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छत्तीसगढ़ी बोली



छत्तीसगढ़ी बोली का मुख्य क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य है, इसीलिए इसका नाम" छत्तीसगढ़" पड़ा है। अर्ध मागधी के अपभ्रंश के दक्षिणी रूप से इसका विकास हुआ है। इसका क्षेत्र सरगुजा, कोरिया, बिलासपुर, रायगढ़, खैरागढ़, रायपुर, दुर्ग, नन्दगाँव, कांकेर आदि हैं। बोलीगत विभेद छत्तीसगढ़ की भाषा है छत्तीसगढ़ी। पर क्या छत्तीसगढ़ी पूरे छत्तीसगढ़ में एक ही बोली के रूप में बोली जाती हैघ् पूरे छत्तीसगढ़ में बोलीगत विभेद दिखाई देते हैं। डॉ. सत्यभामा आडिल अपने छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य में कहते हैं कि यह बोलीगत विभेद दो आधारों. जातिगत एवं भौगोलिक सीमाओं के आधार विवेचित किये जा सकते हैं। इसी आधार पर उन्होंने छत्तीसगढ़ की बोलियों का निर्धारण निम्न प्रकार से किया है. 1- छत्तीसगढ़ी . रायपुर बिलासपुर और दुर्ग में जो बोली सुनाई देती हैए वह छत्तीसगढ़ी है। 2- खल्टाही . छत्तीसगढ़ की यह बोली रायगढ़ ज़िले के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। यह बोली बालाघाट ज़िले के पूर्वी भाग मेंए कौड़िया में साले.टेकड़ी में और भीमलाट में सुनाई देती है। 3- सरगुजिया . सरगुजिया छत्तीसगढ़ी बोली सरगुजा में प्रचलित है। इसके अलावा कोरिया और उदयपुर क्षेत्रों में भी बोली जाती है। 4- लरिया . छत्तीसगढ़ कीे यह बोली महासमुंद सराईपाली बसना पिथौरा के आस.पास बोली जाती है। 5- सदरी कोरबा . जशपुर में रहने वाले कोरबा जाति के लोग जो बोली बोलते हैंए वह सदरी कोरबा है। कोरबा जाति के लोग जो दूसरे क्षेत्र में रहते हैं जैसे. पलमऊ सरगुजा बिलासपुर आदिए वे भी यही बोली बोलते हैं। 6- बैगानी . बैगा जाति के लोग यह बोली बोलते हैं। यह बोली कवर्धा बालाघाट बिलासपुरए संबलपुर में बोली जाती है। 7- बिंझवारी . बिंझवारी क्षेत्र में जो बोली प्रयोग की जाती हैए वही है बिंझवारी। वीर नारायन सिंह भी बिंझवार के थे। रायपुरए रायगढ़ के कुछ हिस्सो में यह बोली प्रचलित है। 8- कलंगा . कलंगा बोली पर उड़िया का प्रभाव पड़ा हैए क्योंकि यह बोली उड़ीसा के सीमावर्ती पटना क्षेत्र में बोली जाती है। 9- भूलिया . छत्तीसगढ़ी की भूलिया बोली सोनपुर और पटना के इलाकों में सुनाई देती है। कलंगा और भूलियाए ये दोनों ही उड़िया लिपि में लिखी जाती हैं। 10-बस्तरी या हलबी . ये बोली बस्तर में हलबा जाति के लोग बोलते हैं। इस बोली पर मराठी का प्रभाव पड़ा है।