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आसिस ( आशिर्वाद )

हमर जिनगी मा आदर - सम्मान के बिसेष महत्ता हे । हमला दूसर के परती ये भाव रखना हे कि ओहा घलो हमरो बर बने बिवहार रख सके । भगवान श्री राम या फेर श्री राम शर्मा आचार्य के जिनगी ला झांक के देखथन ते पता चलथे कि ओ अपन ननपन ले लेके उम्मर भर आदर - सतकार के भाव , अनुशासन अउर बारन करके दूसर बा जीन हे , अपन बर जीना हर . सुवारथ के जिनगी हे दूसर बा जीना तो परमारथ के हे । आचार्य जी हा केहे हे कि ' अपने बर अइसन बिवहार झिन करो जो दूसर ला पसंद नी आवै ' आदर - सम्मान के पवित्तर भाव रखे ले दया - मया , करुना , परेम , सत , परोपकार के भाव जागथे । रमायन मा परमान हे कि राम भगवान हा अपन ददा राजा महाराज के बड़े बिहना ले पाँव परे आज का कुंहू करथे का । अइसन बस सुरता आगीस ते भूले - बिसरे एकाध घाव माई - बाप के पाँव छू परथें । हमर भारतीय संस्कृति मा संस्कार अउर आदर भाव हा हर पन्ना - पन्ना मा पाठ पढ़ाथे । न्यूटन बिगियानिक के कथन हे कि क्रिया के परतिक्रिया होथे । ' जइसन देबोन ओसन पाबोन नई देबोन ते का पाबोन ' । हमर छत्तीसगढ़ खाँड़ भावना के प्रदेश हे इहाँ के संस्कृति जब्बड़ है । मनसे मन मा हरीक - हुन्नर ले पूरा दिन येसने - तेसने बने छत्तीसगढ़ महतारी के सेवा करत सुध्धर किसिम ले बीत जाथे । लईकन के किलकारी , जवरिहा मन के रामजोहारी , समधी समधिन के जै जोहारी , जैवरिहा टूरा - टूरी , मोटियारी मन के हँसी - ठिठोली , देवर - भौजीई के ठठा - दिल्लगी , मईलोगिन मन के मया - महतारी , फूल - फूलवारी के गुड़तुर गोठ , डोकरी - डोकरा के आसिर बचन हे । कबीर दास केहे कि ' अइसन भाखा बोलिए कुन्हू कहे चूप , जईसन जगा बैठिए कुन्हू कहे उठ । एक ठन अउर कहेना हे कि ' गोठ - गोठ मा गोठ बड़े , तेलफूल मा लईका ' बेद , शास्तर मा केहे जाथे कि ये मानुष चोला बड़ मुसकुल मा मिलथे तेला हमन गवाँ डारथस , ओद दिन बाँचे - खुचे ला बने - बने देख सुन के सवाँर लेन , सुधार लेन । इही बोली बचन तो संसार मा अमरित बरसाथे । एक दिन के बात है कि सियानदाई गाँव के पंचाइत घर के आगू लीमरुख के तरी आँट मा कोरा लमा के बइठे तिजियार - तिजियारिन , अवईया - जवईया मला चूमा लेवत , मूचमूच हाँसत आसीष देवत रइथे अउर ओला कहत हावे कि नोनी तुम्हर घर - दुवार मा नोनी - बाबू , मई - पिला , सास - ससुर जम्मो झिन बने - बने रहाव कहिके आसिर बचन देवत हे तेला एक कनी निहार लेथन आज इही पाठ मा थोकुन घलोक :

