ये सुन्दर धरती के लोगन ला चलाय खातिर हमर रिसिमुनि , गियानी , बिचारबान , सुधिजन मन सोचिन , बिचारिन , गुनीन होही की चार वरन ले बने किसिम ले चलही । संसार मा जेन मनसे मन पूजापाठ करत रहीन होही ओ बामन ( ब्राह्यण ) , जेमन अपन घर - दुवार के रक्षा बर तियार होईन ओ तो रसपुत ( क्षत्रीय ) कहाईस , घर ला चलाय खातिर कुन्हू जीनिस के लेन - देन करीन ओमन होगे बिपारी ( वैश्य ) , जे मन बिमार मनसे के सेवा करीन ओला बईद डाक्टर ( शूद्र ) कहीन पर आज ये वरन ( वर्ण ) लुकागे । आज के ये भौतिक जगत मा एकठन जबरदस्त बिडमना हे कि ते कोंन जात के हस उही संग तोर मंगनी - बरनी , बर - बिहाव होही , इही हर जबरदस्त घुनहा अउर भंयकर रोग हे । जेकर खातिर ये मनसे समाज कटकटा के बँधय हावे । येला कइसे दूरियाय जाय ये बड़ जबड़ सवाल हे , काबर की हम तईहा - तईहा ला थोरकुन झाँकके देखथन ते पता चलथे कि ये रोग हर घलो जकड़े रहीस चाहे सतजुगहो , दुवापरहो , तेरेताहो , कलजुग जे अभी चलत हे । हमर करा एकठन सवाल ( प्रश्न ) हे कि का करे जाय काबर की , भगवान करा कुन्हू जात - पात नी हे ओकर करा कहीं जात के पूछता रतिस ते ओ जात - पात के ढिढोरा पिटत रतीन अउर ओखर गुनगान करते रतीन ही नहीं बलकि ओला पाय खातिर होड़जीत लगे रहितीस । एक कवि हर बने केहे हे ' जातपात पूछहि नहीं कोई हरि को भजे सो हरि को होही ' जात तो इहीं धरती के जनम हे , जे हमन बरन बानी के जात मा ये जगती - धरती मा बोजाय परे हन एखरे खातिर तो घला दुनिया के लोगन बिगड़े परे हे जे पूरा घरती भूयाँ मा अमर बेल कस फईल गेहे । आज सरकार घला उही जात - पात के ओट मा बेचा गेहे । हर चुनाव के बखत उही जात - पात ला भंजाथें रुपिया - पईसा कस अउर अपन कुर्सी , गद्दी ला बचाय रखथें । पर अईसन होय के बाद घलो देखे ला मिलथे कि इहाँ अब्बड़ेच जात के मनसेमन रही के घलोक एकता के डोरी मा बँधाय हे अउर औधोगिक युग ले आज थोरकुन पतराय अस लागत हे , परेम बिहाव हर अब धीरे - धीरे जोर पकड़ के अपन करतब ला निभावत हावें । सम्मान गोठ या आदर भाव । बिराट बिश्व के एके भारी दुख - पीरा हे ओ हे मनसे के आपा धापी , मन के असंतोष ही एक जब्बर कारन हे । येखर उपजे के कारन यही हे अभाऊ , अनीति , अनियाय हे आस्था बिसवास के कमीच हे । येहा जभेदूर होही एक - दुसर ला मानगोन , सम्मान , आदर भाव ले देखबोन , करबोन जानबोन ते । मनमढ़ाय ले समझो कि जम्मों दुख - पिरा भगागे । ये धरती मा हमर मनसे ले बनाय नेक ठन जात - पात हावे जेला खाल्हे कोती एक कनी निहारन । ।
