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वर्ग शब्द

हमेरी , बटरेल हिन्दी

हमेरी हिन्दी अउर छत्तीसगढ़ी के बिगड़े रूप हे , न हिन्दी आरुग हे न छत्तीसगढ़ी आरुग हे , दूनों के मिंझरा बोली ला बटरेल हिन्दी कथे , जइसे सेमी अउर चना के अलग रूप बटरा हे , ओसने ये हमेरी या बटरेल हिन्दी हा हे । हमेरी हा गाँव के हे शहेर मा तो हिन्दी ही बोले जाथे पर हमर छत्तीसगढ़ शहेर मा घलोक गढ़ के ही बोली बोलथें । छत्तीसगढ़ हमर मयारुक दाई हे । ओ अपन लईका - पिचका ला अबड़ेच मया करथे ते ओकर लईका मन निठुर कइसे रही भला । हम जिहाँ जाबोन उहाँ अपन मातु संस्कृत ला एक कनी गोठियाइच लेथन । हमर घर मा कहीं बिहार या ओड़िसा के पहुना आजाथे त अपन मातु बोली - भाषा ला कतीक चाव ले गोठियाथें ओसने किसिम के का हमन अपन दाई के सिखे गोठ ला भूल जाबोन का । एक दिन के बात हे हमन पूरामई पिला पुन्नी नहाय बा कणेश्वर मेला गाड़ी मा बईठ के जात रेहेन , ओमा काकी , भौजी , बड़ेदाई , पारा के आन जात मन के दीदी - बहिनी भइया मन पूरा परवार सहित रीहिन , ओमा के हमर डोकरी दाई हा बड़ चुलबली रहीस , ठिठोली करके एक कनी ये हमेरी झाड़िस ओला सुन के जम्मो झिन मतपूछ हमेरी बोले ला लग गीन । मेहाँ उही बेरा अपन जेब ला टमड़े ते ननकुन एकठन कागद के चिरहा पन्ना मिलगीस अउर कलम मा उत्तधुरा लिख पारेवँ ।

येहा हमेरी के मतलब हे भाषा बोली के गियान के कमी नी हे , हमेरी हा गाँव के लोगन के एक गुड़तुर बोली हावे । लोगन पहिली जमाना मा कमें भले पढ़े लिखे जुरुर रहायँ पर बड़ गियानी रीहिन , गाँव मा डइकी - डाउका दूनों परानी बोल के मजा लेवें येला । तो आवव थोरकुन हमेरी ला इहाँ लिख लेथन :

अकर बकर का देखथो आप जाइए ना .