1 . नोनी तोर चूरी अम्मर रहाय ।

2 . दस गाँव के गउटनिन बन ।

3 . जा भगवान तोर मनोकामना पूरा करे ।

4 . बाबू जा जिंनगी भर तें बनें - बनें काम - बुता करबे ।

5 . पढ़ते - पढ़त तोर नौकरी - चाकरी लगे ।

6 . बने पढ़ - लिख तोर बिहाव हो जाय नोनी ।

7 . मोर आसीस हे जा तोर उपर भगवान किरपा करे ।

8 . तोर दुवारी ले कुंहू खाली हाथ झिंन लउट पाए ।

9 . सबे बर मीठ - मीठ बन के रहा ।

10 . जा नोनी तोर ठोमा - ठोमा बेटा - बेटी होवय ।

11 . जा तोर चूरी अम्मर रहाय ।

12 . एक ले एक्काइस होवे ।

13 . जिहाँ जावस तिहाँ एक ले सेक तोर मान - गोन होवे ।

14 . चार गाँव के गउटिया बनस ।

16 . तोर माई - बाप कस तोर सोर उड़े ।

17 . जा तै जिनगी भर राज करस ।

18 . मोर आसीस हे कि दूसर ला देके खावस ।

19 . देवधामी कस तोर पूजा होवे जा मोर बचन हे ।

20 . तोर मान - सम्मान बने रहे चारो खूट ।

21 . तोर बोली वचन अबिरथा झिन जाय । ।

22 . संसार मा तोर कस बिरले रहाँय ।

23 . बैरी मन तोर संग मित बने । ।

24 . तें उपकारी चोला बनस ।

25 . तोर रस्ता मा कभू बिपत के ढेला - पखरा झिन आवे ।

26 . मोरे सहि डोकरी होवत ले जीबे ।

27 . चार खा चिरोजी खा तोर दाँत कभू झिन टूटे ।

28 . जा बेटा तोर बिहाव बड़े घर के बेटी ले होवे ।

29 . बूड़ा डोकरा होत ले जियत रहा ।

30 . खुसी रा मोर बहिनी ससुरार मा जातेसाठ तोर कोरा भरे ।

31 . तोर जोड़ी - जावर बने रहाय ।

32 . सास - ससुर के मया छाईत रहाय तोर उपर ।

33 . तोर कोठा भर गाय - गरु भरे रहाय सबर दिन ।

34 . धन - दउलत ले घर - कुरिया लबालब भरे ।

35 . दूधे खावत दूधे आँचोस ।

36 . तोर माँग के सिंदूर अम्मर रहाय ।

37 . भगवान तोला बने अक्कल - बुध देवे ।

38 . तोर ठोमा भर अन्न के पून्न ले दूगूना धन - दौलत हो ।

39 . जा तें बने समाज के काम कर तोर जिनगी उज्जर रहाय ।

40 . मुँहू भर दतोन चबा अउर ठठरंग - ठठरंग चना चबास ।

41 . भगवान तोर ऊपर भला बिराजे ।

42 . तोर दे धूर्रा - माटी अमरित बनजाय ।

43 . तोर पाँव रखस ते पथरा मा घला पानी पझरे ।

44 . तिरीथ मा गंगामाई तोर रछा रके ।

45 . तें इही दिन के आत ले तिरीथ बरत करे ला जास ।

46 . मोर आसीस हे , बाबू जियत भर आँखी - कान दिखे ।

47 . तोर धन्नू हर बेरा तोर कहेना माने अउर सुखी रहास ।

48 . दूसर के सेवा बजाबे ते सुख मिलहीच येला भगवान देखथे बाबू ।

49 . तोर दिन दूनी रात चौगुनी होवे ।

50 . रात मा नींदभर सुत , दिन भर जाग ।

51 . हर बरस ते पास होते जा बाबू अव्वल ।

52 . मोर आसीस हे तोर बर , फले - फूलस जिनगी मा ।

53 . कुहू बैरी - दुसमन झिन होवे तोर जिनगी भर । ।

54 . तोर जुवानी बाबू उम्मर भर बने रहय ।

55 . तोर नाती - नतरा ले घर - दुवार भरे ।

56 . गईत्री माता तोर उपर नोनी छाईत होवे ।

57 . तोर गुरु के किरपा बरसे ।

58 . तोर भरे जुवानी आवत ले कईठन कुंआ - बावली खनस ।

59 . कोरी - कोरी गईया ले कोठा भरे ।

60 . तोर गोर्रा ले दूध झिन सिरावे मोर बचन हे ।

61 . तोर नौकरी मा बढ़ोतरी होवे ।

62 . नोनी तोर लईका भले मनसे बने ।

63 . नोनी तोर बर बिदेश ले रिस्ता आवे ।

64 . तोर पहिलात लईका के सोन्ना के थारी मा मुँहू जुठारस ।

65 . बाबू तोर खेती - खार के बड़ोतरी होवे ।

66 . लागा - बोड़ी तोला छू नी सके दयालू के दया भाव ले ।

67 . सावन के उपास ले पहिलावत टूरा होवे ।

68 . पहिलावत नोनी तोर दूनो कुल ला तारे ।

69 . उपास - धास तोर नोनी अबिरथा नी जावे फल तो मिलहीच ।

