मुख्यपृष्ठ > विषय > सामान्य ज्ञान

छत्तीसगढ़ के नेशनल पार्क



 छत्तीसगढ़ के नेशनल पार्क (राष्ट्रिय उद्यान )

परिचय :- 

राज्य के राष्ट्रीय उद्यानों का कुल क्षेत्रफल 2929 वर्ग किमी तथा अभ्यारण्यों का कुल क्षेत्रफल 3577 वर्ग किमी है। इन दोनों का सम्मिलित क्षेत्रफल 6506 वर्ग किमी है, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल ( 135191 वर्ग किमी ) का 4.81% है। यह राज्य के कुल वन क्षेत्र ( 59772 वर्ग किमी ) का 10.88 प्रतिशत है।

छत्तीसगढ़ के 3 राष्ट्रीय उद्यानो का संक्षिप्त विवरण :-

  (1) इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान:-

  • स्थापना   : 1978 

  • राष्ट्रीय उद्यान : 1981

  • प्रोजेक्ट टाइगर  :1983 

  • टाइगर रिजर्व     : 2009 

  • जिला    : बीजापुर 

  • क्षेत्रफल   : 1258 वर्ग किमी ( टाइगर रिजर्व बनने के बाद  2799 वर्ग किमी )

  •  यह राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र ‘टाइगर रिजर्व’ है।

  •  इंद्रावती नदी के किनारे बसे होने के कारण इसका नाम इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान है।

पाये जाने वाले वन्य जीव-जंतु

जंगली भैंसे, बारहसिंगा, बाघ, चीते, नीलगाय, सांभर, जंगली कुत्ते, जंगली सूअर, उड़ने वाली गिलहरियां, साही, बंदर और लंगूर आदि अन्य अनेक  पाए जाते हैं।

दर्शनीय स्थल:-

भद्रकाली : भोपालपटनम से 70 कि.मी. की दूरी पर भद्रकाली नामक स्थान पर इंदरावती एवं गोदावरी नदी का संगम है। यह स्थान बहुत ही खुबसूरत है। पर्यटक इस स्थान पर पिकनीक का आनंद लेते है। 

 =================================

 (2) गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान :-


स्थापना : 1981 ( पुराना नाम संजय राष्ट्रीय उद्यान ) 2001 से गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान

  • राष्ट्रीय उद्यान  : 1981

  • प्रोजेक्ट टाइगर   :1983 

  • टाइगर रिजर्व : 2009 

  • जिला   : कोरिया एवं सूरजपुर 

  • क्षेत्रफल : 1441 वर्ग किमी ( टाइगर रिजर्व बनने के बाद  2799 वर्ग किमी ) 

  • विशेष :  क्षेत्रफल की दृष्टि से यह प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है |

पाये जाने वाले वन्य जीव-जंतु

  •   बाघ, नीलगाय, तेदुंआ, गौर, सांभर

  •  सभी राष्ट्रीय उद्यानों से इस उद्यान में बाघ सर्वाधिक पाये जाते है।

  •  इसके पूर्व 1981 से यह पूर्ववर्ती संजय राष्ट्रीय उद्यान का भाग था

  •  क्षेत्रफल की दृष्टि से यह प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है 

दर्शनीय स्थल:-

गांगीरानी माता की गुफा :

  • यह रॉक कट गुफा है जहां गांगीरानी माता विराजमान है। 

  • गुफा के पास बहुत बडा तालाब है जिसमें सालों भर पानी रहता है।

  • यहां रामनवमी के अवसर पर मेला लगता है।

नीलकंठ जलप्रपात बसेरा  

  • सघन वन से घिरा हुआ 100 फीट से अधिक ऊंचाई से गिरता जलप्रपात है। 

  • यहां का विशाल शिवलिंग भी प्रमुख आकर्षण केन्द्र है।

सिद्धबाबा की गुफा :

  • सर्प देवता स्वरूप में सिद्धबाबा का निवास स्थल है 

  • यहां रामनवमी के दिन मेला लगता है। 

  • उस दिन सर्प देवता बाहर निकलकर भक्तों से दूध पीते हैं यहॉं लोग मन्नत भी मांगते हैं।

च्यूल जल प्रपात 

  • यह च्यूल से लगभग ५ कि.मी. की दूरी पर सघन वन से घिरा लगभग ५० फीट की ऊंचाई से गिरता सदाबहार 

  • जल प्रपात है। नीचे जल कुंड है जिसमें जलक्रीडा का आनंद लिया जा सकता है।

खोहरा पाट : 

  •  यह च्यूल से लगभग २० कि.मी. है यह स्थान पाइंट हिलटाप पर है 

  • जहां खोहरा ग्राम बसा है। 

  • यहां से सघन वन, एवं घाटी का विहगंम दृश्य देखते ही बनता है।

 ==============================

 (3) कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान :

  • स्थापना  : 1982

  • जिला     :बस्तर 

  • क्षेत्रफल : 200  वर्ग किमी  

  • विशेष :  प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रिय उद्यान 

    जगदलपुर से मात्र 27 कि.मी. की दूरी पर स्थित है

  • यह एक ‘बायोस्फीयर रिजर्व’ है।

  • कुटुमसार की गुफाएं, कैलाश गुफाए, डंडक की गुफाए और तीर्थगढ़ जलप्रपात।कांगेर धारा

  • भीमसा धारा,दो सुंदर और अद्भुत पिकनिक रिजॉर्ट हैं।

  •  इसके मध्य से कांगेर नदी बहती है।

  •  इसके अंतर्गत मुनगाबहार नदी  पर तिरथगढ जलप्रपात (छग. का सबसे ऊँचा जलप्रपात) स्थित है।

  • कांगेर नदी के भैंसादरहा नामक स्थान पर मगरमच्छो का प्राकृतिक स्थान है।

  • इसके अंतर्गत कुटरूवन (वनभैंसा का घर) है।

  •  कांगेर घाटी रा. उद्यान में कुटुमसर की गुफा है।

  • बस्तर में पहाड़ी मैंना का संरक्षण किया जा रहा है।

पाये जाने वाले वन्य जीव-जंतु

  • पहाडी मैंना

  • उडन गिलहरी

  • रिशस बन्दर(R H फैक्टर)

दर्शनीय स्थल:-

यहां के घने वन, लतायें-कुंज, बांस एवं बेलाओं के झुरमुट, रमणीक पहाडि यां, तितलियां, चहकते पक्षी, रहस्यमयी गुफायें, सुन्दर जलप्रपात, सर्वत्र नदी-नाले में कलख करता जल एवं बिखरे हुए दरहा आपको अपलक निहारने एवं अप्रितम आनन्द में डूब जाने के लिये मजबूर कर देगा ।

कोटमसर गुफा : 

  • वर्ष 1900 में खोजी गई तथा वर्ष 1915 में डॉ. शंकर तिवारी ने सर्वेक्षण किया । 

  • यह गुफा स्टेलटाईट और स्टेलेमाईट स्तंभों से घिरी हुई है |

  • गुफा के धरातल में कई छोटे-छोटे पोखर है । जिनमें प्रसिद्ध अंधी मछलियां पाये जाते है ।

  •  गुफा के अंत में स्टेलेग्माइट शिवलिंग है । 

  • गुफा में सोलार लेम्प एवं गाइड की सहायता से घूमा जाता है ।

कैलाश गुफा :

  •  इसकी खोज अप्रेल 1993  में राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा की गई ।

  •  कोटमसर वनग्राम से लोवर कांगेर वैली रोड पर 16 कि.मी. दूर स्थित है|

  • यह गुफा 200 मीटर लंबी एवं 35-50 मीटर गहरी है ।

  • गुफा के अंदर विशाल दरबार हाल है, जिसमें स्टेलेक्टाइट, स्टेलेग्माइट एवं ड्रिप स्टोन की आकर्षक संरचनायें है ।

  • गुफा के भीतर एक म्यूजिक प्वाइंट है, जहां चूने की संरचनाओं को पत्थर से टकरा कर संगीत का आनन्द लिया जा सकता है ।

  • गुफा के अंत में शिवलिंग विद्यमान है । गुफा को सौर उर्जा से आलोकित किया गया है

दंडक गुफा :

  •   खोज अप्रेल 1995 में की गई ।

  •  यह गुफा 200 मीटर लंबी 15-25 मीटर गहरी है । 

  •  इसमें भी सोलार लेम्प का उपयोग किया जाता है ।

तीरथगढ जलप्रपात 

  • यह जल प्रपात जगदलपुर के दक्षिण पश्चमी दिशा में 39 कि.मी की दूरी पर स्थित है

  •  या सुरम्य जल प्रपात मुनगाबहार नदी से 300 फीट नीचे की ओर कई स्तरों में गिरता है | 

  •  यहां जल प्रपात के नीचे शिव – पार्वती मंदिर भी स्थित है ।

कांगेर धारा :

  • कोटमसर ग्राम के समीप कांगेर नदी लघु जल प्रपात है, जो कई स्थानों पर झरनों के रूप में गिरता है । 

  • यहां की पथरीली चट्टानें, उथले जलकुण्ड, वादियां एवं कल-कल अविरल बहते जल प्रवाह की ध्वनि मुख्य आकर्षण है ।

भैंसा दरहा : 

  • कांगेर नदी पर चार हेक्ट क्षेत्र में फेला हुआ विशाल प्राकृतिक झील का जलक्षेत्र है, जिसे भैंसा दरहा कहते है । यह घने बांस के वनों एवं झुरमुटों के बीच स्थित है । 

  • कांगेर नदी पार्क में कोटमसर से अल्हड़तापूर्वक कूदती-फांदती हुई यहां पर ठहर कर एकदम शंत हो जाती है । यह मगरों एवं कछुओं का नैसर्गिक वास है । 

  • इस दरहा की ज्ञात गहराई 20 मीटर है । 

  •  यह झील पूर्वी दिशा में शबरी (कोलाब) नदी में समा जाती है ।