महानदी बेसिन
स्थिति - यह प्रदेश के लगभग मध्य भाग में अवस्थित है तथा महानदी के ऊपरी अपवाह क्षेत्र में पड़ता है। इसके अंतर्गत राजनांदगांव (मोहला तहसील के दक्षिणी हिस्से को छोड़कर). कवर्धा, दुर्ग, रायपुर, धमतरी, महासमुंद, बिलसपुर, कोरबा, चांपा-जांजगीर तथा रायगढ जिले सम्मिलित हैं। इस प्रदेश का विस्तार 1947 तथा 2397' उत्तरी अक्षांशों और 80°17 से 83°52° पूर्वी देशांतर के मध्य है। इसका क्षेत्रफल 68.064 वर्ग कि.मी. है, जो छत्तीसगढ़ राज्य
का 50.34% है। यह समुद्र तल से 300 मी. से कम ऊँचा है तथा पूर्व की ओर थोड़ी झुकी तश्तरी के समान है। इस भाग में उच्चावच बहुत कम हैं तथा धरातल काफी समतल है। इसके किनारे की ओर ऊँचाई तथा उच्चावच दोनों ही बढ़ते जाते हैं और बेसिन की उत्तरी सीमा पर कहीं-कहीं 1000 मी. से भी अधिक है। इस बेसिन को दो स्थलाकृतिक प्रदेशों में विभाजित किया जा सकता है-
(A) छत्तीसगढ़ का मैदान,
(B) सीमांत उच्च भूमि क्षेत्र ।
(A) छत्तीसगढ़ का मैदान - पंखे के आकार का छत्तीसगढ़ का मैदान छत्तीसगढ़ का हृदय स्थल कहा जाता है। वस्तुतः यह एक बेसिन तथा एक भू-आकृतिक इकाई है। यह अवसादी शैलों का बना है। इसका क्षेत्रफल 31,600 वर्ग कि.मी. है। छत्तीसगढ़ का मैदान हल्का तरंगित है जिसके बीच में छोटी पहाड़ियाँ हैं। अधिकतर नदियों की घाटियाँ छिछली और खुली हुई हैं। सतह के नीचे चूने का पत्थर होने के कारण कटोरे के आकार के गड्ढे मिलते हैं। इसकी औसत ऊँचाई 220 मी. है, जो उच्च भूमि क्षेत्र की ओर बढ़ती गई है. और लगभग सभी दिशाओं में सीमा पर 304 मी. से अधिक है, जबकि विस्तृत मैदानी भाग 200 मी. से अधिक ऊँचे हैं। इस मैदान को निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है-
(a) पंडा - लोरमी का पठार-राज्य के मध्य-पश्चिम में पेंड्रा. कटघोरा, लोरमी एवं पंडरिया तहसीलों में विस्तृत है। इस क्षेत्र में पलमा चोटी 1080 मी. है एवं लाफागढ़ 1048 मी. प्राप्त होता है, जबकि पठार की औसत ऊँचाई 800 मी. है।
(II) कोरवा बेसिन - यह दक्षिणी कटघोरा, दक्षिणी कोरवा तहसीलों में विस्तृत है. इसकी औसत ऊँचाई 250-350 मी. है।
(II) रायगढ़ बेसिन-यह रायगढ़ जिले के दक्षिणी धरमजयगढ़, खरसिया व रायगढ़ तथा कोरवा जिले के दक्षिणी कटघोरा तहसीलों में विस्तृत है. इसकी औसत ऊँचाई 300 मी. है।
(IV) बिलासपुर - रायगढ़ का मैदान-राज्य के मध्य भाग में अवस्थित है। मुंगेली. तखतपुर, विल्हा, बिलासपुर, पामगढ़, चांपा, सक्ती. रायगढ़ तहसीलों तक विस्तृत है। इसकी औसत ऊँचाई 150-300 मी. है, किन्तु दलहा पहाड़ 700-750 मी. ऊँचा है।
(V) दुर्ग - रायपुर का मैदान-यह राज्य के दक्षिणी-मध्य भाग में स्थित है, राजनांदगांव जिले का पूर्वी भाग, कवर्धा जिले का दक्षिणी भाग. दुर्ग जिला, रायपुर जिला तथा धमतरी जिले की कुरूद तहसील तक विस्तृत है। इसकी औसत ऊँचाई 300 मी. है।
(B) सीमांत उच्च भूमि - छत्तीसगढ़ के मैदान से घिरा हुआ सीमांत उच्च भूमि का क्षेत्र है, जिसका क्षेत्रफल 36046 वर्ग कि.मी. है। इसकी औसत ऊँचाई 400-900 मी. के मध्य है, जो पूर्वोत्तर एवं पश्चिमोत्तर सीमा क्षेत्र में 1000 मी. से भी अधिक ऊँचा है। इसके चार मुख्य भाग हैं-
(1) धुरी-उदयपुर की पहाड़िया - उत्तर-पूर्वी भाग में उत्तरी कोरवा, उत्तरी धरमजयगढ़, उत्तरी घरघोड़ा तहसीलों में छुरी से उदयपुर तक विस्तृत है, इसकी औसत ऊँचाई 600-900 मी. है।
(II) मैकली श्रेणी-राज्य के मध्य - पश्चिम सीमांत क्षेत्र में यह डोंगरगढ़, खैरागढ़, छुई-खदान तहसीलों एवं कवर्धा, पंडरिया, लोरमी तथा पेंड्रा तहसीलों के पश्चिमी हिस्सों में विस्तृत है। इसकी औसत ऊँचाई 700-900 मी. है। बदरगढ़ चोटी इसका सबसे ऊँचा भाग (1176 मी.) है।