70 . बिहाव होते साठ तोर नौकरी लगे तोर सुवारी पढ़े लिखे मिले ।

71 . दूनों परानी सूखी रहा ।

72 . मोर आसीस तोर कामना पूरा करे ।

73 . दूनों परानी तुमन नौकरिहा होहो ।

 74 . बने पढ़बे ते गियान तोरेच तो होही गियान ले आगू बढ़बे ।

75 . ते सुनबे बाबू ते तोरो तो सुनइया होही गा ।

76 . राजा - रानी कस जिनगी तोर बिते ।

77 . तोर नोनी - बाबू सदा सुखी रहाय ।

78 . गईत्री पूजा - पाठ ले तोर तीनों ताप नँदा जावे ।

79 . जा तिरीथ जाबे ते तोर पुरखा तरही , पितर के आसीस ले अलहन टरही ।

80 . तोला नोनी सोला आना पति मीले ।

81 . बस दाई तोर आसीस ले मोला भरपेट जेवन अउर तन भर ओनहा मिले ।

82 . तोर आसीस ले रोटी , कपड़ा अउर मकान सदा छाईत रहाय । ।

83 . गुरु , माता - पिता के आसीस मोर बर पूरे दाई , इही मोर कामना है ।

84 . दयालु बन के रहा बेटा ।

85 . पति सेवा परमेश्वर के सेवा हे ओकर सेवा ले सदासुख पाबे मोर बचन हे ।

86 . बेटी तोर बेटी ला पढ़ाबे जब्बड़ नौकरी मिलही राज करही ।

87 . मोसीदाई ला हीन झिन सेवा बजा , आसीस ओकर फलही फूलही ।

89 . पति कइसनो रहाय , पतिदेव तो देवता हे ओला हिने के नोहे ।

90 . भाई - बंध , भवजाई के परेम हा महतारी के परेम हे ओ तोला मिलहीच ।

100 . दुख के दिन कटे नोंनी सदा सुख मिले तोला मोर भाखा हे ।

101 . भगवान करे तोर उम्मर बाढ़े ।

102 . गाँव भर तोला देवता कस पूजा करे तोर आचरन देख के ।

103 . भगवान के भक्ति ले तोला सक्ति मिलय नोंनी - बाबू हो ।

104 . सात सम्मार के उपास कर नोनी तोला दुलहा मिलही ।

105 . गाईत्री दाई तोर उपर किरपा करे नोनी ।

106 . शनिच्चर के उपास - धास ले संकट कटै ।

107 . गाइत्री दाई तोर सब्बो बिपत हरै । ।

107 . दुर्गादाई साक्षात दरसन देवे मोर बचन खाली झिन जाय हे भगवान ।

108 . मोर भलाई करे हस ते भगवान तोरो घलोक भलाई करही एकोकनी ।

109 . पढ़हू ते गढ़हू नोनी - बाबू हो ।

110 . भगवान के काम कर तोर हाथ जूच्छा नी रहाय ।

111 . भगवान के काज करने बाला हा कभू गरीबहा नई होवय ।

112 . तोर चूरी अम्मर रहाय माँग के सिंदूर चमके ।

113 . सास - ससूर के सेवा अबिरथा नी जावे फल तो मिलहिच ।

114 . नोंनी सदा सोहागिन रहा । ।

115 . तोर सहीं भले आदमी कोट मा साठ होथे ।

116 . संसार मा तोर सही उपकारी चोला खोजे मा नई मिले गा ।

117 . तोर गोड़ मा कभू काँटा झिन गड़े ।

118 . घर के देव - धामी तोर रइछा ( रक्षा ) करे ।

119 . भगवान तोर उम्मर ला छाइत रखे ।

120 . तें हर जीव के उपकारी रहा गा ।

121 . तोर जिनगी मा कभू अंधियार आवे झिन ।

122 . तोर मीठ - मीठ बानी सुने ला तरसे ।

123 . तेहाँ बाबू बाँट - बिराज के खाय ला जानस । ।

124 . मोर सहीं मोरा तोपत ले जियस बाबू ।

125 . गऊ सेवा करबे ते तोला मेंवा मिलहीच ओ ।

126 . तें रूप - रंग के धनी रहा गुन , करम , सुभाव ले तोला जाने नोनी ।

127 . दुनों झिन पितर तरपन करहू ते तोर पुरखा हा तुमला चिनहीच ।

128 . भाँचा - भजुरा के कभू - कभू आसिस पालेहू ते तुम्हर काम तुरते होही ।

129 . जुगजुग जी मोर सहीं बुढ़ी डोकरी होत ले जी ।

129 . दाई - ददा के सेवा गुरु सेवा हे तोर मान बढ़त रही ।

130 . अकादसी के उपास ले तोर जम्मो पाप कटे नोनी ।

131 . तोर कुल के भगवान रइछा करे मोर आसिस हे ।

132 . तोर जाँवर - जिंवर नोंनी बाबू बने नाँदे ।

133 . तेहाँ नोनी जिंनगी भर तिजियारिन रहा ।

134 . सोन्ना के लोटा मा जिनगी भर पानी पियास तोर दुलहा ला । आदि ।