अगरहा फारम नहीं है क्या हमला घलोक लेना हे ।

अन्त - तन्ते गोठियाता है हमारे पास ।

अपन सेती हमला खिजराता है ।

अपने गाँव आएगा रे तो हम अबड़े अकन लाडू खिलाएगा ।

अरे टूरी कहाँ जाता है ।

अरे टूरा तुम्हें गोठियाने नहीं आती है ।

असन के बोलने से लाभ मिलता है ।

आँखी निकल गई है तबले नहीं चेतता है ।

चाऊरा में नगते अकन भीड़ इकट्ठा होथो ।

आगू - पीछू क्यो भागती है रे टूरा मन ।

आज कल तुम बहँत झटक गया हो ।

आज के दिन पुन्नी नहा के किंजरना हे ।

आज के पन्द्रही हमर दीदी आया था ।

आज क्या सब्जी चूरावत हस ।

आज मुझे धुगिया ढकार नगते आता है ।

आज हमको हलाकान किया रहा तो हमें नींद नहीं परा ।

आज हमन दूनो झिन ऊहाँ गया रहा ।

आना रे टूरा तोर कहे को बोर - बोर चिल्लाता है ।

आना है तो आओ नहीं ते नंगते पीटान खाना है ।

आनी - बानी के मिठाई लान - लान के खिलाता है ।

आप के परवार मा कतक झिंन होथो ।

आप को अगोरत रहेंव फेर ते में फिफियागेंव ।

आमा खाने में अच्छा सुहाती है ।

आप नंगते जोरा करने जानता है ।

आरो नहीं मिला काली कहाँ गई रही ।

इकरेच खातिर मेरा पति का जान चली गया ।

इधर आईये तुम्हार दाई - ददा के कोन नाम है ।

इधर आईये ओकोती सांप कुदाता है ।

इधर - उधर के का गोठगोठियाता है लमा - लमा के ।

इधर से बेर उता है ।

इधर हमारा जी छूट रहा है और तुम भकवा के देख रहा हो ।

इसर के लईका पिचका घलो होता है ।

इहाँ से कतका का टिकस लगेगा ।

ईकर गोठ हमको बहुत सुहाता है ।

ईकर नोनी बाबू नादता नहीं है ।

ईकर संग बात करने से बने फबजाता है ।

उतीयाईल करोगे तो अधिक होत कहत ले मारुगा ।

उदगत - उदगत रेंग रहा है ।

उपर - उपर आव तरी देखो गा तो गिरजाओगा ।

उबुक - चुबुक हो रहे हो दाई बखानही ।

उरकत ले खा लिए आप लोग ।

उरकत में आप लोग आए क्या फबाओगे ।

उल्हुर - उल्हुर रेंग नहीं तो भसक जायेगा ।

उल्हुर - उल्हुर पाँव मढ़ता है ।

उसके माता - पिता पोच - पोचहा गढ़न के ।

उसना चऊर खाता है तो पेट बने भरता है ।

उसरत नहीं है आप लोगो को काम बुता ।

काम उसरा के रेंगों बस रेंग देगा ते चुचवाय ला परेगा ।

एक कनी मारने से रोदेते हो ।

एक झन लईका है ते पायके अधिक मया करता है ।

एक झुरी भाली ला पुरोनी देता है ।

एक कोरी मढ़ादिया है हम टुप - टुप बिनता है ।

एक दिन दाई गया रहा ।

एक दिन में कितना आम बिसाना हे ।

एकर मारे हम परेसान रहता है ।

एला कोन गोठिया बा कहता है ।

एक ले सेक उतीयाईल करता है ।

ए दाई अब्बड़ पिराता है ।

ए नोनी कहाँ गया रहा ओ ।

ए मालिक मोर उहाँ गया रहा ।

एर्रा टूरा संग टूरी भगा गया ।

ए सीट मेरा है झुंचो ।

ए सीट में कोन कोन बिराजता है ।

ऐसा करोगे तो क्या फबाओगे ।

ऐसा तुम्हारा दाई बोला है ।

ऐसा तुम क्यों बिजराता है ।

करम के फल तुरते मिलता है ।

कल आयेगा तो मैं अपना जाति बताऊगी ।

कल आयेगा मो जाती ही बताऊँगी ।

