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वर्ग शब्द

तिहार - बार ( त्योहार )

छत्तीसगढ़ भावनाओं का गढ़ हे । ओमा कई जात - पात के लोगन मन बसे हावें पर जम्मों झिनमन सब तिहार ला बिगन भेद - भाव , छुआ - छूत के जुमला संग मनाथें । समें - समें मा किसान - बसुंधरा लोगन मन अपन मगन भईके काम - काज ले फुससुद होके तीज - तिहार ला बेरा - बेरा मा मनाते रथें , ते मन मा गठान नी पर पाय अउर एकोकनी दुआ - भाव , ईरखा नी सकला पाये येखर ले लोगन मा भावसंवेदना जागथे अउर एक दूसर के दया , मयापीरा मा भागीदारी समझथें , ते पायके ये घूया के मयारुक माटी हा महर - महर महकत सरी दुनिया मा फईले हे तेला एक कनी देखो ।

देवारी = दीपावली । कमरछट = हलषष्टी । जेठोनी = देवउठनी । आठे = जनमाष्टमी । छेरछेरा = पुष्प पुर्णिमा , दान - पुण्य आदि का । सावनपुन्नी = श्रावणी - पर्व । राखी = रक्षाबंधन , सावनसम्मारी = व्रत अनुष्ठान , पर्व ( कावर मेला ) । फागुनतिहार = होलीका दाहन । पोरा = पोला । चईतरई = ठाकुर देवपूजा । माता पहुँचानी = सीतला पूजा । तीजा = हरतालिका । अकती = पीतृजलाजली । गणेशचउथ = गणेशपूजा । महाबीर पूजा = महावीर जयंती । डुजडोल = रथयात्रा । हरेली = हरियाली । जवारा = जैवरा । नवें = गौरी कन्या व्रत । दुर्गा पूजा = दुर्गाष्टमी । दसेरा = दशहरा । महाशिवरात्री , प्रन्दह अगस्त , छब्बीस जनवरी , गाँधी वयंती , तुलसी जयंती , ईद , बड़ेदिन , रामनम्मी , सब तिहार एक , दू , तीन , पांच , नौ दिन तक चलथे मनाथें घला । पर एक अईसन एक तिहार हे जे लगा - तार चलथे रथे सबले बड़े तिहार ओ हे पितरपाख जे पन्दह दिन तक मनाते रथे अपन पुरखा ला जलांजली देते रथें । खेलकुदः - खुडवा , डन्डापचरंगा , पुक , बाटी , फुगड़ी , आँखमिचौनी , पक्कीगुच्ची , खोखो , पचुआ , घानीमुनी अकरी - दुकरी , जुआचित्ती , पग्गादुआ , पिदघुल , डंगचघहा , डीभौल , नूनपाट , बरौछा , तिरीपासा , भालाफेक , गोलाफेक , तवाफेक , कुर्सीदौड़ , केराछुवउल , बोरीदौड़ , लम्बीकूद , ऊँचीकूद , रस्साकसी , घड़ादौड़ , अंधीदौड़ , लुहगीदौड़ , पल्लादौड़ , डोरीदौड़ , सूजीबुलकई आदि ।