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वर्ग शब्द

छत्तीसगढ़ महा मंतर

अटकन, बटकन दही चटाकन लउहा लाटा बन के कांटा, तुहुर - तुहर पानी आवै ।

सावन म करेला फूटै, चल - चल भइया गंगा जाबो । ।

गंगा ले गोदावरी जाबो, पाका - पाका मेहन्दी खाबो ।

आमा के डार टूट गे, बलिहार सिंह हर जुझगे । ।

अरथ

 अटकन = श्वास का बन्द होना (मृत्यु होना) ।

बटकन = आँख का पथराना ।

दही चटाकन = गंगाजल या दही पीलाना ।

बन के कांटा = चिता हेतु लकड़ी,

तुहर - तुहर, पानी = चिता पर घी आदि डालना ।

 सावन म = कपाल क्रिया,

चल - चल भइया = त्रिवेणी हेतु प्रस्थान |

गंगा ले गोदावरी = पिण्ड कर्म हेतु गमन,

पाका - पाका मेंदी = दसगात्र भोज ।

आमा के डार = ईह लीला समाप्त, पंचतत्व में विलीन |