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वर्ग शब्द

छत्तीसगढ़ मा पशु - चिरई - चिरगुन के बोली, भाखा

गाय के अम्मा ( रंभाना ) । गोल्लर, बईला के करना । भईसी के चुरकना, ढासना । ऊँट के गलगल ( बलबलाना ) । घोड़ा के हिनहिनाना । हाथी चिघाड़ना । बाघ के गुर्राना । भालू के खों - खों करना । गदहा के चिपों - चिपों । कुकुर के भू - भू (भूकना) । मुसवा के चूँ - चूँ । बेंदरा के किकियाना । फेंकारी के हुआ - हुँआ । बोकरा के मैं - मैं । भेड़ी के भें - भें । छेरी के मिमियाना । बरहा के कि - कि ( खों - खों ) । हुर्रा के दर्भले । मँजूर के कां - कां ( केकना ) । चटिया चिरई के चींव । कौवा के काँव - काँव । पड़की के गटुर गु । कोयल के कू - कू कू ( कूकना ) । झींगरा के झीं - झीं । पपीहा के पीहू - पीहू । भोंगर्रा के भुन्न - भुन्न । माँछी के भूनून - भूनून ( भिनभिनाना ) । मँदरसमाँझी के भँन - भँन गरजना । सुआ के टें - टें । कुकरा के बाँकना । मेंचका के टर्र - टर्र । साँप के फोंस - फोंस । हँस के चू - चू ( कूचना ) । घुघवा के घु - घु । केवट पदरा के केंवट पदरा आदि ।

 पसु पक्छी बर ओखी

कुकरी कुकरा बर

 कुरु - कुरु , छुरै रे , सई रे , हात 

छेरी बोकरा बर

 आ हर्र , हर्र , छुरी रे , में ।

कुकुर बर

 तु - तु , दुर्र रे

बिलाई बर

 पुसु . मुनु - मुनु

चिराई मन बर

 छुर्र रे , हात रे , सर्र रे

गरुवा मन बर

 हिया , लोलो , बाँ , हइरे |

सुआ बर

 मिट् ठू , चपत कुरु

मैंना बर

 मैंना ।