पिता :- | जगेशर राम निषाद |
सम्पर्क:- | 8120199670 |
ईमेल :- | jitendra12118@gmail |
जन्म तिथि :- | 12.11.1986 |
शिक्षा:- | 12वीं |
पता :- | ग्राम-सांगली,पोस्ट-पलारी,तहसील-गुरुर,जिला-बालोद,491222 |
पद:- | मजदूर |
विधा :- | एक भी नहीं |
रचना1 शीर्षकन :- | छत्तीसगढ़ के माटी उगले |
रचना1 :- | छत्तीसगढ़ के माटी उगले, सोनहा धान के बाली ग । चारो मुड़ा बोहावत गंगा, नदी,नरवा अउ नाली ग ।। संझा-बिहनिया,पारत पाटी, रापा धरे नर-नारी ग । कायाफूल चढ़ावय भुइयां, करय खेती-बारी ग ।। हरियर-हरियर खेतीखार, घाम घलो,संगवारी ग । नाचय करमा,गावय ददरिया, रोपा लगावय,नर-नारी ग ।। लहलहावत जिहां भइया, मया के ओनहारी ग । एक लोटा देके पानी पहुना भजन,दुआरी ग ।। नई सोवय कोनो लांघन-भूखन, राजा-रंक,भिखारी ग । पेट भर मिलय,पेट भर खावय, खावय बरा-सोंहारी ग ।। जितेन्द्र कुमार निषाद "सांगली"बालोद |
रचना2 शीर्षकन :- | मोर छत्तीसगढ़ी भाखा |
रचना2 :- | दाई,ददा के उमर पहागे बोलत गुरतुर भाखा । मया,पिरीत के धागा म जोड़े अइसन छत्तीसगढ़ी भाखा ।। सावन,भादो म रथे किसान ल घलो बारिस के आसा । उसनेच छत्तीसगढ़िया बर छत्तीसगढ़ी महतारी भाखा ।। गंवई गांव संग हावय एकर सबले जादा नाता । अउ शहर के बइहामन हा घलो बोलत हावय भाखा। सरर सरर बाजत हावय हवा के घलो बाजा । ठुमक ठुमक नाचत हावय कोयली छत्तीसगढ़ी नाचा । जब तक हावय ये तन मा सुंवासा । रग-रग मा बोहाहि मोर छत्तीसगढ़ी भाखा । जितेन्द्र कुमार निषाद "सांगली" बालोद |
पुरस्कार :- | कोई सम्मान नहीं |