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माननीय टीएस सिंहदेव



टीएस सिंहदेव का परिचय

* पूरा नाम- त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव

पंचायत और ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी, बीससूत्रीय, वाणिज्यक कर(जीएसटी)

* टीएस सिंहदेव की जन्म तिथि- 31 अक्टूबर, 1952

* टीएस सिंहदेव का जन्म स्थान- उत्तर प्रदेश प्रयागराज

* टीएस सिंहदेव की उम्र- 66

* टीएस सिंहदेव का अन्य नाम- टीएस बाबा

* टीएस सिंहदेव का पेशा- राजनेता

* टीएस सिंहदेव की राष्ट्रीयता- भारतीय

* टीएस सिंहदेव का धर्म- हिंदू

* टीएस सिंहदेव के पिता का नाम- एचएच मदनेश्वर सरन सिंह देव

* टीएस सिंहदेव की माता का नाम- राजमाता देवेंद्रकुमारी सिंह देव

* कॉलेज / यूनिवर्सिटी- हमीदिया कॉलेज भोपाल

* टीएस सिंहदेव की शैक्षणिक योग्यता- इतिहास में एमए

टीएस सिंहदेव का राजनीतिक करियर (TS Singh Deo Political Career)

* टीएस सिंहदेव ने 1983 में अंबिकापुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष चुने गए थे यहीं से इनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी।

* अध्यक्ष पद पर 10 साल तक रहे

* कांग्रेस ने 2013 चुनाव में हार के बाद टीएस सिंहदेव को विधायक दल का नेता बनाया था।

* जनवरी 2014 से टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्षी दल के नेता हैं और वह अंबिकापुर विधानसभा से निर्वाचित सदस्य हैं।

 

टीएस सिंहदेव लाइफस्टाइल

* त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव यूं तो बड़ी रियासत के मालिक हैं। लेकिन इतनी बड़ी हस्ती होने के बाद भी वे सिंपल रहना पसंद करते हैं। यानी टीएस सिंहदेव लाइफस्टाइल बेहद सिंपल है।

* टीएस सिंहदेव हमेशा सादे कुर्ते-पायजामे में नजर आते हैं।

टीएस सिंहदेव की संपत्ति (TS Singh Deo Property)

* बताया जाता है कि टीएस सिंहदेव के पास 500 करोड़ से अधिक की प्रोपर्टी है। टीएस सिंहदेव भी ये नहीं जानते हैं कि उनके पास किनी संपत्ती (प्रोपर्टी) है।

* छत्तीसगढ़ में अंबिकापुर विधानसभा सीट से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress) के विधायक टीएस सिंहदेव ने चुनाव के दौरान 514 करोड़ की संपत्ति का शपथपत्र दिया था।

टीएस सिंहदेव हाथी पर बैठकर देखने जाते थे दशहरा (Dussehra)

* टीएस सिंहदेव बचपने में अपने दादा रामानुज शरण सिंहदेव के साथ हाथी पर बैठकर दशहरा देखने जाते थे। एक इंटरव्यू में टीएस सिंहदेव ने कहा था कि वे अपने दादा जी के बहुत करीबी थे और दादा जी की शाही सवारी राजमहल से निकलती थी तो वे अपने दादाजी के साथ बैठकर दशहरा देखने जाते थे।