कल - कल झन करो हमको परेसान लगता है ।

कल तुम्हारे बाप कहाँ गई थी ।

कल स्कूल नहीं जाऊगी तो मुझे भदा - भदा मारेगा ।

काबा अधिक चिन्ता करता हस ।

काल ला कोन लुका सकता है ।

काँदी लुयेले पसीन नगते छुटता है ।

काकी संग कका नगते खिसियाता है ।

काली माई अबड़े रिसाता है ।

केला का दरजन कतका लगाता है ।

केला कितना भोगा गया है ।

केला नंगते खाने में पेट पिराता है ।

केला खाने से मोटाता है नंगते ।

क्या कहूँ गोठियाने में मजा आता है ।

क्या बताऊ हमको दुख हमा जाता है ।

खचवा मा गिर परेगा देख के रेंगीये ।

खजवा के हाथ नंगते हाथ पिराता है ।

खटिया में बईठता हूँ ते उदग जाता है ।

खटिया दोलगा बना देता है ।

खपरा भर आगी को सुपचा देता है ।

खरखा डार मा अब्बड़ गाय - गरु खड़े होता है ।

खरात ले रोटी सेकने से नीक लगता है ।

खार खा गया तुम्हारे बुध में ।

खेड़काडार मा गाय नगते अकन इकट्ठा हो गया है ।

खेत खार नंगते फूट जाता है ।

खेत जाओ बेर उग गया है ।

खेदा खेदने जा रहे है तुम जठना जठा के रखिए ।

खेरपा ओधिया देते कुकुर नींग जाएगी ।

खोरे खोर मा गोल्लर नगते कुदाता है ।

खोखो खाँसता है ता हसफताल क्यों नहीं चला जाता है ।

गतर चले न जाँगर का का गोठियाता है ।

गदहा कस लाद ले तुम ले जा रहा हो कहाँ पर ।

गरुआ मन बहुत चिल्लाता है ।

गरु - गाय अब नंदा गया है ।

गरुदेव के परवचन सन के हम आता है ।

गाड़ी कसके अब्बड़ भागता है ।

गाना गाय बर हमको नी मनता हे कोई ।

गाय को काँदी खिला दीजिए तुम ।

गाय - गाय क्या धनाता है ।

गारी देने में मजा आती है ।

गारी दे ले हमको बने ई सुहाता है ।

गीत गाने अमको अढ़िया भाता है ।

घर मे चूहा नंगत - नंगत निकलता है ।

कुरिया मन ऊँकर बड़े - बड़े लगता है ।

घटला हाट हहाँ ले कितना लट्ठा है ।

घसरत चलने से बुद्धि हजा जाता है ।

घुपुक ले का कर दिया है बादल से अबड़े कुहरता है ।

घीरलात काबर घीसरता है ।

घोड़ी बहुत भगता है उसका पार काई नहीं पाता है ।

घोड़ी मे दुलहा चड़के मजा पाता है ।

घोरियात ले बैठने से क्या मिलता है ।

चंदवा मुड़ी मा अधिक घाम लगता है ।

चंदली गाय अधिक फबता है ।

चद्दर फकफक ले सफेद नंगते दिखता है ।

चल मंदिर कोती किंजरने जाऐगा ।

चिखला गाँव हमें नहीं भाता है ।

चिखला में पैर नीग जाता है ।

चेंच भाजी संग बासी अधिक मिठाता है ।

चेते - चेते सोओ पानी हमा रहा है ।

चंदे सहीं गोठियाता है लाज - बीज नहीं लगता है ।

चेला - गुरु दोनों को अच्छा फबता है ।

छाता आन ओ पानी आता है ।

छाता खुमरी ले जाओ पानी नंगते गिरने वाला है ।

छानी मे चड़ने से उसका अई आ जाता है ।

छेकत हे गोल्लर हा रस्ता धैंच के रेगना चाहिए ।

छेरका टूरा मन खेत चरा देता है ।

छेरी असन का मेंर - मेर चिल्लाता है ।

छेरी दूद गुड़तुर लागता है ।

छेरी बोकरा ला पूजना महा पाप लगता है ।

