हसदेव नदी के सिंचाई और औद्योगिक जल उपयोग का परिदृश्य
महानदी की सहायक नदी है हसदेव। यह नदी छत्तीसगढ़ में बहती है। महानदी में यह नदी बिलाईगढ़ के पास हसदेव बांगो बाँध के नजदीक मिलती है। हसदेव नदी का उद्गम छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के सोनहट से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है। उद्गम स्थान की ऊँचाई समुद्र तल से 910 मीटर ऊपर है। 333 किलोमीटर लम्बी यह नदी का कैचमेंट एरिया 9856 वर्ग किलोमीटर है। हसदेव की मुख्य सहायक गेज नदी है। हसदेव नदी पर बने ‘हसदेव बांगो परियोजना’ बाँध के कमांड क्षेत्र में यानि नहर से जल वितरण क्षेत्र में पानी को किसानों को नहरों के माध्यम से दिया जा रहा है। कमांड क्षेत्र में उद्योगों की बढ़ती संख्या और शहरों की माँग की वजह से किसानों को पानी देने के तरीके और मात्रा में लगातार बदलाव देखा जा रहा है जो विवाद का कारण बनता जा रहा हैं। जल-विवाद पर पूणे से काम करने वाला संगठन ‘फोरम फॉर पॉलिसी डॉयलॉग ऑन वाटर कन्फलिक्ट्स’ ने हसदेव बांगो परियोजना का एक अध्ययन किया है। प्रस्तुत है अध्ययन रिपोर्ट:
हसदेव बांगो परियोजना कमांड क्षेत्र में कृषि जल उपयोग
. मिनिमाता बांगो परियोजना के डिज़ाइन के समय प्रस्ताव में तीनों मौसमों के लिये सम्मिलित रूप से 433,500 हेक्टेयर खेत प्रतिवर्ष सिंचाई की ही बात कही गई थी, मगर मौजूदा स्थिति से इसकी तुलना की जाये तो यह काफी कम है।
2014-15 में प्राप्त जानकारी के आधार पर आरबीसी इरिगेशन के तहत 102,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हुई और एलबीसी इरिगेशन के तहत सिर्फ 37,000 हेक्टेयर की। हालांकि ये आँकड़े खरीफ के मौसम से सम्बन्धित हैं। रबी और गरम मौसम में इस परियोजना से बिल्कुल सिंचाई नहीं हुई है (एके श्रीवास्तव, पूर्व इंजीनियर, हसदेव बांगो परियोजना)।
विभिन्न अधिकारियों और विशेषज्ञों से बातचीत से मिले आँकड़ों से पता चलता है कि लगभग 139,000 हेक्टेयर जमीन पर इस साल खरीफ के मौसम में सिंचाई की गई है। रबी के मौसम में 17,000 हेक्टेयर ज़मीन पर सिंचाई उपलब्ध कराने की योजना थी, मगर पानी की कमी और कैनाल नेटवर्क में आई तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से बिल्कुल सिंचाई नहीं हो पायी। जबकि 2014 में नहरों में 25 अक्तूबर तक पानी आता रहा था। 455 एमसीएम पानी उद्योगों और शहरों को निर्बाध रूप से उपलब्ध कराया जाता रहा,