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वर्ग शब्द

धान ( धान्य )

येला अन्नदेवता कथें , धान संसार के अधार हे येखर बिगन जिनगी का संसार के कुन्हू जीव नई जी सके पशु , चिरई - चिरगुन मन घलो । अन्न नी रही ते काये ला खहीं , जीव लाघन परे रहीं , तरसते रहीं । ये दुनिया हा किसान के उपर ही निरभर हे पर उही ला आज हिनत हावन । जे साल धान नी होही ते दुनियाँ त्राही - त्राही हो जही । तइहा - तइहा बड़े - बड़े ऊँचहा धान के पौधा होवे जेमा लम्बा - लम्बा बाली के होय , धान के खेत मा निगे उरीद आदि सिंचे बर ते ओखर मुँडी - कान एको कनी नी दिखे । आज के युग विगियान के युग हे ते कई परकार के नवाँ - नवाँ धान के परजाति हे । हमर किसान भाई मन सुगंन , बिनसुंगन के रंग - रंग के कम समे मा अउर नंगते कुत , बड़े - बड़े बाली के नान्हें - नान्हें पउधा ( बौना ) वाला नेक परकार के धान बोथें । तो अवव ये अबड़े किसिम - किसिम के किसान मन के बोंय के धान ला देखन आज : - सबधान के राजा दुबराजधान हर हे , भईसादुबराज , सफरी , 17 न० सफरी , छोटेमोकड़ो , बड़ेमोकड़ो , लुचई , मासुरी , ननकेशर , गुरमटीया , बी०डी० , आइ०आर० 36 , आई० आर० 64 , एच०एम० टी० , कुबरी मोहर , डवरधान , खीराबीजा , गुरमटिया , रत्ना , पुर्णिमा , जावाँ - फूल , सुरुजी , नागपुरी , कांन्ति , झिल्ली , सरोना , जगन्नाथ , महामाया , नाकछेदनी , हजार दस हजार , बुढ़ियाबाकों आदि नेक परकार के बाजरा , कुटकी , कोदो , कोदई हावें । ये गरीबहा मन के पेट पोसा अन्न हे । जे जल्दी कम बेरा मा घला तियार हो जाथें । ये तो धलोक अन्न मा आथे पर येला कुन्हू नी बोए ये अपने - आप बिन जोते बोये जागथे सावाँ , करगा , पसेर - धान दलहन मा : - उरीदार , मूंग , तिवरा , तील , लाख , जिल्लो , मटर , चना , बटरा , रहर

मुंगेसा , मसुर , खैरीचना , गुलाबीचना , झुरगा , बरबट्टी आदि ।

खतू ( खाद ) : - गोबर खतू , ग्रोमोर , युरिया , राखड़ , पोटास , डी० ए० पी० , इफको , सुपरफास्ट , कम्पोष्ट , केचुआ , लीमखरी आदि ।

धान मा छिचे के दवई : - नींदानासक , उदगामार , फाँफामार , कोरोसिन , 505 बेशीस , अलान्टो , रीजेन , मेटाडोर , कीडवीन , रोगर , नोंमोनी , गोलएडोरा , एसीफेट , तारक , 240 , 19 फीयर , लगान , बायोबिटा , छाईट , बायोएकरी आदि ।