एक दिन के बात है कि कुदरुत जम्मो रुख , रई , पौधा , फूल , फर , अपन - अपन दुख - पीरा ला एक दूसर ले सुनाइन होही तब एक ठन जूना बर पिपर के रुख हा कहिन कि हम सबके हीत के बात कहते हवन सूनों तूमन धियान लगा के हम बतावत हन । हमर आठो अंग पाना - डारा , फूल - फर , जम्मो ला टगली ले काट डारथें । हम ठूठवा हो जाथन , हमर पीरा ला कोन जानही , कोन ला सुनावन , हमर मुँहू रतिस ते गोहरातेन , पाँव रतिस ते रेंगतेन अउर पराजातेन , पीरा ला सही के चुपचाप रही जाथन , तब सूनों रुख भाई मन एक ठन मोला उदूम सुझत हे हमर कुछ भाग ला भुंया मा लूका के राखन , कुहूं मनसे महिनत करके खनहीं तभे मिले कहि के लूका दिन उही हा काँदा कुसा बनगीस होही तईसन लागथे । काँदा - कुशा ले बजरा दवई बनथे अउर पुस्टई घलोक हे जइसे - शंकरकाँदा , जीमिकाँदा , कोचईकाँदा , आतिस काँदा , घोरबच , मानकाँदा , बच , बेलाडोना , डांगकाँदा , भईसढेठी , कोचई , श्यामकोचई , कदई , केऊकाँदा , सुखदर्शन , केशरवा , रतालूकाँदा , हरदी , हामीहरदी , मोथा , गाजर , मुरई , बिबोलाकाँदा , करूकाँदा , बईचांदी , तिखूरकाँदा , तिनपनियाकाँदा , चोबचीनि , आदा , थूहा , कलिहारी , पूरकचनी , गुलवास , मूंगफली , बनगोंदली , दसमूर , लसून , सर्पगंधा आदि ।