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सराप ( श्राप ) के गोठ - बात

ये नव खण्ड पिथवी मा पाप - पुन्न , दुख - सुख , लाभ - हानि , जिवन मरम सबर दिन होते रथे । बने - बने सोचना हा सरग कस सुख हे अउर घिनहा सोच हा नरक हे । उही बावन आखर के खेल के कमाल हे कभू - कभू मुँहू हा अँगरा उगल देथे भकरस ले त कभू मीठ - मीठ अमृत - धारा बोहाथे । हर मनसे ला सोंच - समझ के बोलना , गोठियाना चाहि काबर की कोन समें का अलकरहा गोठ निकल जाय अउन उही बानी हा कुंहू ला लग जाय । आज हमर गवनियाहा भाखा मा ओला हम टोनहा - टोनही कही देथन । समे बड़ बलवान हे ओखर समेंरा मा काखरो बस नी चले । इतिहास परसिध हे महाभारत मा एक ठन परसंग आथे कि दोरपती ( द्रोपती ) हा दूरजोधन ( दुर्याधन ) ला ' अँधवा के बेटा अँधवाच होथे ' कही दिस ते महाभारत छीड़गे , सरी बंश ला नाश करवा दिस एकठोमा पानी देवइया कुल मा घलोक एकोझन नी बाचिस । एसनेच एक ठन अउर किस्सा हे एक दिन गालव रिसी हा भगवान सुरुज देव ला जल अरपन करत रहीस नदिया मा खड़े होके उही बेरा अकाज ले एक ठन चिरई हर हाग दिस उही बीट हा ओखर उपर गिरगीस ते ओ रिसी हा ओ चिरई ला सराप दे दिस सराप देतेसाठ उही बेरा जर के भसम होगे ओ निरीह चिरई के का गलती रहीस , ओ तो चिरई - चिरगुन हे , तो अइसन रिसी मुनि के भाखा घला कोन काम के हे । ते उही सराप शब्द ला थोकुन देख लेवव ।

