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वर्ग शब्द

गंजेड़ी के अलापा

जय शिव शंकर कैलाश के राजा, दम लगाने आ जा, तोर आसन ले पा जा ।

हे भोलानाथ पी जा चीलम, आये म झन कर बिलम |

जय - जय शंकर, कांटा गड़े न कंकर ।

मोर खाना - पीना ल ढंग कर अऊ बैरी दुश्मन ल तंग कर ।

हे भोल, तोर आसन डोल, तीसर नयन खोले । अलख, खोल दे पलक, दिखा दे दुनिया ल एक झलक ।

जय - जय काली, महाकाली खप्परवाली , काली कलकत्ता मैंहरवाली , तेरा वचन कभी न खाली । जय बजरंग बली , निकल जा झझरंग, बन्दन बुक तोर माथ ।

आगु म रहौ कपिराज मोर साथ ।