छत्तीसगढ़ में पुरातात्विक उत्खनन
सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ अंचल में पुरातात्विक उत्खनन स्वातंत्र्योत्तर काल में सिरपुर में आरंभ हुआ। यहां 1953-56 में सागर विश्वविद्यालय एवं पुरातत्व विमाग की ओर से उत्खनन का कार्य डॉ. एम. जी. दीक्षित के निर्देशन में कराया गया, जिन्होंने इस नगर की प्राचीनता पांचवीं शताब्दी स्थापित की। इसके बाद उत्खनन कार्य धनोरा 1956-57. मल्हार 1975-78 तथा करकाभाट 1991 में किये गये। मल्हार में भी सागर विश्वविद्यालय एवं पुरातत्व विभाग के द्वारा उत्खनन प्रो. बाजपेयी एवं डॉ. पाण्डेय के निर्देशन में हुआ। इसके अतिरिक्त प्राचीन अवशेषों से मलबा सफाई का कार्य बिलासपुर जिले के ताला. बस्तर जिले के गढ़धनोरा, छोटेडोंगर तथा भोंगापाल एवं सरगुजा जिले के डीपाडीह में कराये गये. जिनसे अंचल की महत्वपूर्ण पुरातात्विक संपदा प्रकाश में आयी। गढधनोरा में मलबा सफाई 1987 में पुरातत्व विभाग के संचालक श्री के. के. चक्रवर्ती के निर्देशन में कराया गया। इन पुरातात्विक अन्वेषणों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की समृद्ध ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परंपरा का पता चलता है।