1 . रोज खाय बा लुलवावस रे रोगहा ।

2 . तोर ढीही मा धतुरा तक झिन जागे रे दोगला - रोगहा ।

3 . मोर सराप हे तोला कभू सुख झिन मिले रे बैरी ।

4 . ते पानी मा बूड के आजेके दिन मरबे मोर भाखा हे ।

5 . जा दूनों झिन निरबंसी होहु ।

6 . तोर बिहाव के लुगरा आखरी होवे पेहरत - पेहरत दोगली ।

7 . तोर मुँडी - चूँदी जरजाय रे रोगहा टूरा ।

8 . भरे जुवानी मा हपट के मरबे रे मोला तरसाय हस ।

9 . तोला कानी - खोरी टूरी मिले अबड़ेच इतरावत हस तें ।

10 . तोर टूरी - टूरी होवे ।

11 . लोहा - लाट करिया होवे तोर देहें ।

12 . ठोम्हा - ठोम्हा पसिया बर लुलवाबे रे टूरा ।

13 . तोर गोड़ मा काँटा ले गुखरु लउटे ।

14 . ते कोढ़ होके मरबे का सुख पाबे रे मोला भुगताय हस ।

15 . भरे जुवानी मा तोर जोड़ी - जाँवर टूटे ।

16 . भरे जुवानी मा तोर मुर्दा निकरे ।

17 . ते कुकुर गति होस रे बईमान । ।

18 . तोर कुकुर गति होवे ।

19 . कुकुर कस छानी मा अई आवे तोरेच ।

20 . मरबे ते एक बित्ता पूँया नसिब नी होवे तोला मोर सराप हे ।

21 . सरी दुनियाँ बर गर के काँटा बनस ।

22 . भरे बत्तर मा तोर बईला खोरावे , मोला हिने तेकर सेती ।

23 . ते जा रे तोर घमंड हर चूर - चूर हो जावे ।

24 . संझा खास फेर बिहना रिता होय , भूखमरी छाय रहाय ।

25 . तोर घर - दुवार उझर जाय रे हरामजादा ।

26 . मोर सराप तोर बर अबिरथा नी होवे , भाखा लगही रे दुक्खाही ।

27 . ओ हपट के मर जातिस ते पापे जातिस ।

28 . मोला सताय हस रे राड़ आगू जनम मा तै बकटी होबे ।

29 . कतकोन खाय ले पेट उना के उना ही रहीच लुहरी छेरी कस ।

30 . बोली - भाखा तोर अँगरा ऊगले ।

31 . जम्मों तोला हुर्रे - धुर्रे करें परलोखिया गतर के ।

32 . तें पीठा घाव होही तभे मरबे रे रोगहा ।

33 . जा तोर देहें भर अगिया होवे ।

34 . मोटूर - गाड़ी के अलहन मा आला - जियाँ होस ।

35 . ठोमा भर पानी मा बूढ़ के मरस ।

36 . तोर मुर्दा निकरे रे रोगहा ।

37 . तोर उल्टा खटिया निकरे ।

38 . तोर टोटा मसकई हो जाय ।

39 . मोफत के घन तोर काल बने रोगहा ।

40 . लालच के घर तोर सबर दिन खाली रहाय ।

41 . मोर अनादर नारी के अपमान हे रे बैरी ।

42 . जा रोगर - रई ले कभू उबर झिन सकस । ।

43 . तोर बिहाव तो दूर रहे जिनगी ऐसने - तेसने कटे ।

44 . जा रे टूरी तोर बुड़गी होत ले बिहाव झिन होवे ।

45 . तोर बुढ़त काल मा लईका होवे ।

46 . तोर हाथ ले रुख - रई झिन जामें ।

47 . किसबीन तोर मुर्दा निकर जाय ।

48 . चोरी करत तोर जिनगी चले चोट्टा टूरा ।

49 . रात - दिन चारी - चूगरी मा बूढ़े रहा ।

50 . चारी करत दिन बीते ।

51 . मोला रोवाथस तहूँ रोबे रे एक दिन ।

52 . हत रे नीछ तोला रव - रव नकर तक झिन मिले अईसन कुकरमी ला ।

53 . जा रे रोगहा तोर रोना परे ।

54 . भिखमंगा के भिखमंगा हीच रबे ।

55 . तें उपर सस्सी के बिमारी ले मरस ।

56 . दूसर बर खनबे ते पहिली अपने जाबे ।

57 . महिनत के फल तो पुरे नीहि मोफत के का पुरही ।

58 . ये जनम मा तो ठगड़ी हस दूसर जनम मा घलोक रहिबे ।

59 . रात - दिन कमाबे तबले पुरती नी होवे तोला तरसाय चोला हे ।

60 . राम - राम के बेरा कुकुर कटायन होथे तोला का हागे , काखर मुँह लगे हे ।

61 . तोर मुर्दा ला घला थूके रे रोगहा मोला तरसाय हस ते ।

62 . मोर ले घूस लेबे ते तोला फलही निही निकलहीच ।

63 . राणी दुक्खही आगूच - आगूच मा मरथेच ।

64 . तोर सरी उमरिया मोर सराप मा बिते रोगहा कुकरमी ।

65 . रस्ता रेंगत हपट के मरबे मोर उपर थूकथस तें ।

66 . करनी करबे ते मरनी के बेरा दिखहीच रे ।

67 . पानी मा टट्टी करबे ते एक दिन उफलईच रे बैरी ।

68 . लाहो ले सहीं झिन कर रोगहा बानी के ताकत ला नी देखे हस ।

69 . गियान के तोला घमंड हे कब का होही तेला जानथस का ।

70 . गंज लाहो ले सहीं झिन कर बिगड़े मा बेरा नी लागे ।

71 . कोन जनम मा का करे रेहे , काखर मुँह लगे हे ते उबर नी सकेस ।

72 . मोर सराप हे तोर बरात मा जहीं ते जुच्छा अहीं रे टुरा । ।

73 . इरखा करबे ते तन - मन दूनों नास होही ।

74 . सबला भगवान देखथे रे अबड़े लाहो ले सहीं नी कर बेलबेलहा । ।

75 . फेकारी सही चलाकी जीव के काल होही रे तोर ।

76 . तोर अलहन तोर बर काल बन के आवे ।

77 . जा रे रोगहा जिनगी भर भूलनबन मा भटकते रहा रोगहा ।

78 . तोर मरना अधोगति होवय रे रोगहा ।

79 . रात - दिन कलकल करथस तोर मुँहू मा किरा परे रोगही ।

80 . ते मोर बर काल बन के आय हस रे मुरुख चोला ।

81 . मरे के पहिली तीनों तीलिक दिखे रे बैरी ।

82 . ननजतिया के ननजतिया ही रहीबेच । ।

83 डोरी तो जरगे फेर अटियई नई गीस काखर बानी लगे हे तोला ।

84 . रावन कस तोर कुल के सइतानास हो जावे रे । ।

85 . नारी के अपमान हा देवता के अपमान हे रे सम्मान करना सिख जा ।

86 . नशा - पानी ले तोर तन - मन दूनों के नास हो जाय रे मंदहा ।

87 . मोर लईका ला मारे ते जा तें निरबंसी हो जाबे रे रोगहा ।

88 . तोर मरे ले मोला शांति मिलही रे रोगहा ।

89 . मोर निरबंसी के धन तोला कभू नी पुरे रे चण्डाल ।

90 . तें जिनगी भर नियत खोर रहिबे तोर नियत मा खोट है ।

91 . कोली के बेटी कोली ही रही ये मोर भाखा हे ।

92 . कोन राड़ी - दुक्खाही मुँह लगा दिस तोला रे । ।

93 . तोला कोन बैरी पाँग दिस ते ओ राणी दुक्खही के नास हो जाय ।

94 . मोर लईका ला देखे नी सहाय ओखर सत्यानास हो जाय ।

95 . तें डौकी बुधियच रहिबे तोर चाल चलन दिखत हे ।

96 . दूसर ला देख के का हाँसत हस तोरो हँसी होही एक दिन रे रोगहा ।

97 . कोन जनम के पाप ला तें आज मोर उपर उतारत हस रे दोगला ।

98 . एसनेच चरितर ले अपन कुल ला बदनाम करे काखर भाखा लगीसे ते ।

99 . तें अपन दाई के कोख ल लजा दे हस रे सईतान ।

100 . काखर आज बिहना मुँह देखेंव ते कलत नीहे ।

102 . तोरे लईका तोर अधोगति करही ।

103 . तोर डीही - डोंगर मा एक बँध तक झिंन जागे रे कुकरमी