प्रदेश के वनों का वर्गीकरण
वनों के विधिक प्रबंध की दृष्टि से विभाग द्वारा वनों को 3 भागों में वर्गीकृत किया गया है
(1) आरक्षित वन - इन वनों का कुल क्षेत्र 23,966.45 वर्ग कि.मी है जो प्रदेश के कुल वनों का 40.42% है। इन वनों का प्रबंधन सुव्यवस्थित ढंग से किया जाता है। इनकी सुरक्षा और विकास की निश्चित योजनाएं होती हैं। पर्यावरण, जैव विविधता, वन संपदा, वन्य जीव आदि की सुरक्षा एवं संरक्षण की दृष्टि से इन्हें आरक्षित रखा गया है। यहां अनाधिकृत प्रवेश आदि भी वर्जित होता है। इन वनों में विभाग द्वारा जो भी कार्य किए जाते हैं वे वनवर्धन एवं रखरखाव के लिए होते हैं। उत्पादन अथवा आय मूलक गतिविधियां (Operations) नहीं की जातीं। राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य आरक्षित वनों की श्रेणी में आते हैं। इन वनों का आरक्षण विधि प्रक्रिया द्वारा अधिसूचित होता है।
(2) संरक्षित वन - ये प्रदेश के 31,106.80 वर्ग कि.मी. में विस्तृत हैं जो प्रदेश के कुल वनों का 52.46 प्रतिशत है। इन वनों में संरक्षण के साथ उत्पादन हेतु भी गतिविधियां/योजनाएं चलाई जाती हैं। विभाग निश्चित योजनातंर्गत इन वनों का वैज्ञानिक तरीके से दोहन कर वनोपज प्राप्त करता है जिससे शासन को पर्याप्त आय होती है। उत्पादन के साथ संरक्षण प्राथमिक लक्ष्य होता है। इन्हीं वनों में ग्रामीण जनता को निस्तार के अधिकार सीमित क्षेत्रों में दिये जाते हैं, जिससे स्थानीय जनता अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। इसमें लघु वनोपज, जलाऊ लकड़ी संग्रहण, पशुचारा तथा अनुमति पर खनन सम्मिलित हैं। इन वनों की भूमि शासन पट्टे पर निवास, खेती या अन्य गैर-वानिकी उद्देश्य (केन्द्र शासन द्वारा) हेतु प्रदाय कर सकती है। इन वनों में आवाजाही पर प्रतिबंध न होने से अवैध गति- विधियाँ आम हैं जिससे वनों को काफी क्षति हो रही है तथा अधिकतर संरक्षित वन बिगड़े वनों की श्रेणी में परिवर्तित होते जा रहे हैं एवं वनों के अंतर्गत भूमि लगातार तेजी से कम हो रही है। इस प्रकार संरक्षित वनों का प्रबंध विभाग के लिए एक जटिल समस्या है। राष्ट्रीयकरण के पश्चात् जनता की आवश्यकताओं की पूर्ति का भी उत्तरदायित्व विभाग पर आ गया है जिसकी पूर्ति विभाग संरक्षित वनों से ही करता है किंतु अनेक जटिलताओं के कारण विभाग इन वनों का समुचित संरक्षण सुनिश्चित नहीं कर पा रहा है।
असीमांकित संरक्षित वन : इन्हें नारंगी वन क्षेत्र (Orange ForestArea) कहा जाता है। इन वनों का सीमांकन कार्य किया जा रहा है। पिछले दशक से विभाग द्वारा इनके प्रबंध एवं सुधार हेतु प्रयास नारंगी वन क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Orange Forest Area Development Programme) के अतंर्गत किया जा रहा है। इनका क्षेत्रफल 9,954.12 वर्ग किमी. (कुल वनों का 16.66%) है तथा संरक्षित वनों का 31.99% है।
(3) अवर्गीकृत वन - इन वनों का कुल क्षेत्र 4,212 वर्ग कि.मी. है जो कुल वनों का 7.1% है। वन भूमि व्यवस्थापन के समय इनका वर्गीकरण नहीं हो सका था। ये वन 1959 के पश्चात् राजस्व विभाग को दिया गया था, जो बड़े झाड़ के जंगल के नाम से जाना जाता था। अतः ये वन क्षेत्र उपेक्षित रहे हैं।
प्राकृतिक आधार पर (संयोजन आधार पर) छत्तीसगढ़ क्षेत्र के वन उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती (Tropical- Moist deciduous Forests) वनों के अंतर्गत रखे गये हैं चूंकि यहां औसत वर्षा 122 सें.मी. से अधिक है अतः यहांआर्द्र मानसूनी वन मिलते हैं जबकि बस्तर में सदाबहार साल वन भी मिलते हैं। प्रदेश के विस्तृत क्षेत्र साल वनों से ढंके हुए हैं किन्तु सागौन एवं मिश्रित वन भी है। संयोजन आधार पर प्रदेश में वनों को मुख्यतः 3 वर्गों में विभाजित किया गया है