बाम्हन , रसपूत , तेली , कुरमी , मरार , हल्बा , गोड़ , भुंजिया , कलार , धोबी , कोष्टा , सतनामी , गाड़ा , सईस , पठान , पुरी , बैरागी , सरदार , ईसाई , महरा , रऊत , कहार , कायस्त , कँवर , बावा , देवार , नाऊं आदि बसे हैं । आज दुनिया मा गोत ( गोत्र ) के चिन्हार नी हे पता नी चले कि कोन जात हे , कोन गोत के हे । हर जात मा साड़े बारह जात होथे जेला किन्नर या बायला आदि कथें । तारी दूनो हाथ ले बाजथे एक हाथ ले नई बाजे हम आदर करबो ते सम्मान पाबो ' धरती मा सरग अउर मनसे मा देवत्व के उदय होही ' । उपाधि बर तको हे , आज ले किरीया खालेवन कि हम कुन्हू जात ला हिनन नीहि ।
अहिर = ( ग्वाला ) रउत , पानी भरइया या डोली बोहइया वाला मन बर ।
उताद = ( उस्ताद ) कला अउर होसियार मनसे ।
कमार = ( कोलभील ) जंगल मा शिकार के काम करथे , सबर जात मा आथे ।
कलार = ये ओ जात मा कहे जाथे जे दारू उतारथे , बेचथे ।
कसेर = ये आरुग बरतन - भाड़ा के बेचईया काम करईया जात मा आथे ।
कुँवर बोड़का = ( कुमार ) जनमजात बिहाव के मुँह नी देखइया ला कथें हे ।
कुँवर बोड़की = ( कुमारी ) ये घलोक बिहाव नी करे रहाय , जन्मों भर ।
कुँवर = ( समान शब्द ) रसपुत , मालगुजार के नाम के पहिली शब्द रहीस ।
कुँवरी = ( समान शब्द ) रसपुतीन , के पहिली लगईया नाम रहिस ।
कुरमी = कायस्त , श्री वास्तव वर्मा आदि ।
केंवट = ( निषाद ) माँझी , मछरी अउर डोंगा चलईया मनसे ।
कोष्टा = ( देवांगन ) पनिका या आरुग कपड़ा बनाथे , गाड़ा मा घलो आथे ।
गाँड़ा = एक नान्हे जाज के जे ढपरा आदि बजाथे ।
गोंड़ , भुंजिया गोंड़ = ( आदिवासी ) ये जात हर जंगली जाति है ।
गोस्वामी = ( ब्राह्यण ) बैरागी के वंशज बसदेवा बाम्हन ।
चतुबेदी = ( चतुर्वेदी ) जे चार बेद के जनईया बर येला कथें ।
चोधरी = ( चौधरी ) कुरमी आदि जात बर ये शब्द आथे घलो आथे ।
ठकुरइन = ( मालकिन बर ) आज नाई , गोड़ पूँजीपतियो के डौकी मला कथें ।
ठाकुर = ( अमीरों या अपने इष्ठ के लिए ) आथे , जाति से संबधित घलो है ।
ढीमर = येखर नाम ले ही जानथे कि ये मछरी मारथे , बेचथे , खाथे - पीथे ।
तीरबेदी = ( तृवेदी ) जे तीन बेद के जनईया ला केहे जाथे ।
दुवेदी = ( द्वेदी ) दो बेद के जानकरी रखईया ला केहे जाथे ।
देवार = डंगचघहा के नाम ले जानथे , माँगईया - खावईया जाति हावे ।
धोबी = ( बरेठ ) ये जात कपड़ा साफ करईया जात होथे ।
बनिया = ये बिपार के काम करथे । बबा ( बाबा ) अपने बड़े बाबा बर ।
बाबा ( साधू ) = संन्यासी , साधुमन बर ।
बाबू भईया = ( कार्यालय ) लेखपाल या नान्हें लइका या अपने बाप बर । ।
बिसकर्मा = ( लोहार ) आरुग लोहा - लाखा पजई - बेंचई के काम आदि करथे ।
बेलदार = ( सिदार ) ये ओखर बर कथे जें सिल - लोड़हा बनईया जात हे ।
मरार = ( माली ) बाड़ी या फूल के काम करे बाला ला कहे जाथे ।
