चंदूलाल चंद्राकर
चंदूलाल चंद्राकर एक यशस्वी पत्रकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राजनेता थे। उन्होंने अपनी निर्भीक पत्रकारिता तथा निष्पक्ष राजनीति से न केवल अपनी पहचान बनायी बल्कि अपनी मातृभूमि छत्तीसगढ़ को भी यथोचित सम्मान दिलाया।
चंदूलाल चंद्राकर का जन्म 1 जनवरी सन् 1921 को राजनांदगाँव के अछोटी गाँव में हुआ था। चंदूलाल की प्राथमिक शिक्षा सिरसाकला में हुई। वे विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई-लिखाई ही नहीं खेलकूद व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी आगे रहते थे। उन्होंने मैट्रिक नागपुर से तथा बी.ए. की परीक्षा राबर्टसन कॉलेज, जबलपुर से पास की।
कॉलेज में अध्ययन करते समय ही वे राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े और सन् 1942 ई. में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ्तार किए गए। परीक्षा के समय उन्हें रिहा कर दिया गया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे बनारस चले गए। वहाँ दैनिक ‘आज’ में कार्य करने लगे। सन् 1945 ई. में वे ‘आर्यावर्त’ के संवाददाता बने। कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन की प्रभावशाली कवरेज के लिए महात्मा गाँधी ने उनकी मुक्तकंठ से प्रशंसा की। हिंदुस्तान टाइम्स’ के संपादक देवदास गाँधी ने अपने पिता महात्मा गाँधी के आदेश पर चंदूलाल चंद्राकर को अपने पत्र में काम करने के लिए आमंत्रित किया। चंद्राकर जी ने 1945 के बाद महात्मा गाँधी के प्रायः सभी बड़े कार्यक्रमों की रिर्पोटिंग की। वे गाँधीजी के अत्यंत प्रिय व्यक्तियों में से एक थे। वे सन् 1946 में ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के सहायक संपादक, बाद में सिटी रिर्पोटर फिर संपादक बने। उन्होंने सन् 1964 से 1980 तक इसके प्रमुख संपादक के रूप में कार्य किया। छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय समाचार पत्र के संपादक पद पर पहुँचने वाले वे पहले व्यक्ति थे। महात्मा गाँधी हत्याकांड मुकदमे के वे विशेष संवाददाता थे। युद्धस्थल से भी वे निर्भिकतापूर्वक समाचार भेजते थे। उन्होंने 10 ओलम्पिक तथा 9 एशियायी खेलों की रिर्पोटिंग की।
चंदूलाल चंद्राकर ने संविधान निर्मात्री सभा, ताशकंद में भारत-पाक शिखर वार्ता, पं. जवाहरलाल नेहरु, लालबहादुर शास्त्री, श्रीमती इंदिरा गाँधी तथा मोरारजी देसाई की विदेश यात्राओं, कांग्रेस के खुले अधिवेशन एवं महासमिति के बैठकों आदि की रिर्पेाटिंग, भारत तथा विश्व की आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति संबंधी सैकड़ों लेख लिखकर पत्रकारिता जगत में प्रशंसनीय स्थान पाया। चंदूलाल चंद्राकर तीन बार पे्रस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बने। एक पत्रकार के रुप में उन्होंने लगभग सभी देशों की यात्रा की। उन्होंने सही जानकारी पाठकों तक पहुँचाने के लिए कई बार जोखिम भरी यात्राएँ कीं।
सन् 1970 में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीतकर चंदूलाल चंद्राकर पहली बार सांसद बने। वे लोकसभा हेतु पाँच बार निर्वाचित हुए। नागरिक उड्डयन, पर्यटन, कृषि एवं ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री का दायित्व संभालते हुए उन्हांेने छत्तीसगढ़ और देश की सेवा की। वे अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रहे।
सन् 1992 ई. में चंदूलाल चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण सर्वदलीय मंच का गठन किया। इसके अध्यक्ष के रुप में उन्होंने राज्य निर्माण आंदोलन को नई शक्ति प्रदान की। सन् 1993 ई. में उन्होंने कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण को प्राथमिकता में षामिल कराने का उल्लेखनीय कार्य किया।
चंदूलाल चंद्राकर के पास दुनिया भर की दुर्लभ पुस्तकों तथा आडियो-विडियो फिल्मों का कीमती संग्रह था। अपनी निर्भीक लेखनी से ज्वलंत मुद्दे उठाने, बहस की गुंजाइश तैयार करने वाले पत्रकारों में उनको सम्मानजनक स्थान प्राप्त है।
चंदूलाल चंद्राकर 75 वर्ष की उम्र में भी लगातार 18 घंटे काम करते थे। वे अपने गृहग्राम के समीप स्थित कोलिहापुरी से एक स्तरीय समाचार पत्र निकालना चाहते थे। वे इसकी तैयारी शुरु ही किए थे कि 2 फरवरी 1995 को उनका देहावसान हो गया। निर्भीक पत्रकारिता से छत्तीसगढ़ का नाम देश में रोशन करने वाले इस महान व्यक्तित्व से नई पीढ़ी प्रेरणा ग्रहण करे और मूल्य आधारित-पत्रकारिता को प्रोत्साहन मिले, इसके लिए छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में पत्रकारिता के क्षे़त्र में चंदूलाल चंद्राकर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार स्थापित किया है। -00-