हमर छत्तीसगढ़ मा सबो जानथें कि कब कइसे - कइसे बोले जाथे तेला मेंहर एक कनी लिखे के परयास करे हों । कपड़ा के फड़ - फड़ । घंटा के टन - टन । घाटी के ठूनून - ठानन । टेपरा के घोलोर - घोलोर । खड़फड़ी के खड़फड़ खड़फड़ । शंख के पू - पू - तू । चित्त के चकराना । पनही के चर्र - चर्र । पत्ता के खर्र - खर्र । पानी के खलबल - खलबल । बरसा के झिमिर - झिमिर । हवा के सनसनाना । दाँत के कटरना । घड़ी के टिक - टिक । चिता के चट - चट । बादर के गढ़गढ़ाना । चूरी के खनखनाना । बिजली के बुग - बाग । दिल के धड़कन । रुपिया के खनन - खनन । मोटर के पों - पों । सायकल के ठिनिन - ठिनिन । कोयला के लहकते । आगी के चिड़ - चिड़ । नारबियार के लहलहाथे । सोना के चमकना । चूल्हा के बरना । पूँसा - पूँसी के सुलगना । हवागरेर के सर्र - सर्र । । खटिया के चर्र - चर्र । लकड़ी के चड़ - चड़ - चड़ । गेड़ी के चिरीर - चारर । दाँत के कटरना । बड़े रुख के धड़ाम । अंगरी के फूटना । बाँस के चटकना । पटेंवा के भदाकले । चिरइ पाँख के फड़फड़ाना । बादर के गरजना । आदि ।