मुख्यपृष्ठ > भाषा > विद्या> विषय



Hemant kumar manikpuri

पिता :- Arati dass manikpuri
सम्पर्क:- 8871805078
ईमेल :- hemantkumarmanikpuri@gmail.com
जन्म तिथि :- 01/05/1977
शिक्षा:- 10+2
पता :- Parasi ram vard. Bhatapara
पद:- Nothing
विधा :- Nothing
रचना1 शीर्षकन :-
रचना1 :- 212/ 212/ 212 /212 फा़इलुन ×4 हर गली शाम तक आज दुबकी दिखी धूप भी छाँव के संग बैठी दिखी ये अमा अब उजालों में खोती दिखी झोफड़ी में कोई रौशनी सी दिखी जाने क्या कह दिया है किसी ने उसे उनकी आँखो में जो आज तल्ख़ी दिखी जिन्दगी फिर से थमने लगी थी यहाँ चींटी फिर एक दीवार चढ़ती दिखी मुद्दतों बाद ये शह्र बेखौफ़ है राह चलती हुई आज लड़की दिखी अमा-अँधेरा ग़ज़ल हेमंत कुमार मानिकपुरी भाटापारा छत्तीसगढ़
रचना2 शीर्षकन :- भोजली
रचना2 :- शुक्ल पाख नवमी लगन,सावन महिना आय। हरियर हरियर भोजली,बहिनी मन सिरजाय।। धरती मा पानी गिरय,होवय बढ़िया धान। इही आस ले के सबो,करय भोजली गान।। धान गहूँ कोदो चना,चरिहा भर लहराय। सब बहिनी सेवा करय,कतका मन ला भाय।। दशमी के दिन भोजली,पीका फूटे तोर, जब आए एकादशी,पाना निकले कोर।। रूप दुवासे पींवरा,जइसे चमकय सोन।। लहर लहर लहरा करे,देखव तो सिरतोन। थाल फूल दीया सजे,पूजा के बड़ रीत। गावय सेवा सब जने,देबी गंगा गीत।। तेरस के दिन भोजली,रूप अनोखा पाय। नान्हेपन ला कर बिदा,तरुनाई मा जाय।। तिथि चउदस के दिन करय,पूजा पाहुन सार। जम्मों भक्तन हे कहय,मात करव उपकार।। पुन्नी के दिन माँ चलय,अपन सार निज धाम। बहिनी मन बोहे रहय,आँसू अँचरा थाम।। रचना हेमंतकुमार मानिकपुरी भाटापारा छत्तीसगढ़
पुरस्कार :- Nothing