मुख्यपृष्ठ > वर्ग

वर्ग शब्द

छत्तीसगढ़ी धातुएँ

डॉ . सुनीतिकुमार चाटुा के वर्गीकरण का अनसरण करते हुए छत्तीसगढ़ी क्रियाओं के निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है :

( क ) सिद्ध धातु ( प्राइमरी रूट्स )

( ख ) साधित धातु ( सेकेंडरी रूट्स )

( क ) सिद्ध धातु

सिद्ध धातुओं को ( 1 ) तद्भव साधारण धातुओं , ( 2 ) उपसर्ग संयुक्त धातुओं और ( 3 ) देशी धातुओं में बाँटा जाता है । काढू ठग् ढंक ( 1 )

तद्भव धातुएँ

छत्तीसगढ़ी की कतिपय सिद्ध तद्भव साधारण धातुओं की सूची निम्न प्रकार है :

कर :      करना

जीत् :    जीतना

कस् :     कसना

जोत् :    जोतना

कह :     कहना

झर :     झड़ना

काढ़ :   काढ़ना

टॉक :   टाँकना

काँद् :   काँदना ( रोना )

टार :    टालना

काँप् :   काँपना

ठग :    ठगना

कूट:     कूटना

डर :     डरना

डस् :    डसना

खन् :   खोदना

ढंक :    ढंकना

खा :     खाना

ढूँक :    ढूँकना ( प्रवेश करना )

गन् :    गिनना

ताक् :   ताकना

गल् :    गलना

थक् :   थकना

गॅथ :    गूथना

थक :    थकना

घट्  :    घटना

घस :    घिसना

धर :    धरना

चर :    चरना

धार :   धारना ( कर्जदार होना ) :

चल :  चलना

चीख : चीखना

नाच :  नाचना

चू :     चूना

पढ़ :    पढ़ना

चूम:    चूमना

पाक :  पकना

छू :      छूना

पी :     पीना

जान :  जानना

पोस :  पोसना

जाग :  जागना

फाट :  फटना

जी :    जीना

फूट :   फूटना

फूल  : फूलना

रच :   बनाना

बढ़ :   बढ़ना

राख : रखना;

बाँट : बाँटना

रो :    रोना

बाँधू :बाँधना

बुत :  बुतना

लूट :  लूटना

सुन : सुनना

बोल : बोलना

हार :  हारना

बो :   बोना

मर :  मरना

मार् : मारना

भाँज :तोड़ना

भूल : भूलना

माँग :माँगना

मिल :मिलना

( 2 ) उपसर्ग संयुक्त धातुएँ

उपसर्गों के संयोग से सिद्ध होनेवाली धातुएँ उपसर्ग संयुक्त धातुएँ कहलाती हैं । छत्तीसगढ़ी की कतिपय ऐसी धातुएँ निम्नलिखित हैं :

उग          उद् + गम्          उगना

उखार      उत् + खाट् :       उखाड़ना

उचर्        उत् + चर् :         उचरना

उजड़ :     उत् + ज्वत् :      उजड़ना

उतर - :   अव + तृ :           उतरना

उपज्       उत् + पद् यते :   उपजना

उप्         उप् + वास् :        उपवास करना

निकस्    निर् + कस् :       निकलना :

निभा     नि + वह :            निबाहना :

नेवंत्      निः + मन्त्रं :       निमन्त्रण देना

परोस् :    परि + वेश् :        परोसना :

पसर्       प्र + स् :              पसरना :

पहिर      परि + पा :           पहिनना

पा :        प्र + आप :             पाना :

पोंछ्       प्र + उंछ :              पोंछना :

बेंच         वि + कृ :              बेंचना

बैस्        उप + विश :           बैठना

भींज      अभि + अंज :         भींजना

सम्हर    सम् + भाल् :          सँभालना

सौंप       सम् + अप :           सौंपना

 ( 3 ) देशी धातुएँ  

छत्तीसगढ़ी में कतिपय ऐसी धातुएँ भी मिलती हैं जिनकी व्युत्पत्ति संदिग्ध है । सम्भवतः ये देशी धातुएँ हों :

अंट :      अँटना , पूरा पड़ना

उठंघ :    किसी वस्तु का सहारा लेकर सोना

छाँड़ :     छोड़ना

जूट :      मिलना

झाडू       झाड़ना

झोर :     मारकर ऊपर से गिराना

टाँग् :     लटकाना

टो :        स्पर्श करके अनुभव करना

ठेल :      धक्का देना

ठोक :     ठोकना

डपट :     डाँटना

डाँक् :     डाँकना ( पार करना )

ढाँक् :     ढकना

पटक् :   पटकना

लड् :      लड़ना

सरपोट : एक साँस में खा जाना

( ख ) साधित धातुएँ

( 1 ) प्रेरणार्थक क्रिया ( णिजन्त )

