छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता दिवस समारोह
स्वतंत्रता के अरुणोदय के साथ देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्यप्रांत और छत्तीसगढ़ भी अलंकृत हो उठा। 15 अगस्त को प्रातः मध्यप्रांत और बरार के प्रथम मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल ने नागपुर राजधानी के ऐतिहासिक सीताबार्डी' के किले पर तिरंगा फहराया। रायपुर में खाद्य मंत्री आर.के. पाटिल ने पुलिस लाइन में ध्वजारोहण किया उनके द्वारा एक समारोह में राष्ट्रपिता गांधीजी, देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी का राष्ट्र के नाम संदेश इस अवसर पर जनता को पढ़कर सुनाया गया। दुर्ग में प्रातः श्री घनश्याम सिंह गुप्त ने ध्वजारोहण कर पं. नेहरू का संदेश जनत को सुनाया। बिलासपुर में तत्कालीन संसदीय सचिव पं. रामगोपाल तिवारी ने ध्वजारोहण किया। संपूर्ण अंचल में पूरे सप्ताह कार्यक्रम चलता रहा।
समस्याएं-देश को विभाजन की पीडा के साथ-साथ जिस अनचाहे और दुःखद समस्या से जूझना पड़ा-वह र्थ हिन्दू मुस्लिम एकता और सद्भाव एवं रियासतों और जमींदारियों की समस्या। छत्तीसगढ़ में भी इसका प्रभाव दिखाई पड़ा। रायपुर के बैजनाथ पारा में हिन्दू मुस्लिम दंगों के दौरान अनेक अप्रिय घटनाएं हुई किंतु कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपने प्रयत्नों से स्थिति को नियंत्रित कर लिया। इसी तरह बिलासपुर, दुर्ग, आदि नगरों में भी ऐसी अप्रिय घटनाओं की आशंका थी। दुर्ग में घनश्याम सिंह गुप्त के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ऐसी घटनाओं को रोकने में सफलत मिली।
दूसरी ओर देश व अंचल के सामने रियासतों और जमींदारियों के भारत संघ में विलयन की समस्या भी थी। भारत स्वतंत्रता अधिनियम के तहत इनमें से अनेक स्वतंत्र रहने को तत्पर थे, किंतु तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल इस गंभीर समस्या को बखूबी हल किया।