छेल्ला किंजरने से बेर्रा ट्रा को अधिक मजा आता है ।

छोकरा - छोकरी जैवरिया मन उड़रिया भगा जाता है ।

छोकरी कारी टूरी अच्छा फबता है ।

जठना जठा दे सगा मन आ रहा है ।

जतिक बेरा भूख लागे ओतिक बेरा खाईएगा ।

जवरिया संग खेलने में फबता है ।

जिंहा जावगा हम भी उसी जगा जावगा ।

जिहाज में चढ़ के हम भी बादर - बादर किंजरे गा ।

जे घर मा जाबे ओ घर मा आदर - सत्कार होती है ।

जे झिन टूरा के ते झिन माता - पिता कइसे होता है ।

जेला देखबे तेला हमीच हन कहता है ।

झंझट में पड़ने से हलाकान लगता है ।

झट्ट ले तो पुर गया ।

झन जा मंझनिक - मंझना फूसहा कुदाता है ।

झपकुन आईए ना ? झोरहा साग अधिक मिठाता नहीं है ।

झोला - झोला साग पान लानते रहा हम ।

झोलाधर गया है हमे ।

झोला धरके कहाँ गया रहा ।

टूरी के दाई आप मन को बला रहा है ।

टेंटका और सांप मित्र बधेते कौन देखा है ।

टेंडगा गोड़ के टूरा अधिक मेंछरा रहा है ।

टेंड़वाय जैसा करता है ।

टेटका संग दौड़े में कोन पार पाता है ।

टोनही मन हरियाली त्योहार में घर - घर जा के बड़ चूहकता है ।

 टोर के पादने से नहीं बस्साता है ।

टोनही ले दूर हट कर रहाना चाहिए ।

टोर - टोर के सुलर दिया गया है ।

ठकठक ले परीं देख कर टूरा मन मोहा जाता है ।

ठगड़ी के नोनी - बाबू नहीं होता है ।

ठगरा के गोठ नहीं पतियाना चाहिए ।

ठसका के जीवन जीना हा फबता है ।

ठस टूरा - टूरी ला जर नहीं आता है ।

ठाकुर दाई अब्बड़े मया करता है ।

डर के मारे पल्ला कहाँ भागता है रे ।

डरभूतहा वृक्ष हमर गाँव में एकठन नहीं है ।

डर - डर के रेंगने से अधिक डर लगता है ।

डरावल ले बच के रहना चाहिए ।

डलिया टूकना ले नान्हे नहीं रहता है ।

डरे जीव गवाही नी देता है ।

डरे जीव हा दही - मही ला फूक के घलो पीता है ।

डुमर फूल को भला कोन देखा है ।

ढकना ढाक के रखो उड़ जाता है दवाई - दारु ।

ढरका हर जीनिस को पिना नहीं चाहिए ।

ढरकेवाँ ले मुड़ी उझर जाता है ।

ढार में चक्का दूल जाता है ।

ढेकना मारने से हाथ बस्साता है ।

ढेकरा में लमेंरा जल्दी चढ़ जाता है ।

ढेरही ले दोनो आँखी नी दिखता है ।

ढेरा में रस्सी ठीक आटी आता है ।

ढेलवानी में रेंगने से भदाकले गिरने से होता है ।

ढेला मार के ओ हमला नंगते इशारा करती है ।

ढेला मार के हमको इसारा क्यों करता है ।

ढेला मारने से घुघवा बीन के ले जाता है ।

ढेस के साथ चने का दाल बढ़िया मिठाता है ।

तरई के पानी गंज खुजलाती है ।

तरी उपर क्यों मढ़ाता है ।

तान - तान के गोठिया रहा है ।

तुम का का हमारे पीठ पाछू गोठियाता है ।

तुम कतका गिलास पढ़ता है ।

तुम जाओ न तुम्हारा घरवाली अगोर रहा है ।

तुमने जो अमको बोज दिया था ।

तुम तो सरी गियान को मुरकेट दिया है ।

तुम हमको नहीं जानता है हम इहाँ के दादा हे ।

तुम हमको हमको क्या समत्ता है ।

तुम्हारा कुछ नहीं अटका है ।

तुम्हारा दाई गारी देता है ।