हिन्दी की ही भाँति छत्तीसगढ़ी में भी किसी क्रिया के दो प्रेरणार्थक रूप सम्भव हैं । पहले प्रकार का प्रेरणार्थक रूप जो क्रिया के मूलरूप में पर प्रत्यय ' आ ' ( कभी - कभी ' ओ ' ) जोड़ने से बनता है अथवा मूल स्वर में परिवर्तन करने से बनता है ( स्वरों के एक निश्चित प्रकार के समूह होने की दशा में ) मूल क्रिया द्वारा जो अभिव्यक्त होता है उसे बलपूर्वक करने अथवा उसमें सहायता करने का अर्थ रखता है । दूसरे प्रकार का प्रेरणार्थक रूप , जो क्रिया के मूलरूप में पर प्रत्यय ' वा ' ( कभी - कभी ' आ ' ) जोड़ने से बनता है , मूल क्रिया द्वारा अन्तर्वर्ती की सहायता से ( न कि स्वयं अपने आप सीधे ) चघु चधा डार धर जो अभिव्यक्त होता है उसे बलपूर्वक करने अथवा उसमें सहायता करने का अर्थ रहता है ।

प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के नियम

( अ ) आ ( ओ ) एवं वा जोड़ने से बनने वाली कतिपय छत्तीसगढ़ी प्रेरणार्थक क्रियाओं को उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं :

धातु रूप   धातु रूप : आ ( ओ )  धातु रूप : वा

कर   करा                करवा

गोद   गुदा गोदवा    गुदवा

चघ   चघा               नघवा

चीर   चिरा              चिरवा

चुक   चुका              चुकवा

छाड   छड़ा              छड़वा

जम्    जमा             जमवा

झुर    झुरा               झुरवा

डार    डरा                डरवा

धउँर   धरा              धउँरवा

पी    पिआ               पिवा

फूल   फूलो              फुलवा

मीज   मिजा            मिंजवा

( आ ) कभी - कभी क्रिया का प्रथम प्रेरणार्थक रूप मूल रूप के आदि स्वर को दीर्घ करने से सिद्ध होता है तथा द्वितीय रूप आ अथवा वा को जोड़ने से बनता है :

उदा .

धातु रूप   धातु रूप के आदिस्वर का दीर्धीकरण  धातु रूप : आ : वा

ढिल   ढील ढिला   ढिलवा

पिट    पीट पिटा    पिटवा

बर      बार            बरवा

( इ ) कुछ क्रियाओं में स्वरों के परिवर्तन के साथ व्यंजनों में भी परिवर्तन होता है ।

उदा .

धातु रूप  प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया     द्विगुण प्रेरणार्थक क्रिया

छूट    छुड़ा        छुड़वा

फाड़   फड़ा        फड़वा

विक्   बिकवा    बिंचवा

( ई ) धातु रूपों की रचना का यह रूप सदा नियन्त्रित नहीं होता । अनेक प्रेरणार्थक । रूप अनियमित रूप से सिद्ध होते हैं ।

उदा .

धातु रूप  प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया     टिगण प्रेरणार्थक क्रिया

आ     लान , आन    लेवा

जा    पठो                पठा  पठवा

ही     हिट               हेरवा

हो     फरा               फरवा

( 2 ) नाम धातु     

संज्ञा पद तथा क्रियामूलक विशेषण जब क्रिया बनाने के लिए धातु रूप में प्रयुक्त होते हैं तब उन्हें नाम धातु कहते हैं । छत्तीसगढ़ी की कतिपय नाम धातुओं की सूची निम्न प्रकार है :

[ 1 ]

संज्ञा       नाम धातु     हिन्दी अर्थ

कठवा     कठुवाना       काठ की तरह कड़ा पड़ना

गाँठ        गठियाना      गाँठ में बाँधना

गोबर      गोबरियाना   गोबर से लीपना

गोठ        गोठियाना     बातें करना

गोली      गोलियाना     गोली मारना

झगड़ा    झगड़ना         झगड़ा करना

टँगिया   टँगियाना       कुल्हाड़ी से काटना

टेहुनी     टेहुनियाना     कुहनी से मारना

डहर       डहरियाना      मार्ग दिखाना

डोरा       डोरियाना       रस्सी से बाँधना

थपरा     थपराना         थप्पड़ मारना

दुख        दुखना           दुख होना ( दर्द करना )

पत        पतियाना       विश्वास करना

पनहीं     पनहिंयाना    जूतों से पीटना

पीर        पिराना          दर्द करना

फर        फरना            फलना

फूल       फूलना           फूलना

बरदा      बरदाना         गर्भ धारण के निमित्त गाय को बैल के पास ले जाना

बींडा       बिंडियाना     बंडल बाँधना

भूख       भूखना          भूख लगना

मुंत        मुंतना          पेशाब करना

मेंछा       मेंछराना      बहुत अधिक कूदना - फाँदना अथवा इतराना

मोटरा     मोटराना      मोटरा में बाँधना

रिस        रिसाना       क्रोध करना

लाज       लजाना       लज्जित होना

लात       लतियाना     लात मारना

लोभ       लुभाना        लोभ में पड़ना

साध       सधाना        इच्छा करना

साबुन ( साबुन्द ) सबुनाना ( सबुन्दना )  साबुन लगाकर धोना

हाँथ   हँधियाना  

चोरी करना , अधिकार में करना

[ 2 ]

