जय शिव शंकर कैलाश के राजा, दम लगाने आ जा, तोर आसन ले पा जा ।
हे भोलानाथ पी जा चीलम, आये म झन कर बिलम |
जय - जय शंकर, कांटा गड़े न कंकर ।
मोर खाना - पीना ल ढंग कर अऊ बैरी दुश्मन ल तंग कर ।
हे भोल, तोर आसन डोल, तीसर नयन खोले । अलख, खोल दे पलक, दिखा दे दुनिया ल एक झलक ।
जय - जय काली, महाकाली खप्परवाली , काली कलकत्ता मैंहरवाली , तेरा वचन कभी न खाली । जय बजरंग बली , निकल जा झझरंग, बन्दन बुक तोर माथ ।
आगु म रहौ कपिराज मोर साथ ।