तुम्हारा दाई ने तो बोला था उहाँ कल - कल होता था ।

तुम्हारा दादागिरी सटक जायेगा ।

तुम्हारे ददा कहाँ जाती है , हमका भी किंजाने ले जावेगा ।

तुम्हारे पीरा हमारे देहे में हमाता है ।

थक मरथों तोला हरियर सुझता है ।

थरकुलिया में साग अच्छी लगता है ।

थरथर तुम्हारे भाई काँपती है ।

थारी में पेज जल्दी जुड़ा जाता है ।

थारी में बासी झड़कने में मजा नहीं आता है ।

थूकता हे इहाँ - उहाँ तुम्हार ददा क्या करेगी ।

थोथना ला टार बस्सा रहा है ।

थोथना मा का सुंगता है क्या हमे तो नीक नी लगता है ।

दवाद के सिहाई बहुत उरकता है ।

दाई - दीदी को बकने से क्या मिलता है ।

दारु तुमको पीता है कि दारु को तुम पिता है का गोठियाता है ।

दान करने से तुमको क्या पिराता है ।

दिन के अंजोर - अंजोर जाता है तो भी गोठियाता है ।

दिन में कमाय में सुख नग्गत लगता है ।

दियना अउर बिहना के अंजोर बढ़िया लगता है ।

दीदी - दाई के हिन्ता , देव - धामी के हिन्ता गोठियाता है ।

दीदी बुलाया था तो गया रहा ना भईया । ।

दीदी संग भाटो नहीं गोठियाता है ।

देख देख तो रे क्या उड़ाता है ।

देख तो दाई टूरीमन मारता है ।

देना है तो देव साहेब हमको घेरी - बेरी मत रेंगाओ ।

देना है तो देवना जी हमारे लिए क्यो खिसियाती है ।

धनिया पान में आज कल सुगंध ई इकलता है ।

धनिया पान और टमाटर के चटनी अंगाकर के साथ अधिक मिठाता है ।

धर के अनता है कि नी आनता है रे ।

धरना धरा है कि ओढा ला टेका रहा है ।

धरना रे तोर ओढा ला टारता है कि ई टारता है रे ।

धान की बोई आ गया है बासी के संग अथान गंज मिठाता है ।

धार करने तुमको नी आता है ।

धारे - धारे बोहा जाएगा ।

धुआ किंजर , किधर के आता है और आँखी में निगता है ।

धुक - धुक , भुकभुकी लग रहा है ।

धुरै लाफरहा गढून के आगे धूंचता है कि नहीं ।

नऊकर - चाकर से घर सइमो - सइमो करता है ।

नखरा बताता है क्या तुम्हारे चाला नहीं हम जानता है क्या ।

नख ला दाँत में काटने से जहर शरीर में छिछल जाता है ।

नथली के बिगन नाक राणी औरत समान दिखती है नाक ।

नथली जब्बर रोंट दिखता है ।

नथली अब्बड़ हालता है ।

नरवा के पानी बड़ मतलाहा आता है ।

नरियाता है किसलिए ।

नाक और मुँह के बीच एक अंगूर लट्ठा लगता है ।

नाक - कान में जुड़ हमा जाता है ।

नाक में ठेठा नींग जाता है ।

नाक बुलबुल बोहाता है ।

नाथने से बैल अऊंक जाती है ।

नानकून टूरी हमको रोवाता है ।

नानकून लऊटी में मुनगा नहीं अमराता है ।

नान - नान टूरी मन अब्बड़े मेछराता है ।

नान - नान लईका को बढ़िया सुन्दर चुक्क ले खेलने आता है ।

नानों न रे क्यो बिलम करती है ।

नोनीपिला मन अबड़े मेंछराता है ।

नोनी के दाई मेंछरा - मेंछरा के गोठियाता है ।

 नोनीबती मन अबड़े भाग - दौर करता है ।

नोनी जात मन के देहें नंगते गुलगुला होता है ।

नोनी - बाबू मन तोर के गिलास पढ़ता है ।

