पिता :- |
श्री धनी राम साहू |
सम्पर्क:- |
9589778866 |
ईमेल :- |
sahu.ashutosh85@gmail.com |
जन्म तिथि :- |
21/09/1985 |
शिक्षा:- |
एम.ए. हिन्दी, बीएड |
पता :- |
ग्राम व पोस्ट - नारायणपुर, तहसील-नवागढ़, जिला-बेमेतरा |
पद:- |
शिक्षक |
विधा :- |
नहीं किया गया है। |
रचना1 शीर्षकन :- |
*दारू के ब्याधि* |
रचना1 :- |
*दारू के ब्याधि*
*एक ब्याधि छत्तीसगढ़ ल,अपन शिकार बनावथे।
मनखे ह पिथे ओला फेर,मनखे ल ओ ह खावथे ।।
*हाथ गोड पिराये के कोनो,दवई एला बतावाथे ।
कोनों एला पेट भर पीके ,कि इंहा मतावाथे।।
*लोग- लइका रद्दा देखे,भात इंहा जुड़ावथे।
घर के सियान कतका बेर म,लड़भड़ लड़भड़ आवथे।।
* जब आदी हो जाथे त,भट्ठी म लइन लगावथे।
पिये बिन चैन नई परे,हाथ गोड कंपकँपावथे।।
*पी डरिस तिहा फटफटी,अबड़े इहां कुदावाथे।
कतको झन, नई सम्हलावे त,गाड़ी सुद्धा बोजवत हे।।
*दारू झगरा के उखेनी,मंता ल ए भोगावथे।
मन के घुरवा ल उझेल,पाप ल ए ह उफलावथे ।
*छट्ठी म जाबे त दारू, बिहाव म दारू पियावथे।
छट्ठी के रमायन ह, कतका जल्दी नंदावत हे।
*बड़हर मन दारू पीके, कंगला इहां कहावथे।
दारू जुआ के चक्कर म, पूंजी ल अपन उडावत हे।
*भाई भाई अउ मितान ल, बैरी ए ह बनावथे।
सम्हलव भाई बहुत होगे,समय हमला समझावाथे।।
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रचना2 शीर्षकन :- |
दूकाल |
रचना2 :- |
# दूकाल
पउर होगे, परिहार होगे, उही धोखा ऑसों के साल होगे।2।
झन परै, झन परै कहत राहीगेव,फेर ऑसों तको दुकाल होगे।।
*मेहनत सबो बिरथा होगे, धान बिजहा के पुरता होगे।2
गरुआ ल खवाबो काला, पैरा बर लुलवाय ल होगे ।।
//झनपरै झनपरै, कहत रहीगेव फेर आसों तको दुकाल होगे।
*बोरवाले के बोर सुखागे, पानी ह अड़बड़ दुरिहागे।2
धार ह निमगा पातर होगे, चारो कोती ले काल होगे।
//झन परै, झन परै कहत रहीगेव,फेर ऑसों तको दुकाल होगे।।
चना गहुँ ह जमीच नही , इहु फसल ह थामहिच नही।2
का करवँ सबे मति हरागे, खेती ह जंजाल होंगे।
//झन परै, झन परै कहत रहीगेव,फेर ऑसों तको दुकाल होगे।।
*तरिया म पानी कमती दिखथे, नहाई खोरई ल करबो कइसे।2
गरमी म गुजर होहि कइसे, सबले बड़े ए सवाल होगे।2
//झन परै, झन परै कहत रहीगेव,फेर ऑसों तको दुकाल होगे।।
@ आशुतोष साहू, ग्राम पोस्ट नारायणपुर,
नवागढ़,जिला बेमेतरा। |
पुरस्कार :- |
नही |