(III) दुर्ग-सीमांत उच्चमूमि - यह महानदी का दक्षिण-पश्चिम भाग है तथा गुरूर, संजारी, बालोद, डौंडीलोहारा, गुंडरदेही, अंबागढ़ चौकी तथा मोहला (उत्तरी भाग) तहसीलों में विस्तृत है। इसकी औसत ऊँचाई 500-800 मी. है, जबकि दल्ली-राजहरा (700 मी.) तथा डोंगरगढ़ पहाड़ी (704 मी.) ऊँचे भाग हैं।
(IV) धमतरी - महासमुंद उच्च भूमि-यह दक्षिण-पूर्वी सीमांत क्षेत्र (महानदी बेसिन के) में आता है तथा धमतरी. कुरूद, राजिम, महासमुंद, गरियाबंद, सरायपाली तथा देवगढ़ तहसीलों में विस्तृत है। औसत ऊँचाई 400-900 मी. है। इसका सबसे ऊँचा भाग धारीडोगर (899 मी.) है।
अपवाह - इस क्षेत्र की प्रमुख नदी महानदी है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में हसदो. मॉड, शिवनाथ, बोरई. पैरी, जोंक, ईय, केलो, लात. ब्रम्हांणी. सुरंगी, तेल आदि हैं। महानदी धमतरी के निकट सिहाया पर्वत से निकल कर छत्तीसगढ़ के मैदान के दक्षिण-पूर्वी सीमा के निकट बही है। यहाँ इसकी दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर है तथा लगभग 2140-8230' के निकट यह पूर्व की ओर मुड़ जाती है। अतः संपूर्ण पश्चिमी भाग का जल उसकी सहायक नदी शिवनाथ लाती है, जो महानदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है तथा उसमें शिवरीनारायण के पास मिल जाती है। पूर्व की ओर महानदी एक संकरे मार्ग द्वारा उड़ीसा के मैदान में उतरती है। इसी सँकरे मार्ग को संबलपुर
के निकट बांधकर हीराकुड जलाशय बनाया गया है। उत्तर की सहायक नदियाँ-दूसरी सबसे बड़ी सहायक नदी हसदो तथा मांद हैं। ये सभी सम्मिलित अभिकेन्द्रीय प्रतिरूप बनाती हैं। सीमांत श्रेणियों से उतरते समय छोटी- छोटी नदियाँ प्रपात बनाती है। इन्हें बाधकर छोटे बांध बनाये गये हैं, जिनमें मांडमसिल्ली. दुधावा. रविशंकर, रूद्री. तांदुला, मनियारी (खुड़िया), और खारंग (खूटाघाट) के जलाशय उल्लेखनीय हैं। महानदी नहर प्रणाली माड़मसिल्ली तथा तंदुला जलाशयों से निकाली गई हैं। इस मैदान का संपूर्ण जल महानदी प्रवाह प्रणाली द्वारा समुद्र तक पहुँचता नर्मदा प्रवाह क्रम का विस्तर भी प्रदेश के एक हिस्से में हुआ है। कवर्धा तहसील के उत्तरी भाग से नर्मदा की सहायक नदी बन्जर का उदगम हुआ है जो इस क्षेत्र के जल को बालाघाट जिले (म. प्र.) में प्रवाहित होते हुए आगे नर्मदा में मिला देती है।
जलवायु - यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसून प्रकार की है। पूर्वी छत्तीसगढ़ में औसत वर्षा 117.5 से.मी. से अधिक होती है। पश्चिमी भाग मैकल के पठार की वृष्टि छाया में पडता है परिणामस्वरूप यहाँ वर्षा 112.5 से.मी. के लगभग होती है। मई का औसत अधिकतम तापमान 40-45 सें. के मध्य रहता है और दिसम्बर का औसत ताप 20.3 सें. (रायपुर) व 20.5 सें. (रायगढ) में होता है। जनवरी में न्यूनतम तापमान 3.5 सें. तक हो जाता है।
मिट्टी तथा वनस्पति - छत्तीसगढ़ मुख्यतः लाल-पीली मिट्टी का प्रदेश है। राजनांदगांव में लाल-रेतीली मिट्टी मिलती है। अधिकांश क्षेत्र में बलुई मिट्टी पाई जाती है। यहाँ कृषि भूमि की अधिकता है तथा आई व शुष्क पर्णपाती वनों का बाहुल्य है। यहाँ साल वनों के साथ राजनांदगांय. कपर्धा एवं रायपुर जिलों में पृथक सागौन के वन मिलते हैं। यह तेंदूपत्ता व बाँस जैसे लघुपनोपज का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। दक्षिणी तथा दक्षिण-पूर्वी रायपुर एवं उतरी बिलासपुर जिलों में जहां पहाडी क्षेत्र प्रारम्भ होते है. वनों का घनत्व अधिक है।
उपज एवं खनिज - कृषि भूमि की अधिकता के कारण कृषि इस क्षेत्र का प्रमुख व्यवसाय है। चायल यहाँ की प्रमुख फसल है। 65.88 प्रतिशत कृषि भूमि चावल के अंतर्गत ही है। साथ ही गेहूं. चना, तुअर (दाल) अलसी. तिल, सरसों तथा मूंगफली भी पैदा की जाती है। यह कोसा, रेशम उत्पादन का भी प्रमुख क्षेत्र है। मुख्यतः बॉक्साइट, डोलोमाइट, लोहा. कोयला. हीरा एवं चूना प्रमुख खनिज हैं. जिन पर आधारित केन्द्रीय उपक्रमों सेल. बाल्को, एनटीपीसी, एसईसीएल के साथ अनेक सीमेंट कारखाने हैं।