पिता :- |
श्री त्रिलोकी लहरे |
सम्पर्क:- |
7898690867 |
ईमेल :- |
dplahre@87gmail.com |
जन्म तिथि :- |
14-06-1980 |
शिक्षा:- |
एम.ए.हिन्दी बी.एड |
पता :- |
बायपास रोड़ कवर्धा वार्ड नं.17 |
पद:- |
व्याख्याता शा.उ.मा.वि.इंदौरी |
विधा :- |
सतनाम संदेश,आरूग चौरा,छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, एहसास पत्रिका |
रचना1 शीर्षकन :- |
योग |
रचना1 :- |
छप्पय छंद
योग करव जी रोज,देंह ला पोठ बनालव।
सुबह करव अउ साँझ,रोग ला दूर भगालव।
आसन कोनों होय,लहू के दउँडा करथे।
मन मा आनंद छाय,सबो पीरा ला हरथे।
आलस दूर भगाय जी,रोज करव सब योग ला।
रूप दमकथे सोन कस,दूर करय सब रोग ला।। |
रचना2 शीर्षकन :- |
खेती-खार |
रचना2 :- |
कुंडलियां छन्द
पावन खेती खार हा,भारत के पहिचान।
महिनत करथे रात-दिन,अब्बड़ हमर किसान।
अब्बड़ हमर किसान,खेत मा फसल उगाथे।
भरथे सबके पेट,इही भगवान कहाथे।
चना गहूँ अउ धान,लगे जी अति मनभावन।
सुख के देथे छाँव,हमर खेती हे पावन।। |
पुरस्कार :- |
छंद के "छ" सम्मान, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस सम्मान,सतनामी रत्न सम्मान,प्रसंग परिवार काव्य शिल्पी सम्मान, बिलासा साहित्य सम्मान, भोरमदेव साहित्यिक सम्मान, अनंत आकाश हिन्दी साहित्यिक सम्मान,हिन्दी विद्या भारती सम्मान,साहित्य गौरव सम्मान, |