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वर्ग शब्द

उपसर्ग तथा प्रत्यय

( क ) उपसर्ग '

उपसर्ग उस अक्षर या अक्षर - समूह को कहते हैं जो शब्द - रचना के निमित्त शब्द के पहले लगाया जाता है । छत्तीसगढ़ी में जिन उपसर्गों का व्यवहार होता है , उनकी सूची इस प्रकार है :

: अकाज , अपत ( निर्लज्ज ) , अबेर

अधि : अधिकार अन : अन देखना ( ईर्ष्यालु ) , अन गैंहा ( अन्य गाँव का , अपरिचित ) , अनचिनहार ( अपरिचित अप : अपमान , अपजस

अव : अवगुन

: उरिन ( उऋण )

उत : उतपात ( उत्पात )

उप : उपदेस

: औगुन , औकाली ( असमय )

: कपूत कठ : कठ बेटा ( सौतेला बेटा )

कु : कुलच्छन , कुचाली

दर : दरपका ( अधपका ) , दरपिसा ( अधपिसा )

दु , दुर : दुब्बर ( दुर्बल ) , दुरघट ( दुर्घट )

नन : नन जतिया ( जाति बहिष्कृत )

नान : नान जात ( अन्य जाति )

निर : निरदरदी ( बेदद )

परि : परिकरमा

भर : भर पेट

: सपूत

सम् : संगबरी ( साथी )

सु : सुलछना , सुसाइत ( सुतिथि )

उपर्युक्त तत्सम उपसर्गों के अतिरिक्त निम्न विदेशी उपसर्ग भी व्यवहत होते हैं :

गैड़ ( फा . गैर ) : गैड़ हाजिर ( गैरहाजिर )

ना ( फा . ना ) : नालैकी ( नालायकी )

बद ( फा . बद ) : बदचाली ( कुचाल )

बे ( फा . बे ) : बेढब ( विचित्र ) , बेहुस्त ( बेहोश )

ला ( अ . ला ) : लापता

हर ( फा . हर ) : हर दिन

अरबी - फारसी के उपर्युक्त उपसर्ग छत्तीसगढ़ी में हिन्दी ( खड़ी बोली ) के सम्पर्क से आए जान पड़ते हैं

( ख ) प्रत्यय

' प्रत्यय उस अक्षर या अक्षर - समूह को कहते हैं जो शब्द - रचना के निमित्त शब्द के आगे लगाया जाता है । प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं :

( 1 ) यौगिक

( 2 ) मूल

यौगिक प्रत्यय

यौगिक प्रत्ययों द्वारा संज्ञा शब्दों से अन्य संज्ञा शब्दों का निर्माण होता है । छत्तीसगढ़ी में व्यवहत कतिपय यौगिक प्रत्यय निम्नलिखित हैं :

1 . अई   : समई :   सूम ( कंजूस ) :

: करुअई :  करू ( कटु )

2 . आई  : बरपेलाई  बरपेल ( जबर्दस्त )

: सुमाई  सूम  ( कंजूस )

3 . आस  : मिठास  मीठा

सुद्धा  सरल

4 . इया : लोढ़िया  लोढ़ा

5. ई : नदानी :  नदान ( नादान )

6 . करिन : नचकरिन ( स्त्री . ) नाच

7 . कार : नचकार नाच

गितकार  गीत

8 . दार  जिमीदार  जवाबदार

जिमीन ( जमीन ) : जवाब

9 . पन : : आमट ( खट्टा ) :  आमट पन

लुचपन  लुच्चा

10 . पा  बूढ़ा  बुढ़ापा

11 . बर लइक बर लइका ( लड़का )

12 . बार : लैकबार लैका ( लड़का )

( बच्चों का नौकर )

13 . रू   गोरू ( गोरूप ) गो

बछरू  बछडा

14 . ली  :  लोढ़ली  लोढ़ा

15 . वा   कटुवा ( कटा हुआ )  काटव

16 . वान  : गाड़ीवान  गाड़ी

17 . वार : रुखवार : रूख ( पेड़ )

18 . वाला : धनवाला : धन

 इज्जतवाला  इज्जत

घोड़हा ( सवार ) :  गाड़ी  घोड़ा

19 . वाली : घरवाली :  घर

20 . हा : डहरहा ( यात्री ) : डहर ( रास्ता )

21. हिन :  बजरहिन ( बाजार जानेवाली )  : बाजार

22.ही : बजरही  :  बाजार

रेंधही ( झगड़ालू )  : रेंध ( झगड़ा )

23 . हार  बनिहार:  बनी ( मजूरी )

24 . हारनिन पनहारनिन : पानी

25 . हारिन मूल  भूतहारिन :  भूती ( मजूरी )

प्रत्यय मूल

प्रत्ययों द्वारा धातुओं से अन्य संज्ञा शब्दों का निर्माण होता है । छत्तीस कतिपय मूल प्रत्यय ये हैं : :

1 . आ :  गिजरा  गिजरो ( हँसना )

2 . जैया :  बोलैया   बोल

खवैया : खा

3 . वार   रखवार :  रख :