मुख्यपृष्ठ > वर्ग

वर्ग शब्द

गहनागुठा ( आभूषण )

थोकुन गियान अइस ते घलोक गहना पेहरत रहीन हे , ओमन मा घलोक जेवर के बड़ सौंक रहीन होही । काबर कि ओ खानी सोना - चाँदी नी रहीस हे ते परसे पथरा , कठवा , जानवर के सींग आदि ले गनहा - गुठा ले अपन तन ला सजाथे रहीन हे । तइहा - तइहा मा जेकर नारी हा नख ले सिर तक गहना - गुठा पेहरे ओला तो बड़े आदमी के नारी कहांय , पर आज जमाना बदल गेहे , जेवर बरन - बानी के पेहरत हैं । काबर की आज के युग हा उद्योग के युग कहात लागे । गहना नारी जाति ला पेहरे मा बने चुक्क ले दिखथे । इही गहना के पीछे नारी जाति मन तो बइहाय गे रहीथे । गहनागुठा ले नर - नारी के चेहरा बने ( फबथे ) खील जाथे । एक कहावत हे कि ' आप रूप भोजन पर रूप सिंगार ' जे अपन ला बने रुच जाय उही जेवन हा सबले बने भोजन हे अउर जे दूसर ला बने सिंगार देखनऊट हो जाय उही सिंगाह हा सिंगार हे । पर आज उलटा होगे हे , अपन ला जे जेवर हा बने दिखथे उही ला सिंगार करथें चाहे फबे चाहे झिन फबे । समें के मुताबिक आज नकली जेवर गजबे निकल गे हे तेकर सेती असली - नकली के पहिचान करना बड़ मुसकुल होगीस हे । कुँवारी कैना हा कहाँ जेवर ले ढके रथे एकध पैरपट्टी अउर गर मा नानमुन माला तको पेहरे रथे । गहना - गुठा हा सोहागिन नारी के एक बने किसिम के सिंगार अउर सोहाग हावय अउर पहिचान मा आजाथे कि ये हा सादी - सुधा नारी हवाय । पर आज कल तो राड़ी जाति ( बिधवा ) घलोक सिंगारे ला लग गे हे । रमायन मा परमान हे कि रावन हा सोचे रहीस कि सोना मा सुगंध अउर सरग मा सिढ़ी बनाहूँ कही के पर ओखर कलपना हा अधूरा रहीगे नहीं तो अउर का होतीस ते कोन जानें । सोना के गहना ला कनिहाँ के ऊपरे मा पेहरे ले बने फबथे अउर सुभ घलोक माने जाथें , धातु मन के परभाव तन मा गजबे परथे तेपर से सोना के फूली , बारी , टाप्स , झुमका आदि ले मुँडी मा बद्युत के बने परभाव होथे की येखर ले माथा हा बने किसिम ले ठण्डा अउर बने सुग्घर बिचार आते रथे । चाँदी के हर गहना मला कनिहाँ के खाल्हे ले पेहरे जाथे । चाँदी के बिछिया , पायल घुघरु के आवाज ले तो अवगुन दूरे भागते ही रहिथे काबर की चाँदी के जीनिस ले असगुन या नकारात्कम सक्ति हा दूरियच रथे नमस्कार करथे तीर मा ओधियाय नी सके । आज कैना के 12 वें दिन मा ही रसम के संग चाँदी के नानकुन साँटी पहिरा देथें काबर की संसार के लोगन के नजर ले बचाये जा सकत हे । गहना - गुठा उही ला बने फबथे जे हा बने कपड़ा लत्ता पेहरथे बिगन ओनहा के का सिंगार फबही ओतो तन हा अलकहच दिखही । लइका के जनम लेते कुछेक दिन मा बाप - महतारी मन अपने दुलरवा बर कइसे देहें खाली रही कही के नाम - मुन गहना तो पेहराई देथे । तो आवव आज हमन एक कनी किसिम - किसिम के गहना मन के नाम जान लेवन ।

1 . खोपा मा : - बेलकाँटा , फूंदरा , बेनीक्लीप , फिता , बक्कल , झबुआ , खोंचनी

2 . माथा मा : - पटिया , टिकुलिया , माँगमोती , बिन्दी , सेंदूर आदि ।

3 . नाक मा : - फुली , लौंगफूल , मोती , नथली , बुलाक , खुंटी , नग , रोहईफुली

4 . कान मा : - खींनवा , ढार , लुरकी , बारी , करनफूल , सुरुजमुखी , बाला , तरकी , झुमका , लुलुड़ी , झूल , टाप्स आदि ।

5 . गर मा : - तूंता , रुपीयामाला , गजरा , चैन , पुतरी , संकरी , गठुला , जंजीर , ताबीज , मूंगामाला , मोतीमाला , बैजतीमाला , हनुमान ताबीज , मंगलसूत्र , जुमतिया भूलकापईसा , चरनी , अठन्नी , बरनी , रेशमी , सूर्रा , कारीपोत आदि ।

6 . बाहाँ मा : - नागमोरी , बहुटा , कड़ा , पहुँची , ताबीज , हनुमान ताबीज , गोधना

7 . मरुआ मा : - चूरी , ककनी , पाटला , टोंडा , अँईठी , बनुरिया आदि ।

8 . कनिहाँ मा : - करधन , हापकरधन , Vतके करधन , कुचीटंगनी आदि ।

9 . अंगरी मा : - मुंदरी , छल्ला , करेलाचानी , नीमचानी , चिड़ी , पिपरपान , इंटा , चिड़ी , लालपान , करियापान , पीलियापान , ईटछाप आदि ।

10 . पाँव मा : - मुंदरी , टोंड़ा , अईठी , बनुरिया , पैंरी , चुटकी , बिछिया , पैरपट्टी , संकरी , लच्छा , साँटी आदि ।

11 . रंगरोगन : - महुर , लाल - पीला रंग , बरनबानी के नकपालिस , मंहिदी अउर अपने मन पसंद के लगाय , चुपरे के पाऊडर , किरीम , लीपिस्टिक आदि ।