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छत्तीसगढ़ के प्रमुख रंगकर्मी



छत्तीसगढ़ के प्रमुख रंगकर्मी
पदमभूषण हबीब तनवीर - जन्म 1 सितंबर, 1923 को रायपुर में हुआ। इन्होंने अलीगढ वि.वि. से बी.ए. किया। इन्होंने रायलं अकादमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स लंदन से अभिनय, ब्रिस्टल ओल्ड विक थियेटर स्कूल से नाट्य प्रदर्शन तथा ब्रिटिश ड्रामा लीग लंदन से नाट्य प्रशिक्षण की शिक्षा ग्रहण की। प्रोड्यूसर के रूप में 1945 में आकाशवाणी मुम्बई में कार्य किया। आप 1946 में प्रदर्शित फिल्म इंडिया में सहायक संपादक रहे। वर्ष 1946-53 तक अभिनय, गीत. संवाद, लेखन, विज्ञापन. लघु वृत्तचित्र निर्माण जैसी गतिविधियों में व्यरत रहे। इन्होंने वर्ष 1954 में हिन्दुस्तान थियेटर की दिल्ली में स्थापना की एवं वर्ष 1959 में छत्तीगसढी लोककलाओं के सहयोग से नया थियेटर की स्थापना की। वर्ष 1964 मे आपने दूरदर्शन केन्द्र नई दिल्ली में प्रोड्यूसर के पद पर कार्य किया। इन्होंने आठ फीचर फिल्म में अभिनय तथा लोकशास्त्रीय और विदेशी कथाओ का लोक बोलियों में मंचन किया। वर्ष 1972 से 78 तक राज्य सभा के मनोनीत सदस्य रहे। सम्मान - इन्हें केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार 1969. जवाहरलाल नेहरू फैलोशिप 1979-81 तथा अंतर्राष्ट्रीय नाट्य महोत्सय में फ्रिज फर्स्ट अवार्ड एडिनबरा 1982. खैरागढ संगीत वि.वि. से डी. लिट. की मानद उपाधि 1983. पद्मश्री 1983 एवं शिखर सम्मान 1984-85 तथा पदमभूषण 26 जनवरी, 2002 आदि।
सत्यदेव दुबे - इनका जन्म 1936 ई. को बिलासपुर में हुआ। थियेटर यूनिट ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स मुम्बई इन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया। दुवे जी ने हिन्दी के अलावा मराठी और गुजराती नाटकों की प्रस्तुति की। इन्होंने 30 से अधिक नाटकों का प्रदर्शन किया. अभिनेता एवं रंग कर्म का प्रशिक्षण दिया, साथ ही दो लघु हिन्दी फिल्मों और विदेश में पुरस्कृत मराठी वृत्तचित्र के निर्माता भी रहे। इन्हें म. प्र. का शिखर सम्मान, महाराष्ट्र सरकार द्वारा श्रेष्ठ निर्देशक का सम्मान तथा 1972 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
डॉ. शंकर शेष - ये बिलासपुर के स्व. नागोराव शेष. जिन्होंने छत्तीसगढ़ का प्रथम थियेटर जानकी विलास पैलेस (वर्तमान मनोहर टाकीज) बनाया था. जहां नाटक खेलने सोहराब मोदी भी आये थे. के पुत्र हैं। इनका जन्म 2 अक्टूबर,