विशेषण    नाम धातु     हिन्दी अर्थ

करिया     करियाना       काला पड़ना

खर          खराना           खरा होना

चीकन      चिकनाना     चिकना करना

मीठ         मिठाना         मीठा लगना या होना

मोट         मोटाना          मोटा होना

लाम         लमाना          लम्बाहोना
सलख      सलखियाना    सीधा करना

सोझ        सोझियाना   सीधा (मार्ग) लेना

गद्दर        गदराना        पुष्ट होना

चोख         चूखाना       तेज करना

टेढ़ा         टेढ़वाना         टेढ़ा होना

तीत         तिताना         तीता होना

[ III ]

छत्तीसगढ़ी में कतिपय नाम धातुएँ फारसी - अरबी शब्दों से बन गई हैं । यथा :

फारसी - अरबी शब्द छत्तीसगढ़ी नाम धातु                 हिन्दी अर्थ

कबूल      कबूलना      स्वीकार करना

गर्म        गरमाना      गर्म होना

गुजर      गुजरना       मृत्यु को प्राप्त होना

तह         तहियाना     एक के बाद दूसरी तह जमना

बदल       बदलना      बदल जाना

( 3 ) मिश्रित अथवा संयुक्त धातुएँ

मिश्रित या संयुक्त धातुओं में या तो धातुओं के पूर्व कोई संज्ञा अथवा अव्यय आता है ।

या दो धातुओं का मिश्रण होता है । यहाँ धातुओं के कतिपय उदाहरण दिए जा रहे हैं :

संज्ञा और धातु का मिश्रण

सुध करन , ध्यान देन

धातु और धातु का मिश्रण

आयेकर , आ जान , करन देन , कर सकन , कहे लागन , खा चुकन , खा डारन , खा सिरान , खाये देन , खा लेन , चल देन , जाए देन , धर देन , पी डारन , निहार लेन , बोले चाहिन , मड़ा देन , माने कर , रहना पड़न ।

छत्तीसगढ़ी की अधिकांश मिश्रित अथवा संयुक्त धातुएँ प्रत्यय - युक्त हैं यथा :

( क ) क प्रत्यय युक्त :       

अटक ( आर्त + ह ) अटकना

फूंक ( फुत + कृ ) फूंकना

बूंक ( बू + क ) अधिक बोलना

( ख ) ट प्रत्यय युक्त :       

धिंसर ( घर्ष + वृत ) घिसटना

झपट ( झम्प + वृत ) डाँटना , झपटना

दु ( दर्प + वृत ) डाँटना

हुरमेंट ( स्फुर + वृत ) लाठी की नोक से मारना

( ग ) इ ( ड ) प्रत्यय युक्त :

पकड़ ( पक्क + ड ) पकड़ना

पछड़ ( पश्चात् + ड ) पिछड़ना

( घ ) र ( ड ) प्रत्यय युक्त :

जुठार ( जुष्ठ - आड ) जूठा करना

( 4 ) अनुकरणात्मक धातुएँ

अनुकरणात्मक धातुएँ वैदिक तथा लौकिक संस्कृत में भी मिलती हैं किन्तु यहाँ वे अत्यल्प हैं । प्राकृत में इनकी संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई यथा तडप्फइ ( तड़फड़ाना ) , थरथरइ ( काँपना ) , धमधमइ ( धमधम करना ) । प्रायः सभी आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं में ये अनुकरणात्मक धातुएँ वर्तमान हैं । ये क्रिया - विशेषण के रूप में प्रयुक्त होती हैं । कतिपय छत्तीसगढ़ी अनुकरणात्मक क्रियापद निम्न प्रकार हैं :

खटखटा :                 दरवाजा खटखटाना

छींक :                      छींकना

चरचरा :                  टूटना

झनझना ( झन्ना ) : थाली आदि के गिरने की ध्वनि

टनटना ( टन्ना ) :    अकड़ना

सड़सड़ा :                  बत मारना

कनमना :                 आनाकानी करना

गन्गना ( गन्ना ) :    भय से शरीर काँपना

हड़बड़ा :                   घबरा जाना , शीघ्रता करना

हुलफुला :                 प्रसन्न होना

सकपका :                 उत्तर देने में घबराना

( 5 ) द्वैत क्रियापद

छत्तीसगढ़ी में अन्य भारतीय आर्यभाषाओं की भाँति पौनः पुन्य , पुनरावृत्ति अथवा कार्य की निरन्तरता का बोध कराने के लिए कभी - कभी क्रियापद का द्वित्व हो जाता है । ये क्रियापद प्रायः क्रिया - विशेषण के रूप में व्यवहत होते हैं । यथा :

कूदत      कूदत      धोवत ` पोंछत

नाचत    नाचत      कूटत   पीसत

मारत     मारत       कोड़त  खनत

रंगत      रेंगत