महरा = ( महेर ) पानी भरने वाले या डोले बोहईया ।
महाराज ( राजाओं ) बनिया , राजवाड़ा , जैनी के या फेर बामन महराज बर ।
महामहिम = राज्यपालों , राष्ट्रपति , राजदूत , राजा मन बर । ।
मास्टर = ( मास्टर ) पढ़ईया गुरुजी अउर कला के जनईया ।
मिरजा = ( मिंया ) पठान मन के पहिली लगईया शब्द ।
मिसतिरी = ये कलेवा के जानकार या गाड़ी , राजमित्री आदि बर कहे जाथे ।
मुंशी = सेठ , माड़वारी , लाला के मन बर के शब्द केहे जाथे ।
मोची = ये चमार मा आथे , ये पनही जे बेचथे या बनाथे येले जानथें ।
मोलवी = ( मुल्ला ) मदरसा के गुरु जी ।
रसपुत = ( क्षत्रीय ) ये रसपुत जात मा बोले जाथे ।
रैदास = ( सतनामी ) बर येला बोले जाथे ।
लाला = पटवारी , बिपारी , बैश्य , कायस्त , सेठ मन बर बोले जाथे ।
वर्मा = रसपुत , कायस्त मन या आज कल कई जात मा बोले जाथे ।
शमी = ( ब्राह्यण ) ये नाम सन के पता चलथे कि बामन बर बोले जाथे येला । ।
शेख = मुसलमान कसई के काम करे मा जाने जाथे ।
सरधय - ( श्रद्धेय ) बड़े ला मान सम्मान या गियानी या सरधा ले बोले जाथे ।
सुश्री = ये कुवारी या बिदवानी नोंनी या नारी जाति बर बोले जाथे ।
सुवामी = ( स्वामी ) साधूमन , मालिक मन बर ले जाने जाथे , गोठियाय जाथे ।
साहू ( तेली , वैश्य ) = तेल के ब्यापार आदि कारज करईया लोगन बर ।
सोनार ( सोनी ) = ये जात हर सोना के काम करथे या बेचथे तब जानथें ।
श्रीमन = ये घलो आदर मा बोले जाथे ।
श्री = ये घलो काखरो नाम के आगू लगायले बने आदर जाने जाथे ।
श्रीमती = बिहाव , सादीसुधा होय रथे जे नारी जाति बर बोले जाथे ।
हाजीजी = जे पठान मन हज यातरा ले लउट के आथें ओकर बर केहे जाथ ।
हल्बा = ये हा आदिवासी मा गिने जाथे येखर काम चिंवरा कुटना , बेंचना हे ।
हाफीज जी ( पठान गरु ) = करान ला मखान करे जाये रथे ओला कथे ।
आज हर देश हा शिक्षा के जघा या बिगियान के जघा आदि मा अपन पैठ बनावत हे तेकर सेती अब नेक ठन नावा - नावा उपाधि होवत जावत हे । एक अउर उपाधि ले जाने जाथे कला ( खेल ) अउर गौजला आदि के बने मनसे , बने खेल - खेलईया , सेना के बहादुर आदि मन बर ये पदवी ( उपाधी ) दे जाथे ।
1 . परमबीर चक्र ( गंज बीरता बर ) ।
2 . बीरचक्र ( हुलुहुलु बीरता बर ) ।
3 . अशोक चक्र ( शांति बर ) ।
4 . सोना मेडल ।
5 . चाँदी मेडल ।
6 . काँसा के मेडल ।
7 . नोबल पुरुसकार ।
8 . भारत रतन ( रत्न ) जब्बड़ समाज के सेऊक बर ।
9 . मुख्यमंत्री पुरुसकार ।
10 . राज्यपाल पुरुसकार ।
11 . प्रधान मंत्री पुरुसकार ।
12 . राष्टपति पुरुसकार ।
13 . पद्मश्री , पद्मभूषण बनेच मनसे बर ये उपाधि अउर येसनेच कई ठन उपाधी हवै अउरे ।