूप मा होथे । गिलास भर, लोटा भर, हाँड़ी भर, पर्रा भर, डलिया भर, झऊहा भर, टुकना भर, ओली भर, मुंठा भर, पेट भर आदि एखर उधारन हे ।
जईसे : -
पेट भर के खाय हों ।
घर भर ददोर दारे हे कुंहरा हा ।
थारी मा सिगबोर भर के दान दीन हे ।
छेरछेरा तिहार मा सूपा भर के धान मिलथे । आदि ।
4 . सिरिफ ( केवल ) मतलब ( अर्थ ) के रूप मा : - कभू - कभू एखर उपयोग सिरिफ के अरथ मा बड़ परयोग होथे । इही भर, मइ भर, तीन झिन भर, तुइ मन भर आदि एखर उधारन हे ।
जइसे : -
इही भर तो ऐकेला आइस हे । ( केवल यही बस तो अकेला आया है )
उही भर केहे रीहिस हे । ( केवल उसने ही कहा था । ) आदि ।
5 . बिराट ला दिखाय ला ( संपूर्णता ) : - कभू - कभू एखर उपयोग हिन्दी के ' पूरा ' शब्द के अरथ के रूप मा भी करथें ।
जइसे : -
पारा भर सकला गें ।
मेला मा गाँव भर के ट्ररी - ट्ररा मन आए हैं ।
परसार के बइसका मा पूरा गाँव भर सकला हे ।
पूरा देश भर मा गायत्री परवार फैले हे ।
6 . साधरन अरथ मा : - बहुँत जघा भर / भरे के परयोग हिन्दी के भरना या भरा हुआ के अरथ मा भी होथे ।
जइसे : -
पुरा ले नदिया लबा - लब भरे हे ।
धुंआ मा सरी घर हा भर गे ।
आमा के मऊँर मा सरी मैनी भर गेहे ।
कुँआ के पानी भर खाय के लईक हे ।
7 . दु घाँव के परयोग ले अनगिनत ( बहुतायत ) :
जइसे : -
पसर मा भर - भर के दिन ।
काठा भर - भर के दिन
ओली भर - भर दिस ।
दान टुकना भर - भर के दिन ।
सुपा भर - भर के दान करिन ।
डलिया भर - भर आमा लानिन ।
बटकी मा बासी भर - भर के खाईन ।
दूहना भर - भर के मही बाटिन । आदि ।