रचना1 :- |
मां खिलौना मुझे चाहिए , हूँ खेलने को मैं तैयार ।
आपकी लाडली परी हूं ,पर मुझे चाहिए तलवार ।
झांसी की रानी बनूंगी, करूंगी घोड़ी सवार ।
मां खिलौना मुझे चाहिए ,हूं खेलने को मैं तैयार।
एक हाथ में धनुष भी दे दो ,और देखो मेरी कमाल ।
आप की लाडली का देख लो ,है कितना वतन से प्यार।
मुझे सारे खिलौने ऐसे दो, लगूं दुर्गा की अवतार ।
मां खिलौना मुझे चाहिए ,हूँ खेलने को मैं तैयार। |
रचना2 :- |
माँ की सुनले पुकार ,ओ मेरे लाल।
मैं हूं तेरी जननी ,करले देखभाल ।
दूध पिलाई है ,मैंने अपने तन का ।
लोरी सुनाई है ,सोते तक तुम्हारे मन का।
गीले बिस्तर पर सोया ,सूखे पर सुलाकर ।
कलेजा से लगाकर रखा, तुम्हें संभाल कर ।
कितनी परेशानी उठाई ,नहीं गिना रही हूं ।
मैं अपने लाल को ,अमूल्य पल बता रही हूं ।
कैसा पल आज हैआया, वृद्ध आश्रम मुझे छोड़ आया। अच्छा किया बेटा,जो तूने मुझे भूलाया।
पास रहकर दूरी तुमसे, नहीं सही जाती।
बिन बोले कट जाए दिन तो, सोयी नहीं जाती।
गिन गिन कर, कट रहा था दिन ।
आँखों से आँसू ,बह रहे थे छीन छीन।
आज चैन की नींद, सो पाऊंगा बेटा ।
उम्मीद मेरी टूट गई, अब मर जाऊंगा बेटा ।
जाते जाते एक बात बताती हूं ,
बड़ा होने का राज बताती हूं।
दी होगी यदि मैंने तुम्हें श्राप,
तो समझना वरदान है मां-बाप का श्राप।
मेरे जाने के बाद लगे कि मैंने माँ खोया है ।
माँ खोकर मैंने अपना पहचान खोया है।
तो बचा लेना किसी माँ बेटे के रिश्ते बिखरने से ।
वृद्ध माँ बाप को वृद्ध आश्रम भेजने से। |