अहिमन रानी की कथा
अहिमन रानी की साँस उसे सरोवर में जाने से मना करती है पर वह विनती करती है बार बार और फिर जाती है। अहिमन रानी सखियों के साथ जब सरोवर में नहाने जाती है, उनकी मुलाकत एक व्यापारी से होता है जो घोड़ा चुरा लेता है और अहिमन रानी को पासा खेलने के लिए बुलाता है। पासा खेलते समय वह व्यापारी अहिमन रानी के सभी गहने जीत लेता है। अहिमन रानी बड़ी चिन्तित हो उठती है और कहती है कि राजा को वह कैसे मुंह दिखाएगी । वह व्यापारी रानी अहिमन को नये गहने और वस्र देता है और एक घोड़ा देता है। जब अहिमन रानी राजमहल में वापस आती है, राजा उसे देखकर चिन्तित हो जाते है। और उसे मायके जाने के लिए कहता है। जैसे ही दोनों राज्य के बाहर पहुँचते है, राजा उसके बाल घोड़े के पूँछ से बांध देता है और खींचने लगता है। अहिमन रानी की मृत्यु हो जाती है। उसका व्यापारी भाई जब उसे मृत पाता है तो बहुत शोकग्रस्त हो जाता है। उसी समय महादेव और पार्वती अहिमन को जीवित कर देते है और अहिमन अपने ससुराल वापस जाती है। उसकी सास उसे पहचान नहीं पाती, न तो पति पहचान पाता है। अहिमन भी उन दोनों को कुछ नहीं बताती। जब उसका पति व्यापारी से अहिमन की शादी की बात करता, तब व्यापारी कहता है कि तुम अपनी पत्नी को नहीं पहचान पा रहे हो। और इसी तरह अहिमन रानी अपने पति के साथ सुख से दिन व्यतीत करने लगती है।
कथा का रुप इस प्रकार है :
सासे के बोलेव सास डोकरिया
कि सुनव सासे बिनती हमार
मोला आज्ञा देते सास
कि जातेव सगरी नहाय
घर हिन कुंवना कि
घर हीन बावलि
कि घर हीन करो असनांद
अहिमन झन जा सगरी नहाय ला