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पुरातत्व-कला एवं स्थापत्य



पुरातत्व-कला एवं स्थापत्य

छत्तीसगढ़ का क्षेत्र अपने इतिहास, कला एवं संस्कृति के लिये प्रसिद्ध है। यहां का पुरातत्व अत्यंत प्राचीन है। अंचल में पाषाण काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक के अवशेष विभिन्न स्थलों से प्राप्त हुए हैं। छत्तीसगढ़ आदिमानव की शरण स्थली रही है। जब मानव सभ्यता का विकास नहीं हो पाया था तब मनुष्य पशुओं की भांति नदियों के किनारे कंदराओं अथवा शैल गृहों में निवास करते थे। प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ मनुष्य ने अपनी बुद्धि का प्रयोग कर उस काल से आज तक भौतिक विकास के अनेक आयामों को प्राप्त किया है। आरंभ में उसने अपनी आखेट क्षमता में वृद्धि करने के लिये पत्थर के औजारों का निर्माण किया, अब उसे अपने भोजन हेतु अपेक्षाकृत कम संघर्ष करना होता था। यह काल पाषाण काल के नाम से जाना जाता है, जिसके संबंध में इतिहास के प्रथम अध्याय में चर्चा की गई है। हमारा उद्देश्य यहां पर कला पर चर्चा करना है अतः इस काल में कला की प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालना समीचीन प्रतीत होता है। प्रागऐतिहासिक काल के कला के नमूने हमें शैल गृहों में आदिमानव द्वारा किये चित्रांकनों से प्राप्त होते हैं।