1933 को बिलासपुर में ही हुआ था। केवल 26 वर्ष की आयु में ही वे 22 नाटक. 4 नाट्य अनुवाद, 4 उपन्यास, लगभग 60 एकांकी, 2 बाल नाटक, 2 चित्रपट कथा का लेखन कर चुके थे। डॉ. शेष ने रंगमंच के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। 1955 में इनके प्रथम नाटक मूर्तिकार ने इन्हें नाटकार के रूप में स्थापित किया। इसके बाद नई सम्यता के नये नमूने, 'बेटों वाला बाप, तिल का ताड़, बिन पानी के द्वीप, जैसे अनेक नाटक लिखे। उन्होंने महाभारत के पात्रों को आधार बनाकर नाटक एक और द्रोणाचार्य तथा कोमल गांधार तो लिखे ही, अपने जीवन का प्रथम और अंतिम उपन्यास धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की विषय वस्तु भी वहीं से ली। कोमल गांधार को साहित्य कला परिषद सम्मान तथा नाटक बाढ़ का पानी. चंदन का दीप और बंधन अपने-अपने कृतियों को मध्य प्रदेश सरकार पुरस्कृत कर चुकी है। 1974 में नाटक घरौंदा लिखा, जिस पर फिल्म बनी, जिसे आशीर्वाद पुरस्कार प्राप्त हुआ। डॉ. शेष की लिखी फिल्म दूरियां को सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। इनका नाटक 'अरे ओ मायावी सरोवर अत्यंत प्रसिद्ध हुआ। इन्होंने बस्तर के अदिवासी जनजीवन पर आधारित नाटक रचा. जिस पर फिल्म बन चुकी है। यह मूलतः गरीय मजदूरों के शोषण की कथा है। इनका एक और नाटक रक्तबीज' अत्यंत सफल रहा। इनका निधन 28 अक्टूबर, 1981 को बंबई में हुआ।
अशोक मिश्र - इनका जन्म 24 जून, 1953 को रायपुर में हुआ था। श्री मिश्र रंग निर्देशक हैं। इनके निर्देशन में 'अंधेर नगरी, छतरियां, 'सिंहासन खाली है जैसे नाटकों ने लोकप्रियता पायी। इन्होंने 'भारत एक खोज', 'सुरभि, आदि अनेक धारावाहिकों की पटकथा लिखी, साथ ही निर्देशन और अभिनय भी किया। इन्हें 1995 का मध्य प्रदेश साहित्य परिषद पुरस्कार, फिल्म 'नसीम के लिए श्रेष्ठ पटकथा लेखन का पुरस्कार 1995 में एवं 1996 में विडियो कॉन अवार्ड भी मिला तथा वर्ष 2000 में फिल्म समर' पर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
जयंत शंकर देशमुख - इनका जन्म 19 दिसंबर, 1958 को रायपुर में हुआ था। इन्होंने बिरसा मुंडा, जुलूस, तटस्थ, अंधेर नगरी, मृत्युंजय और कई नाटकों का निर्देशन किया तथा 1981-82 में महाराष्ट्र नाट्य मंडल, रायपुर में निर्देशक मनोनीत किए गये। इन्होंने कारंत, जान मार्टिन, फिदस बेनविदज. बंशीकौल, समेत कई प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ उल्लेखनीय कार्य किया। ये मानव संसाधन विकास के रंगमंच परियोजना में सहायक निर्देशक, कलाकार, कला निर्देशक के तौर पर जी.टी.वी.. मेट्रो चैनल. बी.बी.सी. आदि में कार्य कर चुके हैं तथा बहुचर्चित फिल्म बैंडिट क्वीन में कार्य किया है। ये भारत भवन में 1981-95 के मध्य वरिष्ठ कलाकार रहे। इन्हें दिल्ली में राज्य मराठी ड्रामा प्रतियोगिता में दो बार श्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मिल चुका है।
अनुपरंजन पांडेय - इनका जन्म 21 जुलाई, 1965 को बिलासपुर में हुआ था। इन्होंने 'नया थियेटर में बतौर अभिनेता पूरे भारत के साथ इंग्लैंड व स्काटलैंड में भी नाटकों का प्रदर्शन किया तथा अनेक पुस्तकों का लेखन एवं संपादन भी किया है। इन्होंने 25 राष्ट्रीय कार्यशाला व दो अंतर्राष्ट्रीय कार्यशालाओं में भाग लिया, जिनमें 20 का निर्देशन भी किया।