1. साल वन - प्रदेश के लगभग एक तिहाई वन साल वनों के अंतर्गत हैं। ये मुख्यतः PH मान 4.5 से 6 तक की मिट्टी में मिलते हैं। यहां वर्षा 125 सें.मी. से अधिक होती है। ये वन जैव विविधता की दृष्टि से अधिक समृद्ध हैं। यहां साल (Pre-dominant) इसके सहवासी (Associates) खम्हार, बीजा, साजा, तिन्सा, सलई. हल्दू, सेमल, तेंदू, हर्रा, बहेड़ा, आंवला आदि तथा छोटे पौधों (Ground Flora) के रूप में विपुल औषधि एवं उपयोगी प्रजातियां सम्मिलित हैं। ये मुख्यतः बिलासपुर, दक्षिणी रायपुर, पूर्वी व मध्य बस्तर, कोरबा, कोरिया, सरगुजा, जशपुर में मिलते हैं।
2. मिश्रित पर्णपाती वन - प्रदेश का लगभग 60% वन क्षेत्र मिश्रित वनों के अंतर्गत है। इन वनों में मुख्यतः साजा, धावड़ा, लेंडिया, बीजा, खम्हार, तेंदू, महुआ, बांस, बबूल, सलई, हर्रा, तिन्सा आदि मिलते हैं। ये वन मुख्यतः दुर्ग, उत्तर रायपुर, महासमुंद, सारंगढ़, जशपुर, कोरिया आदि वन मंडलों में मिलते हैं।
3. सागौन वन - प्रदेश के लगभग 5% क्षेत्र में सागौन वन प्राप्त होते हैं। ये वन मुख्यतः राजनांदगांव, कवर्धा, नारायणपुर, दक्षिण बस्तर (सुकमा), बीजापुर वन मंडलों के कुछ हिस्सों में प्राप्त होते हैं। इन वन क्षेत्रों में मिट्टी का PH सामान्यतः 7 से 8 के मध्य होता है।
Champion and Seth Classification ने मोटे तौर पर (Under Broad Classification) छत्तीसगढ़ में पाये जाने वाले उष्णकटिबंधीय वनों को मिश्रित वनों की श्रेणी में रखा है। इनके अन्य उप-प्रकारों (Subtypes) में आई एवं शुष्क साल वन, प्रायद्वीपीय साल वन, अर्ध सदाबहार (Semievergreen) साल वन, आई एवं शुष्क पर्णपाती तथा पर्वतीय उपोष्ण (Montane sub tropical) वन प्रमुख हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य के जिलेवार वनों का वर्गीकरण (वर्ग कि.मी. में)
क्रं | जिला | आरक्षित वन | संरक्षित वन | कुल वर्गीकृत | वन अवर्गीकृत वन | योग कुल वन |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 |
1 | बस्तर | 3044.127 | 4245.441 | 7289.568 | 277.710 | 7567.278 |
2 | कांकेर | 1591.996 | 1245.696 | 2837.692 | 1103.520 | 3941.2125 |
3 | दंतेवाड़ा | 5179 | 3125.740 | 8305.530 | 1711.770 | 10017.300 |
4 | बिलासपुर | 1280.540 | 2193.310 | 3475.850 | 0.000 | 3475.850 |
5 | जांजगीर-चांपा | 151.460 | 98.600 | 250.060 | 0.000 | 250.060 |
6 | कोरबा | 000.000 | 4187.370 | 4187.370 | 0.000 | 4187.370 |
7 | रायगढ़ | 1670.916 | 1658.414 | 3329.330 | 0.000 | 3329.330 |
8 | जशपुर | 1147.700 | 706.580 | 1854.280 | 898.280 | 2752.280 |
9 | सरगुजा | 1936.908 | 6437.715 | 8374.623 | 0.000 | 8374.623 |
10 | कोरिया | 2001.154 | 1528.143 | 3529.297 | 0.000 | 3529.297 |
11 | दुर्ग | 482.539 | 1241.101 | 1723.640 | 0.000 | 1723.640 |
12 | रायपुर | 1192.676 | 2581.667 | 3774.343 | 221.000 | 3995.343 |
13 | महासमुंद | 756.925 | 322.402 | 1079.327 | 0.000 | 1079.327 |
14 | धमतरी | 2056.320 | 69.220 | 2125.540 | 0.000 | 2125.540 |
15 | राजनांदगांव | 766.832 | 317.728 | 1084.560 | 0.000 | 1084.560 |
16 | कवर्धा | 706.570 | 1145.680 | 1852.250 | 0.000 | 1825.250 |
योग-छत्तीसगढ़ | 23966.453 | 31106.807 | 55073.26 | 4212 | 59285.26 |