पतरी नंगत - नंगत न जठाईये ।

पताल का कतना किलो लगाता है ।

पलान करने में हमें आज बड़ मजा आता है ।

पलेट ला साफ करो मैल हो जाती है ।

पाकलो फर टोरने से बने भाता है ।

पादेसहीं गोठियाता है गोठियाने नहीं आता है ।

पाना ला टोर के लाईये ना ।

पानी में चभरंगले कूद गया ।

पोंडा सोज ले गुँड घुस जाता है ।

पोंडा नी कर हवा ले जुड़ लगती है ।

पोंडा अईठी बने हलका रहता है ।

फकते पसिया बनादिए ।

फलानी घर हमें बैठनी बुला लिया हमें अउर नी गोठियाता है ।

फरद पेड़ में चिरई बैठता हे ते काँटा गोड़ में नींग जाता है ।

फर - फर को खाता है अउर हमें टूहूँ दिखाता है ।

फर मन हा लिटलाट ले खाँदी में फला है ।

फरालो थोथना के क्या - क्या गोठियाता है तम । ।

फरिका को उघारो कहता हूँ तो कान फूट गया है ।

फरिका को तोप दो कुकुर पेलदेगा ।

फलल - फलल अच्छा गोठियाने जानता है टूरी ।

फार के देख कितना बीजा है ।

फाकता फागून में मेंछराता है ।

फालतू - फालतू आने में मेंछराता है ।

फेकारी चिल्ला - चिल्ला के गोठियाता है ।

फेना बाल्टी मे नंगत बना दिया है ।

फोकटे - फोकट उतीयाईल लगता है ।

फोद के घर बिहाव हो रही है ।

फोन आई है नंगत देर ले बाज रहा है ।

फोर - फोर के खाइए सिट्टा लगता है ।

फोहरे - फोहरे बकने जानता है तुम्हारा दीदी ।

बईठे - बईठे चूतर पीरागया है इतना टेम से ।

बखरी कोती कुकुर नींग गया है ।

बखरी में बेंदरा नींग गई है ।

बड़ उखानूचंद बन गे रहता है ।

बड़ा रोंटका साँप कुँआ में नींग गया है फों - फों चिल्लाता है ।

बरर - बरर नरियाता है रे ट्ररी ।

बरी संग चेचभाजी बड़ मिठाता है ।

बमफर के क्यों रोरहा है ।

बहंगर हो तो तुम्हारे घर का हमरा क्या उखाने ।

बहिंगा ले हमारा कंधा अधिक पीराता है ।

बालटी में पानी चूचवा रहा है छपको - छपको तुह्मन ।

बिजली बहूँत बर रहा है ।

बित्तरा उठाओ ना पँगपँगा गया है । ।

बिरबान बनके हमको तुम डराता है ।

बिरबीट हे टूरी हा मुँच ले हँसता है ते अच्छा फबता है ।

बिरापान अबड़े चूरचूराता है खाने पर ।

बियामन यहाँ बईठा रहा ।

बियाना देके घलोक सस्ता ई मिलता है ।

बिलासपुरिया हमर ममा रहती है और मामी हमर धमतरी में रहता है ।

बुजा मन हमें नंगते परेसानी करता है ।

बता आपको अच्छा उसरता है ।

बुरा - बुरा बात गोठियाता है तो हमें नीक नहीं लगता है ।

बेर उग गया है जठना - पीढ़हा छोढ़िए ना ।

बेर बुड़ गया है तुम्हारा दाई अभी तक हाट ले नहीं आया है ।

बेर में नंग्गत कीरा पलपला गया है ।

बेरा होगे हे नहीं रेंगना है क्या । ।

भइरका में नींग जायेगा तो गोड़ - हाथ टूट जावगा हँसी - ठठा मचाता है ।

भगवान भरोसे नी रहेना है कुछ तो काम करना है ।

भगवान सबको देखती है तुम उतीयाईल नी करो ।

भट्ठी में दारु पीने जाती है ददा तो क्या मिलती है ।

भठरी आनी - बानी के पढ़ता गर्मी के दिन मा ।

भरका - भतका ला देख के रेंगना चाहिए ।

भरी में कोलिहा नरिया रहा है ।

भरी - भात खाने से गाँव में अधिक मजा आता है ।

भाकू को भलू भक्कले खा जाती है भाँटो घर जा के टूरामन अधिक रोता है ।

भाटो के ददा गुजर गई है ।

भात बघरा अच्छा मिठाता है ।

भैंसी सबला लात मारता है ।

भूख में बासी बने सुहाता है ।

भूत धरले गा ओ डाहर झिन जाईयेगा ।

भूत ओ घर में रहती है ओ गोहारता हे तो डर लगता है ।

भूतहा कुरिया में झिन जाओ सूते में ओ धरलेगा ।

भूरी भैंसी हुमेल देता है वहाँ से हटिये ना ।

भूस ले इकल जाता है तुम हमारे साथ ई जा ।

भोकलू के ददा रो रही है ।

भोरहा में आप को ले आने रहा ।

भोरहा में खा दिया था ।

मंगनी - बरनी तुम्हारा हो गा है रे टूरी ।

मंजन करने से दाँत अच्छा उज्जर दिखता है ।

मंदत्ती ला कोन बिहाव करती है ।

मंद पीने से तम गली - गली बकता है ।

मउँर दुलहा डोका को अच्छा फबता हे ।

मरते - मरते बच गया जी छूट रहा था ।

मरे - मरे कमाय हैं तेला टूरा मन उरका दिया है ।

मरे - मरे पोसे हन साईदी होगे ते हमारे लिए खिसियाते रहता है ।

माडी तक उघारने में तुम्हे क्यो लाज आता है ।

मारिक - पीटा होने से इज्जत गवाँ जाता है ।

में घला तुमला देख लूँगा ।

में में क्या गोहारता है ।

में घला तुमला देख लूँगा ।

मेंहाँ तोला बुलाता है तुमें क्या गरज परता है नी आता है ।

मेंहाँ घर के सियान बबा हौ मोर बिगन कुछ भी काम नहीं होती है ।

मोर कहेना बचन अच्छा इ नीक लागे का तुम्हारे को ।

मोर बा तें क्या खिसियाता रहा है ।

मोला ते नी जानता हस क्या रे ।

मोला भूरभूस लागता है बदनाम करेगा लागता है ।

यहाँ तें बने - बने गोठियाता है हमको भी बताओ नहीं ।

ये गेहे तें नगरी हाट जाता है कि नहीं जाता है ।

ये यार तोर दाई तो मोर दाई कहलाता है ।

सारा - भाटो के ठट्ठा दिल्लगी आज कल अच्छा जमता है ।

सास - बहू देखे आँखी नहीं देखता है ।

सास - बहू के झगरा सुनने वालों को अलकरहा लगता है ।

साम को बेर बुढ़ता है ।

साम को कींदजने मजा आता है ।

साम्हर जंगल में अब्बड भागता है ।

सारी टूरी हमको मरती है रे बाबू पीला ।

सारी टूरी बड़ मेंचमेंचही है ।

सारी - सारा के घर हा बैकुन धाम कस लगता है हम उहाँ गया तो रम्मक - रम्मक गोठिया दिया ।

हमको खिजराहा करता है तुम लोग ।

हमको तुम्हारा गोठ एक घलोक भी नहीं सुहाता है ।

हम गाँम नी गये इसलिए अखर रहा है ।

हमर संग का - का कहता है रे टूरा ।

हम गोठियाता है तो तुम्हारा क्या फाटता है ।

हमारा डरेस तुम्हारा ले लंग्गत किमत का है ।

हमारा दिमाक खराब करता है हमें नहीं सुहाता है ।

हमारा नींद उचट गया है यहाँ ले उठ ।

हमारा तुम एक कनी नी बिगाड़ेगा ।

हमारा पिछलग्गा क्यों लुहँगाता है ।

हमारा संगी को जर आ गया है तो हमको खिसियानी आता है ।

हमें का बदनाम करोगा तुम बदनाम हो जाओगा ।

हमें करा ले उचता है कि नहीं उचता है रे ।